कोरोना का उपचार / बाबा रामदेव को झटका, आयुष मंत्रालय ने कोरोना की दवाई से खुद को दूर किया, कहा इसका विज्ञापन नहीं करें

भारतीय चिकित्सा शोध परिषद और आयुष मंत्रालय ने बाबा रामदेव को कोरोनिल दवाई विकसित करने के दावे के कुछ ही घंटों बाद एक झटका दे डाला है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और आयुष मंत्रालय ने कोरोनावायरस के लिए पतंजलि के इलाज या दवाई कोरोनिल से खुद को अलग बताते हुए कहा कि जब तक इसका उपचार सभी मानकों पर सही साबित नहीं हो जाता तब तक पतंजलि इसका विज्ञापन भी नहीं कर सकेंगे।

Vikrant Shekhawat : Jun 23, 2020, 06:59 PM
नई दिल्ली | भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (Indian Medical Research Counchil) और आयुष मंत्रालय (AYUSH Minister) ने बाबा रामदेव (Baba Ramdev) को कोरोनिल (Coronil) दवाई विकसित करने के दावे के कुछ  ही घंटों बाद एक झटका दे डाला है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और आयुष मंत्रालय ने कोरोनावायरस (Covid19) के लिए पतंजलि के इलाज या दवाई कोरोनिल से खुद को अलग बताते हुए कहा कि जब तक इसका उपचार सभी मानकों पर सही साबित नहीं हो जाता तब तक पतंजलि इसका विज्ञापन भी नहीं कर सकेंगे।

यही नहीं ICMR, जो भारत में Covid -19 उपचार के लिए शीर्ष चिकित्सा निकाय और नोडल एजेंसी है, ने नई दवा के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया है। कोरोनिल के बारे में पूछे जाने पर, ICMR के अधिकारियों ने कहा कि वे आयुर्वेदिक दवाओं के साथ डील नहीं करते हैं, आयुष मंत्रालय करता है। आयुष  मंत्रालय ने भी बाबा को झटका ही दे डाला है। इससे पहले योग गुरु बाबा रामदेव ने मंगलवार को दावा किया कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने कोरोनिल का आविष्कार किया है , हरिद्वार में पतंजलि मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में, रामदेव ने कहा कि कोरोनिल का परीक्षण कोविद -19 रोगियों पर यादृच्छिक प्लेसबो-नियंत्रित नैदानिक ​​परीक्षण में किया गया है। रामदेव ने कहा “हमने एक क्लिनिकल केस स्टडी और क्लिनिकल नियंत्रित परीक्षण किया, और पाया कि तीन दिनों में 69 प्रतिशत रोगी ठीक हो गए और सात दिनों में 100 प्रतिशत रोगी ठीक हो गए।”

रामदेव ने यह भी दावा किया कि कोविड -19 के लिए कोरोनिल पहली आयुर्वेदिक-चिकित्सकीय रूप से नियंत्रित, अनुसंधान, सबूत और परीक्षण आधारित दवा है। अनुसंधान का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, जयपुर के सहयोग से किया गया था।

आईसीएमआर के इनकार के बाद जब आयुष मंत्रालय के अधिकारियों से पतंजलि की कोरोनिल पर सवाल पूछे गए तो उन्होंने पहले तो कहा कि आईसीएमआर के अधिकारी ही नई दवा के संबंध में विवरण देंगे। जब उन्हें ICMR प्रतिक्रिया के बारे में बताया गया तो मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार, इस मामले में, उत्तराखंड सरकार, आयुर्वेदिक दवा निर्माता सहित फार्मा फर्म को लाइसेंस देने के लिए जिम्मेदार थी।

इसी बीच न्यूज एजेंसी एएनआई ने आयुष मंत्रालय के हवाले से बताया कि मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा COVID19 उपचार के लिए विकसित आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में मीडिया में खबरों का संज्ञान लिया है। कंपनी को दवाओं का विवरण प्रदान करने और तब तक के लिए इस तरह के दावों को प्रचारित करने से रोकने के लिए कहा है।