NavBharat Times : Jul 15, 2020, 05:30 PM
World: इस महीने मंगल की ओर पृथ्वी से एक नहीं बल्कि तीन-तीन मिशन लॉन्च होने वाले हैं। अमेरिका और चीन के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भी अपने-अपने मिशन-मंगल लॉन्च करने के लिए तैयार हैं। UAE के मिशन Hope को बुधवार, 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था लेकिन खराब मौसम की वजह से इसे 17 जुलाई के लिए टाल दिया गया है। UAE अगर यह लॉन्च सफलतापूर्व कर लेता है तो दूसरे ग्रह पर मिशन भेजने वाला पहला अरब देश होगा। जानें इस मिशन के बारे में हर खास बात-
दूसरे देशों के रोवर से ऐसे अलगअपने आलीशान स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग के लिए मशहूर UAE जापान के कागोशिमा में तानिगाशिमा स्पेस सेंटर से अपने ऑर्बिटर Hope को लॉन्च करने के लिए तैयार है। इसका लक्ष्य है मंगल का पहला ग्लोबल वेदर मैप भी तैयार करना। ये मिशन इसलिए खास है क्योंकि इससे पहले के रोवर मंगल के चक्कर ऐसे काटते थे कि वह दिन के सीमित वक्त में ही उसके हर हिस्से को मॉनिटर कर पाते थे। इससे अलग होप का ऑर्बिट अंडाकार है जिसे पूरा करने में इस रोवर को 55 घंटे लगेंगे। इसकी वजह से यह मंगल के हिस्सों पर दिन और रात में ज्यादा समय के लिए नजर रख सकेगा। मंगल के एक साल में यह हर हिस्से पर पूरे दिन नजर रखेगा। ऐसे करेगा लाल-ग्रह की स्टडी
होप का विजिबल लाइट कैमरा और Infrared Spectrometer मंगल के निचले वायुमंडल में बादलों और धूल की आंधियों को स्टडी करेगा और इसका Ultraviolet Spectrometer ऊपरी वायुमंडल में गैसों को मॉनिटर करेगा। दो साल के मिशन के दौरान होप हर दिन के मौसम में बदलाव और सीजन्स के आने-जाने को ट्रैक करेगा। मिशन के दौरान यह भी पता लगाया जाएगा कि कैसे वायुमंडल की वजह से हाइड्रोजन और ऑक्सिजन स्पेस में जाती है। इससे वैज्ञानिक मंगल की जलवायु को समझ सकेंगे और इस राज से भी पर्दा उठेगा कि कभी काफी घना रहा मंगल का वायुमंडल आखिर कैसे खत्म हो गया। इससे भविष्य में दूसरे ह्यूमन मिशन्स की तैयारी में मदद मिलेगी।पूरी दुनिया के साथ डेटा शेयर
UAE में अडवांस्ड साइंसेज की मिनिस्टर और इस प्रॉजेक्ट की साइंस लीड सारा-अल अमीरी का कहना है कि उनकी टीम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से अपना लक्ष्य तैयार किया है और इससे मिलने वाले डेटा को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ शेयर किया जाएगा। मंगल मिशन के लिए NASA की जेट प्रोपल्शन लैबरेटरी के चीफ साइंटिस्ट रिचर्ड जुरेक का कहना है कि UAE इस मिशन पर सिर्फ अपनी टेक्नॉलजी दिखाने के लिए नहीं बल्कि मंगल के बारे में वैज्ञानिक समझ बढ़ाने के लिए काम कर रहा हैयुवाओं में बढ़े स्पेस में दिलचस्पी
इस मिशन के लिए देश के मोहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर में NASA के पुराने मिशन्स पर काम कर चुके अनुभवी इंजिनियरों ने होप को डिजाइन किया। खास बात यह है कि इस स्पेस मिशन का आइडिया वैज्ञानिकों नहीं बल्कि सरकार की ओर से आया। इससे 2 दिसंबर 2021 से पहले पूरा रने का लक्ष्य बनाया गया जो देश की 50वीं सालगिरह होगी। मिशन के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर ओमरान शराफ का कहना है कि सरकार इसके जरिए युवाओं को प्रेरित करना चाहती है और अपनी इकॉनमी को ज्ञान पर आधारित करना चाहती है। अच्छी बात ये है कि इसका असर अभी से दिखने लगा है। अब यूनिवर्सिटी प्योर साइंस में 5 नए अंडरग्रैजुएट कोर्स ऑफर कर रही हैं और युवाओं की स्पेस साइंस में दिलचस्पी बढ़ने लगी है। उम्मीद है कि UAE का मिशन होप देश के स्पेस साइंस में और आगे जाने की होप पर खरा उतरेगा।
दूसरे देशों के रोवर से ऐसे अलगअपने आलीशान स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग के लिए मशहूर UAE जापान के कागोशिमा में तानिगाशिमा स्पेस सेंटर से अपने ऑर्बिटर Hope को लॉन्च करने के लिए तैयार है। इसका लक्ष्य है मंगल का पहला ग्लोबल वेदर मैप भी तैयार करना। ये मिशन इसलिए खास है क्योंकि इससे पहले के रोवर मंगल के चक्कर ऐसे काटते थे कि वह दिन के सीमित वक्त में ही उसके हर हिस्से को मॉनिटर कर पाते थे। इससे अलग होप का ऑर्बिट अंडाकार है जिसे पूरा करने में इस रोवर को 55 घंटे लगेंगे। इसकी वजह से यह मंगल के हिस्सों पर दिन और रात में ज्यादा समय के लिए नजर रख सकेगा। मंगल के एक साल में यह हर हिस्से पर पूरे दिन नजर रखेगा। ऐसे करेगा लाल-ग्रह की स्टडी
होप का विजिबल लाइट कैमरा और Infrared Spectrometer मंगल के निचले वायुमंडल में बादलों और धूल की आंधियों को स्टडी करेगा और इसका Ultraviolet Spectrometer ऊपरी वायुमंडल में गैसों को मॉनिटर करेगा। दो साल के मिशन के दौरान होप हर दिन के मौसम में बदलाव और सीजन्स के आने-जाने को ट्रैक करेगा। मिशन के दौरान यह भी पता लगाया जाएगा कि कैसे वायुमंडल की वजह से हाइड्रोजन और ऑक्सिजन स्पेस में जाती है। इससे वैज्ञानिक मंगल की जलवायु को समझ सकेंगे और इस राज से भी पर्दा उठेगा कि कभी काफी घना रहा मंगल का वायुमंडल आखिर कैसे खत्म हो गया। इससे भविष्य में दूसरे ह्यूमन मिशन्स की तैयारी में मदद मिलेगी।पूरी दुनिया के साथ डेटा शेयर
UAE में अडवांस्ड साइंसेज की मिनिस्टर और इस प्रॉजेक्ट की साइंस लीड सारा-अल अमीरी का कहना है कि उनकी टीम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से अपना लक्ष्य तैयार किया है और इससे मिलने वाले डेटा को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ शेयर किया जाएगा। मंगल मिशन के लिए NASA की जेट प्रोपल्शन लैबरेटरी के चीफ साइंटिस्ट रिचर्ड जुरेक का कहना है कि UAE इस मिशन पर सिर्फ अपनी टेक्नॉलजी दिखाने के लिए नहीं बल्कि मंगल के बारे में वैज्ञानिक समझ बढ़ाने के लिए काम कर रहा हैयुवाओं में बढ़े स्पेस में दिलचस्पी
इस मिशन के लिए देश के मोहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर में NASA के पुराने मिशन्स पर काम कर चुके अनुभवी इंजिनियरों ने होप को डिजाइन किया। खास बात यह है कि इस स्पेस मिशन का आइडिया वैज्ञानिकों नहीं बल्कि सरकार की ओर से आया। इससे 2 दिसंबर 2021 से पहले पूरा रने का लक्ष्य बनाया गया जो देश की 50वीं सालगिरह होगी। मिशन के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर ओमरान शराफ का कहना है कि सरकार इसके जरिए युवाओं को प्रेरित करना चाहती है और अपनी इकॉनमी को ज्ञान पर आधारित करना चाहती है। अच्छी बात ये है कि इसका असर अभी से दिखने लगा है। अब यूनिवर्सिटी प्योर साइंस में 5 नए अंडरग्रैजुएट कोर्स ऑफर कर रही हैं और युवाओं की स्पेस साइंस में दिलचस्पी बढ़ने लगी है। उम्मीद है कि UAE का मिशन होप देश के स्पेस साइंस में और आगे जाने की होप पर खरा उतरेगा।