Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस सत्र की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस बार सत्र के दौरान संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ का अवसर भी विशेष रूप से मनाया जाएगा। 26 नवंबर को संविधान दिवस पर संसद के सेंट्रल हॉल में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश के संविधान की विशेषताओं को सम्मानित किया जाएगा।
21 बैठकों में होंगे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श
शीतकालीन सत्र में 21 बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और पारित होने की संभावना है। इनमें वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा प्रमुख मानी जा रही है, जिसमें संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए बदलाव प्रस्तावित किए जा सकते हैं। इसके अलावा, सरकार पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा तनाव को कम करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में संसद को सूचित कर सकती है। इस क्षेत्र में हाल ही में कई कूटनीतिक और सुरक्षा आधारित निर्णय लिए गए हैं, जिन पर संसद में चर्चा संभावित है।
2024 के शीतकालीन सत्र का राजनीतिक महत्व
इस सत्र का एक विशेष महत्व यह भी है कि यह इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों के बाद पहला शीतकालीन सत्र है। इसके अलावा, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए चुनावों के बाद होने वाला यह सत्र सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और संभावित हंगामे का गवाह बन सकता है। महाराष्ट्र और झारखंड में भी इसी दौरान विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं, जिनका असर संसद के भीतर और बाहर की राजनीति पर पड़ना तय है। इन चुनावी परिणामों से विपक्ष को कुछ प्रमुख मुद्दों पर सरकार को घेरने का अवसर मिल सकता है।
संविधान दिवस के अवसर पर विशेष चर्चा
इस सत्र का विशेष आकर्षण संविधान दिवस पर संसद के सेंट्रल हॉल में होने वाला कार्यक्रम होगा। 26 नवंबर को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर होने वाला यह कार्यक्रम भारतीय लोकतंत्र, संविधान और उसके मूल्यों का सम्मान करने का एक अवसर प्रदान करेगा। उम्मीद है कि इस विशेष अवसर पर संविधान की प्रस्तावना, अधिकार और कर्तव्यों के महत्व पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी, जिससे जनता में संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
सत्र में विपक्ष की भूमिका
इस बार शीतकालीन सत्र में विपक्ष के पास कई मुद्दे हैं जिन पर वे सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी में हैं। महंगाई, बेरोजगारी, सीमा सुरक्षा और चीन के साथ बढ़ते तनाव जैसे मुद्दे चर्चा के प्रमुख विषय हो सकते हैं। साथ ही, वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर विपक्ष अपनी चिंताओं को भी व्यक्त कर सकता है, जो कि अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़े मामलों में बदलाव ला सकता है।
शीतकालीन सत्र: संभावित निष्कर्ष और प्रभाव
शीतकालीन सत्र का यह चरण महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने और नीतिगत चर्चाओं के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। आगामी चुनावी वर्ष को देखते हुए सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहसें और वैचारिक मतभेद संसद में देखने को मिल सकते हैं। यह सत्र केवल विधायी गतिविधियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवसर के चलते जनमानस में संविधान और लोकतंत्र की मूल्यवत्ता को और गहराई से उकेरने का काम करेगा।ऐसे में, संसद का यह शीतकालीन सत्र जनता के लिए न केवल विधायी कार्यों का साक्षी बनेगा, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूत नींव को समझने का अवसर भी प्रदान करेगा।