दुनिया / 15 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात पहली बार लॉन्च करेगा अपना मंगल मिशन

अरब देशों की दुनिया में संयुक्त अरब अमीरात पहला देश होगा जो मंगल ग्रह के लिए मिशन लॉन्च करेगा। अगले 40 दिनों में यूनाइटेड अरब अमीरात अपना मंगल मिशन लॉन्च कर देगा। यह मिशन अगले साल फरवरी तक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचेगा। यूएई इस मिशन के जरिए बताना चाहता है कि वह भी अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में आगे बढ़ रहा है।

AajTak : Jun 09, 2020, 04:41 PM
संयुक्त अरब: अरब देशों की दुनिया में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहला देश होगा जो मंगल ग्रह के लिए मिशन लॉन्च करेगा। अगले 40 दिनों में यूनाइटेड अरब अमीरात अपना मंगल मिशन लॉन्च कर देगा। यह मिशन अगले साल फरवरी तक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचेगा। यूएई इस मिशन के जरिए बताना चाहता है कि वह भी अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में आगे बढ़ रहा है। 

संयुक्त अरब अमीरात 15 जुलाई को अपना 'होप मार्स मिशन' लॉन्च करेगा। इसकी तैयारी 2014 से चल रही थी। इस मिशन के प्रोजेक्ट मैनेजर ओमरान शराफ ने बताया कि हम चाहते हैं कि यूएई दुनिया के उन देशों में गिना जाए जो मंगल तक पहुंच चुके हैं। 

ओमरान ने बताया कि हम मंगल ग्रह पर सैटेलाइट, रोवर या रोबोट उतारने वाले नहीं है। बल्कि, मंगल ग्रह के चारों तरफ उसकी कक्षा में चक्कर लगाने वाला सैटेलाइट लॉन्च करेंगे। जो हमें पूरे मार्शियन ईयर और वहां के क्लाइमेट की जानकारी देगा।

इस मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर सारा-अल-अमीरी ने बताया कि यूएई का मंगल मिशन बताएगा कि मंगल ग्रह के वातावरण में लगातार हो रहे बदलावों की वजह क्या है। मंगल ग्रह की सतह पर कितना ऑक्सीजन और हाइड्रोजन है। 

साराह ने बताया कि मंगल ग्रह से मिलने वाले डेटा को हम दुनिया भर के 200 से ज्यादा संस्थानों को स्टडी करने के लिए देंगे। इसमें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी शामिल है। इसके अलावा हमारे देश में भी मंगल ग्रह से मिलने वाले आंकड़ों की जांच होगी और स्टडी की जाएगी। 

आपको बता दें जुलाई में ही चीन और अमेरिका भी अपने मंगल मिशन लॉन्च करने वाले हैं। लेकिन चीन और अमेरिका के मिशन का संयुक्त अरब अमीरात के मिशन से कोई लेना-देना नहीं होगा। तीनों देशों का लॉन्च विंडों एक है, लेकिन लॉन्चिंग अलग-अलग होगी। 

ओमरान शराफ कहते हैं कि 50 साल पहले देश बने संयुक्त अरब अमीरात के पास पैसा तो बहुत है। लेकिन अब इंजीनियरिंग टैलेंट और साइंटिफिक बेस भी है। 50 फीसदी मंगल मिशन फेल हो जाते हैं। इसलिए मैं सफलता की गारंटी नहीं लेता लेकिन प्रयास पूरा करेंगे।