Dainik Bhaskar : Jul 23, 2019, 11:37 AM
वॉशिंगटन. अमेरिकी विदेश विभाग ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान का बचाव किया है जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार होने की बात की थी। विभाग के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर मामला भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और अमेरिका इन दोनों देशों की बातचीत के लिए साथ बैठने का स्वागत करता है। दोनों देश कश्मीर मुद्दे को मिलकर सुलझाएंगे: जयशंकरइस बीच मंगलवार को संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मोदी ने कभी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मध्यस्थता के लिए नहीं कहा। कश्मीर भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे दोनों देश मिलकर सुलझाएंगे। पाकिस्तान पहले आतंकवाद पर लगाम लगाए। कश्मीर मसले पर शिमला और लाहौर संधि के जरिए ही आगे बढ़ेंगे।‘बातचीत के लिए पाक को आतंक पर लगाम लगानी होगी’अमेरिकीविदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के लिए चर्चा का मुद्दा है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन इसमें दोनों देशों की मदद के लिए तैयार है। बयान में कहा गया कि पाकिस्तान को भारत से बातचीत बढ़ाने के लिए आतंक को खत्म करना होगा। इसके लिए उसे कुछ स्थिर कदम उठाने की जरूरत है।अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक- हमारी दशकों से यही नीति रही है कि कश्मीर भारत-पाक के बीच का मुद्दा है और इन दोनों देशों को ही बातचीत की दिशा तय करनी है। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि उन्हें कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर के खुशी होगी। ट्रम्प ने यह भी कहा कि हालिया मीटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कहा था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के इन दावों को नकारते हुए कहा था कि मोदी की तरफ से कभी ऐसी कोई मांग नहीं की गई। भारत अपने निर्णय पर कायम है। पाकिस्तान के साथ सारे मसले द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही हल किए जाएंगे। पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत के लिए उसका सीमा पार आतंकवाद बंद करना जरूरी है। इस पर अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, “हम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और बातचीत का माहौल बनाने की कोशिशों का समर्थन करते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी बात है आतंकवाद का खात्मा और जैसा की राष्ट्रपति ने कहा- हम इसमें मदद के लिए तैयार हैं।”