Pahalgam Terror Attack / वीजा रद्द, सिंधु जल समझौता खत्म... पहलगाम हमले के बाद हुए ये 5 बड़े फैसले

22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले पर प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में CCS की बैठक हुई। पाकिस्तान से सिंधु जल संधि स्थगित, अटारी चेकपोस्ट बंद, पाक नागरिकों के SVES वीज़ा रद्द किए गए। पाक उच्चायोग से सैन्य अधिकारियों को निष्कासित किया गया।

Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। इस दर्दनाक घटना के बाद देश की शीर्ष नेतृत्व ने त्वरित और निर्णायक कदम उठाने का संकेत दिया है। बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की एक आपात बैठक प्रधानमंत्री आवास पर बुलाई गई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कई अहम और कड़े फैसले लिए गए।

उच्चस्तरीय बैठक में शामिल हुए शीर्ष नेता

बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बैठक में विस्तृत जानकारी साझा की और इसके बाद मीडिया को लिए गए निर्णयों से अवगत कराया।

लिए गए प्रमुख फैसले:

1. सिंधु जल संधि स्थगित:
1960 की ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। यह निर्णय तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करना पूरी तरह से और विश्वसनीय तरीके से बंद नहीं करता।

2. अटारी चेक पोस्ट बंद:
भारत-पाकिस्तान के बीच स्थित अटारी एकीकृत चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद किया गया है। हालांकि, जो लोग वैध अनुमति के साथ पहले ही सीमा पार कर चुके हैं, उन्हें 1 मई 2025 तक लौटने की अनुमति दी गई है।

3. SAARC वीजा छूट योजना रद्द:
पाकिस्तानी नागरिक अब SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत की यात्रा नहीं कर सकेंगे। पूर्व में जारी किए गए सभी SVES वीजा रद्द माने जाएंगे और भारत में मौजूद ऐसे वीजाधारकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा।

4. पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य अधिकारियों को निष्कासित किया गया:
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को 'अवांछित व्यक्ति' घोषित किया गया है और उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।

5. भारतीय सलाहकारों की वापसी:
भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाने का फैसला लिया है। इसके साथ ही दोनों देशों के उच्चायोगों में कार्यरत कुल कर्मचारियों की संख्या को घटाकर 30 कर दिया जाएगा, जो वर्तमान में 55 है।

त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की मिसाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में छोड़कर देश लौटने का निर्णय लिया और तुरंत सुरक्षा मामलों की इस उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। वहीं गृह मंत्री अमित शाह पहले ही मंगलवार को श्रीनगर पहुंचकर स्थानीय स्थिति का जायजा ले चुके थे और बुधवार को दिल्ली लौटकर CCS बैठक में शामिल हुए।

सरकार का स्पष्ट संदेश: आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता

इस बैठक के बाद केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की नीति आतंकवाद के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की है और देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह कदम न केवल हमले के पीड़ितों के प्रति एकजुटता दर्शाते हैं, बल्कि पाकिस्तान को कड़ा संदेश भी देते हैं कि आतंक के समर्थन की कोई कीमत चुकानी ही होगी।

इस निर्णय के साथ भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और कोई भी आतंकी हमला देश की अखंडता और संप्रभुता को कमजोर नहीं कर सकता।