Dainik Bhaskar : Jul 26, 2019, 11:09 AM
बेंगलुरु। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा शुक्रवार को राज्यपाल वजुभाई वाला से मिलने राजभवन पहुंचे। उन्होंने कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश किया। शपथ ग्रहण समारोह शाम 6 बजे होगा। इससे पहले 23 जुलाई को विधानसभा में कुमारस्वामी बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। विश्वास मत प्रस्ताव गिरने से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार सिर्फ 14 महीने ही चल पाई। येदियुरप्पा सरकार बनाने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे थे। सरकार बनाने की रणनीति पर चर्चा के लिए बुधवार को कर्नाटक के भाजपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिला था। इसमें भाजपा नेता जगदीश शेट्टार और अरविंद लिम्बावली समेत वरिष्ठ नेता शामिल थे।
येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल गठन चुनौतीपूर्ण
भावी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल का गठन सबसे बड़ी चुनौती होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 बागियों समेत 56 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने 3 या इससे ज्यादा चुनाव जीते हैं। इन सभी को उम्मीद है कि नई सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या फिर बड़ा रोल। लेकिन, कर्नाटक में मुख्यमंत्री समेत केवल 34 पद स्वीकृत हैं। बताया जा रहा है कि येदि बागियों समेत इन वरिष्ठों को भी नाराज करना नहीं चाहते।
चार दिन चर्चा के बाद फ्लोर टेस्ट में फेल हुए थे कुमारस्वामी
23 जुलाई की शाम को कुमारस्वामी सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई थी। विश्वास मत के दौरान स्पीकर को हटाकर सदन में विधायकों की संख्या 204 थी। बहुमत के लिए 103 का आंकड़ा जरूरी था। कांग्रेस-जेडीएस के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। कुमारस्वामी 14 महीने से 116 विधायकों के साथ सरकार चला रहे थे, लेकिन इसी महीने 15 विधायक बागी हो गए। यहीं से सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं।
येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल गठन चुनौतीपूर्ण
भावी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल का गठन सबसे बड़ी चुनौती होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 बागियों समेत 56 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने 3 या इससे ज्यादा चुनाव जीते हैं। इन सभी को उम्मीद है कि नई सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या फिर बड़ा रोल। लेकिन, कर्नाटक में मुख्यमंत्री समेत केवल 34 पद स्वीकृत हैं। बताया जा रहा है कि येदि बागियों समेत इन वरिष्ठों को भी नाराज करना नहीं चाहते।
चार दिन चर्चा के बाद फ्लोर टेस्ट में फेल हुए थे कुमारस्वामी
23 जुलाई की शाम को कुमारस्वामी सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई थी। विश्वास मत के दौरान स्पीकर को हटाकर सदन में विधायकों की संख्या 204 थी। बहुमत के लिए 103 का आंकड़ा जरूरी था। कांग्रेस-जेडीएस के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। कुमारस्वामी 14 महीने से 116 विधायकों के साथ सरकार चला रहे थे, लेकिन इसी महीने 15 विधायक बागी हो गए। यहीं से सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं।