Vikrant Shekhawat : Oct 10, 2021, 06:11 AM
खीरी कांड में नामजद अभियुक्त केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा को शनिवार रात 10:50 बजे गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 12 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। देर रात 12:48 बजे उसे जेल भेज दिया गया। शासन द्वारा बनाई गई विशेष पर्यवेक्षण समिति के डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने पुलिस लाइन स्थित क्राइम ब्रांच के कार्यालय के बाहर आकर बताया कि हत्याभियुक्त के तौर पर जांच में सहयोग न करने पर आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की गई है। देर रात आशीष की क्राइम ब्रांच कार्यालय में ही एसडीएम की उपस्थिति में मेडिकल जांच कराई गई। रात करीब 12.30 बजे क्राइम ब्रांच के कार्यालय से निकालकर उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। यहां पुलिस ने उसका तीन दिन का रिमांड मांगा। बचाव पक्ष के वकील ने इसका विरोध किया। इस पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने आशीष को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी। इससे पहले शनिवार की सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी का पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू क्राइम ब्रांच कार्यालय के सामने अचानक हाजिर हो गया, जबकि उसके समर्थक उनके पिता के संसदीय कार्यालय के नीचे मौजूद थे। आशीष मिश्रा के साथ लखीमपुर सदर विधायक योगेश वर्मा, अजय मिश्रा टेनी के प्रतिनिधि अरविंद सिंह संजय और जितेंद्र सिंह जीतू आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को लेकर पुलिस लाइन के दफ्तर में आए। सदर विधायक और अरविंद सिंह संजय आगे चल रहे थे और मोनू उनके पीछे-पीछे लंबे लंबे कदमों से क्राइम ब्रांच के दफ्तर की ओर बढ़ते चले आ रहे थे। क्राइम ब्रांच ऑफिस के बाहर खड़ी मीडिया ने मोनू को देखा तो उनकी ओर प्रतिक्रिया लेने के लिए दौड़ी। इससे पहले कि मोनू कुछ कह पाते पुलिस के दो सिपाही उनको लेकर क्राइम ब्रांच के दफ्तर की ओर लेकर बढ़ चले। जबरदस्त धक्का-मुक्की के बीच अरविंद सिंह और आशीष मिश्रा मोनू क्राइम ब्रांच के दफ्तर के भीतर घुस गए।बाद में एक बैग देकर अरविंद सिंह संजय बाहर आ गए। डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल पहले से ही ऑफिस में मौजूद थे। आशीष मिश्रा के पेश हो जाने के बाद एसपी विजय ढुल, एडिशनल एसपी अरुण कुमार सिंह मौके पर पहुंच गए। इसके अलावा पुलिस विशेष जांच कमेटी के सदस्य पीएसी सेनानायक सुनील सिंह, सीओ गोला संजय नाथ तिवारी आदि भी क्राइम ब्रांच के ऑफिस के अंदर चले गए। इसके बाद दरवाजा बंद हो गया और पूछताछ शुरू हो गई। आशीष मिश्रा से हो रही पूछताछ कई राउंड तक चली। पहले अन्य अधिकारियों ने आशीष मिश्रा से सवाल पूछे और उसके बाद डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने खुद कमान संभाली। डीआईजी और पुलिस जांच कमेटी ने आशीष मिश्रा से हर वह सवाल पूछा, जिसका जवाब पुलिस तलाश रही थी। सूत्रों के मुताबिक, बंद कमरे के अंदर आशीष मिश्रा इस बात का सबूत बार-बार दे रहे थे कि वह घटनास्थल पर थे ही नहीं। उन्होंने इस बात को साबित करने के लिए कई वीडियो और शपथ पत्र प्रस्तुत किए। इसके बाद पुलिस के सवालों का चक्रव्यूह बढ़ता गया। कई चरणों में चार-चार अधिकारियों ने मोनू से क्रॉस प्रश्न किये। जिनका जवाब देने के लिए आशीष मिश्रा मोनू को तमाम वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत करने पड़े। साथ ही उन लोगों की कथित तौर पर दी गई गवाही के कागज भी पेश करने पड़े।