नई दिल्ली. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister of India Narendra Singh Tomar) ने 10,000 एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठनों (FPO- Farmer Producer Organisations ) के गठन और संवर्धन के लिए नए दिशा-निर्देशों की बुकलेट जारी की. उन्होंने कहा, साल 2023-24 तक कुल 10,000 एफपीओ का गठन किया जाना है. 5 साल के लिए प्रत्येक एफपीओ को सहायता दी जाएगी. सरकार इस पर कुल 6,866.00 करोड़ रुपये खर्च करेगी. उन्होंने राज्यों को आश्वस्त किया कि राज्यों को आवश्यक मदद/सहायता दी जाएगी ताकि एफपीओ को बढ़ावा दिया जा सके एवं केसीसी के माध्यम से किसानों को दी गई ऋण सुविधाओं में वृद्धि की जा सके.बैठक में कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि देशभर में 90 हजार से ज्यादा सहकारी समितियां हैं, जिनमें से 60 हजार के पास जमीन भी है और वे सक्षम भी हैं. इनके जरिए एफपीओ का गठन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए.
आम किसानों को होगा सीधा फायदा- एफपीओ लघु व सीमांत किसानों का एक समूह होगा, जिससे उससे जुड़े किसानों को न सिर्फ अपनी उपज का बाजार मिलेगा बल्कि खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण आदि खरीदना आसान होगा. सेवाएं सस्ती मिलेंगी और बिचौलियों के मकड़जाल से मुक्ति मिलेगी.
अगर अकेला किसान अपनी पैदावार बेचने जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को मिलता है. एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, क्योंकि बारगेनिंग कलेक्टिव होगी.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक ये 10,000 नए एफपीओ 2019-20 से लेकर 2023-24 तक बनाए जाएंगे. इससे किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ेगी.
कैसे मिलेंगे 15 लाख रुपये (What are Farmer Producer Organisations)- राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद ने बताया कि सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एफपीओ बनाने के लिए जाने माने अर्थशास्त्री डॉ वाईके अलघ के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी. इसके तहत कम से 11 किसान संगठित होकर अपनी एग्रीकल्चर कंपनी या संगठन बना सकते हैं. मोदी सरकार जो 15 लाख रुपये देने की बात कर रही है उसका फायदा कंपनी का काम देखकर तीन साल में दिया जाएगा.
क्या होता है एफपीओ (What is FPO)- एफपीओ यानी किसानी उत्पादक संगठन (कृषक उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह होगा, जो कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाएगा. एक समूह बनाकर आप कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड करवा सकते हैं.
अभी कितनी किसान कंपनियां- एफपीओ का गठन और बढ़ावा देने के लिए अभी लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) काम कर रहे हैं. दोनों संस्थाओं के मिलाकर करीब पांच हजार एफपीओ रजिस्टर्ड हैं. मोदी सरकार इसे और बढ़ाना चाहती है. इसलिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को भी इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है.
एफपीओ बनाकर पैसा लेने की शर्तें
(1) अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है तो कम से कम 300 किसान उससे जुड़े होने चाहिए. यानी एक बोर्ड मेंबर पर कम से कम 30 लोग सामान्य सदस्य हों. पहले 1000 था.
(2) पहाड़ी क्षेत्र में एक कंपनी के साथ 100 किसानों का जुड़ना जरूरी है. उन्हें कंपनी का फायदा मिल रहा हो.
(3) नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विसेज आपकी कंपनी का काम देखकर रेटिंग करेगी, उसके आधार पर ही ग्रांट मिलेगी.
(4) बिजनेस प्लान देखा जाएगा कि कंपनी किस किसानों को फायदा दे पा रही है. वो किसानों के उत्पाद का मार्केट उपलब्ध करवा पा रही है या नहीं.
(5) कंपनी का गवर्नेंस कैसा है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कागजी हैं या वो काम कर रहे हैं. वो किसानों की बाजार में पहुंच आसान बनाने के लिए काम कर रहा है या नहीं.
(6) अगर कोई कंपनी अपने से जुड़े किसानों की जरूरत की चीजें जैसे बीज, खाद और दवाईयों आदि की कलेक्टिव खरीद कर रही है तो उसकी रेटिंग अच्छी हो सकती है. क्योंकि ऐसा करने पर किसान को सस्ता सामान मिलेगा.