यूपी / येलो फंगस का पहला केस यूपी में दर्ज; डॉक्टर ने बताया- 'सामान्यतया यह सरीसृपों में मिलता है'

गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश) में एंडोस्कोपी टेस्ट के बाद एक 45-वर्षीय शख्स में येलो फंगस संक्रमण की पुष्टि हुई है। एक ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर बी.पी. त्यागी ने बताया कि मरीज़ तीन तरह (ब्लैक, वाइट और येलो) के फंगी (कवक) के संपर्क में आया था। उन्होंने कहा, "येलो फंगस सामान्यतया सरीसृपों में पाया जाता है...मुझे पहली बार यह इंसानों में मिला।"

Vikrant Shekhawat : May 24, 2021, 06:02 PM
गाजियाबाद: पूरा देश पहले ही कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर और उसके बाद आए ब्‍लैक फंगस (Black Fungus) एवं व्‍हाइट फंगस (White Fungus) से त्रस्‍त है. वहीं अब देश में येलो फंगस (Yellow Fungus) ने भी दस्‍तक दे दी है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (Ghaziabad) में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. येलो फंगस का शिकार हुए इस मरीज का फिलहाल गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.

ये हैं Yellow Fungus के लक्षण 

हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA के अनुसार विशेषज्ञों ने इस फंगस के लक्षण भी बता दिए हैं. येलो फंगस के मरीज को सुस्ती, भूख कम होना या बिल्कुल भूख न लगने जैसे शुरुआती लक्षण आते हैं. साथ ही मरीज का वजन भी कम होने लगता है. वहीं गंभीर मामलों में मवाद आने, घावों के धीमी गति से ठीक होने, कुपोषण, अंगों का काम करना बंद करने जैसे स्थिति पैदा हो जाती है. इसके मरीज की आंखें भी अंदर धंस जाती हैं. 

बाकी दोनों फंगस से है ज्‍यादा खतरनाक  

कहा जा रहा है कि यह येलो फंगस बाकी दोनों यानी कि ब्‍लैक और व्‍हाइट फंगस से ज्‍यादा खतरनाक है क्‍योंकि यह घातक बीमारी शरीर के अंदर शुरू होती है और काफी बाद में इसके लक्षण बाहर दिखाई देते हैं. ऐसे में लक्षण दिखते ही तत्‍काल ट्रीटमेंट शुरू करें. 

येलो फंगस होने के कारण 

बाकी दोनों फंगस की तरह येलो फंगस का संक्रमण होने के पीछे का कारण भी गंदगी और नमी ही है. लिहाजा अपने घर के अंदर और आस-पास सफाई रखें. बैक्टीरिया और फंगस को विकसित होने से रोकने के लिए जितनी जल्दी हो सके पुराने खाद्य पदार्थों को हटा दें. इसके अलावा घर में नमी (humidity) का होना भी बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ाता है. घर में नमी को मापते रहें और इसे 30% से 40% से ज्‍यादा न होने दें.