केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पेश कर दिया है। इस विधेयक को लेकर संसद में तीखी बहस होने की संभावना है, क्योंकि विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया है, जबकि सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक है।
विपक्ष का विरोध और सरकार का पक्ष
विपक्षी दल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और अन्य ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस कानून के माध्यम से सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है, जो उनकी स्वायत्तता के खिलाफ है।
वहीं, सरकार का कहना है कि यह विधेयक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक को लाने से पहले ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में भेजा गया, जहां सभी हितधारकों की राय ली गई। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि एनडीए की सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करती है और बिना विचार-विमर्श के कोई भी निर्णय नहीं लेती।
लोकसभा में समीकरण और बिल के पारित होने की संभावना
लोकसभा में एनडीए का संख्याबल मजबूत है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास 293 सांसद हैं, जबकि किसी भी विधेयक के पारित होने के लिए 272 मतों की आवश्यकता होती है। सहयोगी दल जेडीयू, टीडीपी और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी सरकार के समर्थन का ऐलान कर दिया है, जिससे यह विधेयक आसानी से पारित होने की संभावना है।
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ इस बिल का जोरदार विरोध करने के लिए तैयार है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी और अन्य दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है।
आगे की राह
इस विधेयक पर लगभग आठ घंटे तक चर्चा होने की उम्मीद है, जिसके बाद मतदान किया जाएगा। अगर यह विधेयक लोकसभा में पारित हो जाता है, तो इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में भी भाजपा और उसके सहयोगी दलों की स्थिति मजबूत है, जिससे इसके पारित होने की संभावना अधिक है।
कुल मिलाकर, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 राजनीतिक विवादों के केंद्र में है और इसका प्रभाव आने वाले समय में देश की राजनीति और अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति पर देखने को मिल सकता है।