- भारत,
- 14-Apr-2025 11:40 AM IST
Bahujan Samaj Party: बसपा सुप्रीमो मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के बीच लंबे समय से चली आ रही सियासी तनातनी अब आखिरकार खत्म हो गई है। आंबेडकर जयंती से ठीक एक दिन पहले, आकाश आनंद ने सार्वजनिक रूप से मायावती से माफी मांगते हुए दोबारा पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई, और कुछ ही घंटों में मायावती ने बड़े दिल का परिचय देते हुए उन्हें माफ कर दिया। इस तरह, 3 मार्च को बसपा से निष्कासन के 41 दिन बाद आकाश की 'घर वापसी' हो गई।
सियासी खटास और रणनीतिक वापसी
आकाश आनंद को पार्टी से बाहर करने की वजह उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के राजनीतिक सलाह पर चलना था। लेकिन जिस तरह से यह विवाद सुलझा, वह यह दर्शाता है कि मामला केवल एक पारिवारिक मतभेद का नहीं था, बल्कि इसके पीछे गहराई से जुड़ी सियासी रणनीति भी थी। सूत्रों की मानें तो पर्दे के पीछे से यह 'माफीनामा' और 'वापसी' पहले से तय हो चुके थे, जिसे अमल में लाने के लिए बस एक सही मौके की तलाश थी—जो आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले मिला।
मायावती की सियासी मजबूरी या सूझबूझ?
मायावती को अच्छी तरह से अहसास है कि बसपा का भविष्य सुरक्षित हाथों में सौंपना ज़रूरी है, और वह हाथ आकाश आनंद के ही हो सकते हैं। आकाश न केवल उनके भतीजे हैं, बल्कि दलित युवाओं में उनकी एक मजबूत पकड़ भी बन चुकी है। ऐसे समय में जब चंद्रशेखर आज़ाद, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दल दलित वोटबैंक को लुभाने में जुटे हैं, मायावती के लिए आकाश आनंद की वापसी एक अहम रणनीतिक कदम साबित हो सकती है।
आकाश की वापसी: नया संदेश
आकाश आनंद की माफी और मायावती की स्वीकृति केवल पारिवारिक मेल-मिलाप का मामला नहीं है, बल्कि इससे एक स्पष्ट सियासी संदेश भी गया है—बसपा में युवाओं को नेतृत्व में स्थान मिल सकता है, लेकिन पार्टी अनुशासन सर्वोपरि है। आकाश ने अपने चार ट्वीट्स में यह स्वीकारा कि वह मायावती को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं और भविष्य में केवल पार्टी हित में ही कार्य करेंगे।
दलित राजनीति का बदलता परिदृश्य
आज की तारीख में दलित राजनीति एक नए मोड़ पर है। चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नेता दलित युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। सपा और कांग्रेस जैसे दल भी दलित एजेंडे पर अपना दावा मजबूत कर रहे हैं। ऐसे में मायावती के लिए अपनी कोर वोटबैंक को जोड़े रखना बड़ी चुनौती बन चुका है। आकाश आनंद की वापसी उसी चुनौती का एक जवाब है—युवाओं को फिर से बसपा से जोड़े रखने का प्रयास।
भविष्य की सियासी बिसात
आकाश आनंद अब बसपा के किसी पद पर नहीं हैं, लेकिन उनके लिए यह एक नया सियासी अध्याय है। उनका अगला रोल क्या होगा, यह आने वाले महीनों में साफ होगा, खासकर 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद। पर यह तय है कि वह अब बसपा की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय भूमिका निभाएंगे।