- भारत,
- 10-Apr-2025 10:43 AM IST
CM Rekha Gupta News: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने पुराने सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर उठे विवादों पर खुलकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने न केवल अपनी गलतियों को स्वीकार किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि एक इंसान के तौर पर वे भी परिपक्वता की यात्रा से गुजर रही हैं और अतीत की गलतियों से सीखने की प्रक्रिया जारी है।
"गलतियां सबसे होती हैं, मैं कोई अपवाद नहीं हूं"
रेखा गुप्ता ने कहा, “हर इंसान समय के साथ बदलता है। जब मैं छोटी थी, तब शायद मुझे अपनी भाषा पर वह नियंत्रण नहीं था, जो आज है।"
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कई मौकों पर उनसे ऐसी बातें निकल गईं, जो विवाद का कारण बनीं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि विधानसभा में एक बार कहानी सुनाते हुए उनके मुंह से 'ठुल्ला' शब्द निकल गया, जिसका किसी पुलिस अधिकारी या सैनिक को अपमानित करने का इरादा बिल्कुल नहीं था।
“मैं पुलिस और सेना के जवानों का बहुत सम्मान करती हूं। वे दिन-रात देश की सेवा में लगे रहते हैं, अपने परिवार और आराम को त्यागकर हमारे लिए काम करते हैं,” उन्होंने कहा।
"इरादा कभी गलत नहीं होता"
सीएम रेखा का मानना है कि कभी-कभी शब्दों का चयन गलत हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि इरादा भी गलत था। उन्होंने कहा, “हमें समय रहते अपनी गलतियों को पहचानना चाहिए और उनसे सीख लेनी चाहिए। मैं अपनी गलतियों को छिपाने में विश्वास नहीं रखती, बल्कि उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ने में विश्वास करती हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि “मैं कोई पूरी तरह से प्रशिक्षित मुख्यमंत्री नहीं हूं। मुझसे भी गलतियां होती हैं, और मैं उन्हें खुले दिल से स्वीकार करती हूं।”
अखिलेश यादव पर बयान और नया विवाद
हाल ही में रेखा गुप्ता उस समय फिर से सुर्खियों में आईं जब उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को "टोटी चोर" कह दिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने तीखा तंज कसा और कहा, “रेखा गुप्ता को ऐसी बातें कहने का आत्मविश्वास कहां से आता है?” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह पहली बार नहीं है, जब मुख्यमंत्री ने इस तरह की विवादास्पद टिप्पणियां की हैं—उन्होंने पहले भी अरविंद केजरीवाल पर आपत्तिजनक बातें कही थीं।
राजनीति में परिपक्वता की ओर एक कदम?
रेखा गुप्ता का यह इंटरव्यू दर्शाता है कि वह अपनी भूमिका को लेकर आत्मचिंतन कर रही हैं और सार्वजनिक जीवन में अपनी भाषा और आचरण को लेकर अब अधिक सचेत हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि "हम सभी इंसान हैं, और इंसान से गलतियां होती हैं। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम उन गलतियों से क्या सीखते हैं।”
यह स्वीकारोक्ति न केवल उनकी इंसानियत को दर्शाती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि भारतीय राजनीति में शायद अब सार्वजनिक रूप से जिम्मेदारी स्वीकारने और सुधार की इच्छा रखने वाले नेताओं की जरूरत और महत्व दोनों बढ़ते जा रहे हैं।
क्या रेखा गुप्ता का यह बदला हुआ रूप उनकी राजनीतिक छवि को नया आकार देगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि उन्होंने अपनी गलती स्वीकारने का साहस दिखाकर एक अलग उदाहरण जरूर पेश किया है।