Vikrant Shekhawat : Aug 12, 2020, 12:11 PM
- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कोरोना वैक्सीन की खोज का किया दावा
- रूस की इस खोज पर एम्स दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का बड़ा बयान
- उन्होंने कहा कि वैक्सीन की सेफ्टी से लेकर साइड इफेक्ट की जांच जरूरी
- बता दें कि अमेरिका, जर्मनी समेत कई देश रूस की वैक्सीन पर जता रहे हैं संदेह
कोरोना वैक्सीन के खोज के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के दावे के बाद पूरी दुनिया में इसपर अलग-अलग प्रतिक्रिया आई है। दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया (AIIMS Delhi Director Randeep Guleria ) ने कहा कि इस वैक्सीन की सेफ्टी से लेकर साइड इफेक्ट की जांच जरूरी है। उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर अमेरिका और जर्मनी जैसे देश रूस की वैक्सीन पर संदेह जता रहे हैं। WHO का कहना है कि रूस इस वैक्सीन को लेकर जरूरी डेटा साझा नहीं कर रहा है। बता दें कि दुनिया के कई देश कोविड-19 वैक्सीन (Corona Vaccine Latest Updates) के निर्माण में जुटे हैं। भारत में भी वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल स्टेज में पहुंच चुका है।कोविड-19 टीके की खरीद एवं प्रबंधन के क्रियान्वयन और नैतिक पहलुओं पर विचार करने के लिए नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति बुधवार (12 अगस्त) को बैठक करेगी। यह समिति टीके के प्रबंधन, वितरण और कोल्ड चेन क्रियान्वयन और टीका देने वाले लोगों को प्रशिक्षित करने को प्राथमिकता देने के पहलुओं पर रणनीति तैयार करेगी। कोरोना वैक्सीन के लिए रूस से टाईअप करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार (11 अगस्त) को यह जानकारी दी।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि उसके पास अभी तक रूस के ज़रिए विकसित किए जा रहे कोरोना वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं है कि वो इसका मूल्यांकन करे. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्गत आने वाले पैन-अमैरिकन हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के सहायक निदेशक जरबास बारबोसा ने कहा कि, "कहा जा रहा है कि ब्राज़ील वैक्सीन बनाना शुरू करेगा. लेकिन जब तक और ट्रायल पूरे नहीं हो जाते ये नहीं किया जाना चाहिए." उनका कहना था, वैक्सीन बनाने वाले किसी को भी इस प्रक्रिया का पालन करना है जो कि ये सुनिश्चित करेगा कि वैक्सीन सुरक्षित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसकी सिफ़ारिश की है. पिछले हफ़्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस से आग्रह किया था कि वो कोरोना के ख़िलाफ़ वैक्सीन बनाने के लिए वो अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन का पालन करे.रूसी वैक्सीन से संबंधित वेबसाइट ने दावा करते हुए उन देशों के नामों को बताया है, जिन्होंने स्पूतनिक वी को खरीदने में इच्छा जताई है। इसमें भारत, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील, मैक्सिको आदि देश शामिल हैं। वेबसाइट का कहना है कि साल 2020 के अंत तक, 20 करोड़ कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की योजना है। इसमें से 3 करोड़ डोज रूस खुद के लिए रखेगा।माना जा रहा है कि वैक्सीन का बड़े स्तर पर उत्पादन इस साल के सितंबर में शुरू हो जाएगा। वेबसाइट कहती है कि आरडीआईएफ वैक्सीन में मजबूत वैश्विक रूचि देख रहा है। उसकी योजना फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल कई अन्य देशों में करने की है। इन देशों में सऊदी अरब, ब्राजील, भारत, फिलीपींस आदि शामिल हैं। भारत समेत इन देशों में भी हो सकता है वैक्सीन का उत्पादनवेबसाइट के अनुसार, बड़े पैमाने पर वैक्सीन का उत्पादन भारत, दक्षिण कोरिया और ब्राजील के साथ-साथ सऊदी अरब, तुर्की और क्यूबा सहित देशों में स्थानीय संप्रभु धन निधियों के साथ शुरू किया जा सकता है। इससे पहले, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उनके देश ने कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली वैक्सीन बना ली है, जो कोविड-19 से निपटने में 'बहुत प्रभावी ढंग' से काम करती है और एक स्थायी रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करती है। रूसी वैक्सीन पर अमेरिका को संदेहरूसी वैक्सीन पर अमेरिका ने संदेह जताया है। पुतिन की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने कहा है कि कोविड-19 का पहला टीका बनाने की जगह कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित टीका बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। ताइवान की यात्रा पर पहुंचे अजार से एबीसी ने मंगलवार को पूछा कि रूस की इस घोषणा के बारे में वह क्या सोचते हैं कि वह कोरोना वायरस के टीके का पंजीकरण करने वाला पहला देश बन गया है। अजार ने कहा, 'विषय पहले टीका बनाने का नहीं है। विषय ऐसा टीका बनाने का है जो अमेरिकी लोगों और विश्व के लोगों के लिए सुरक्षित तथा प्रभावी हो।'पुतिन की बेटी को लगाई गई वैक्सीनरूस की कोरोना वैक्सीन 'स्पूतनिक-वी' राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बेटी को भी लगाई गई है। पुतिन ने मंगलवार को खुलासा किया कि उनकी बेटियों में से एक को यह टीका पहले ही दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, 'पहले टीके के बाद उनकी बेटी के शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था, अगले दिन यह 37 डिग्री सेल्सियस से थोड़ा अधिक था। दूसरे टीके के बाद उसका तापमान कुछ बढ़ा और फिर सब ठीक हो गया। वह अच्छा महसूस कर रही है और एंटीबॉडी स्तर अधिक है।'एम्स डायरेक्टर बोले, सेफ्टी की जांच जरूरीगुलेरिया ने कहा, 'हमें देखना पड़ेगा कि रूसी वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव हो। सेफ का मतलब कि उससे कोई साइड इफेक्ट नहीं हो और इफेक्टिव का मतलब कि वैक्सीन इम्युनिटी को बढ़ाती हो। अगर ये दोनों चीजें आती हैं तो बड़ा कदम होगा। भारत के पास यह क्षमता है कि वह इसका बडे़ पैमाने पर उत्पादन कर पाए। उससे वैक्सीन ट्रायल और प्रभावकारी होगी और यह जल्दी आ जाएगी।' उन्होंने कहा कि ये दोनों चीजें वैज्ञानिक दुनिया में साफ होनी चाहिए कि वैक्सीन सेफ और सुरक्षित है।दुनिया में 2 करोड़ से ज्यादा कोरोना मरीजबता दें कि दुनिया में कोरोना के 2 करोड़ से ज्यादा मरीज हो चुके हैं। इस जानलेवा बीमारी ने अबतक पूरी दुनिया में करीब साढ़े सात लाख लोगों को अपना शिकार बना चुकी है। भारत में कोरोना मरीजों की तादाद करीब 23 लाख पहुंच चुकी है। दुनिया के कई देश कोरोना वैक्सीन के निर्माण में जुटे हुए हैं।रूसी वैक्सीन में 20 देशों ने दिखाई है रूचि
रूस के कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत समेत दुनियाभर के 20 देशों ने रूचि दिखाई है। रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी को लेकर बनाए गए वेबसाइट पर दावा किया गया है कि यूएई, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील, मैक्सिको और भारत ने रूस की वैक्सीन को खरीदने की बात की है। इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनाने की तैयारी की जा रही है जिसमें से 3 करोड़ केवल रूसी लोगों के लिए होगी।