Russia-Syria News / रूस का सीरिया से परमानेंट पैकअप, अब लेगा इस मुस्लिम देश के जरिए बदला?

रूस ने सीरिया में अपने सैन्य ठिकानों को लीबिया में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है, जिससे मध्य पूर्व में उसका प्रभाव बढ़ सकता है। विद्रोहियों द्वारा असद सरकार के पतन के बाद, रूस अब लीबिया में अपने हथियारों और सैन्य उपकरणों को तैनात कर रहा है, जिससे NATO के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

Vikrant Shekhawat : Dec 20, 2024, 01:00 AM
Russia-Syria News: रूस के सबसे बड़े सहयोगी, बशर अल-असद, का शासन संकट में है। नवंबर 2024 के अंत तक स्थितियां इतनी बिगड़ीं कि महज 11 दिनों के भीतर विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया, और 23 साल से राष्ट्रपति पद पर काबिज असद को मॉस्को की शरण में जाना पड़ा। इस घटनाक्रम ने सीरिया में रूस की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं: क्या रूस अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखने के लिए विद्रोहियों से बातचीत करेगा, या फिर मिडिल ईस्ट में अपने एकमात्र रणनीतिक ठिकाने से हाथ धोएगा?

सीरिया से रूस की विदाई की दिशा

अमेरिकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने सीरिया से अपनी सैन्य उपस्थिति को धीरे-धीरे समेटना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस भले ही सीरिया से अपनी ताकत को खींच रहा हो, लेकिन उसने लीबिया में एक नया ठिकाना खोजा है, जो नाटो (NATO) के लिए नई चिंताओं का कारण बन सकता है।

रूस ने सीरिया में अपने प्रमुख सैन्य उपकरणों, जैसे S-400 और S-300 एयर डिफेंस सिस्टम, को लीबिया शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। अमेरिकी और लीबियाई अधिकारियों के अनुसार, रूस ने दमिश्क में असद सरकार के पतन के बाद मिडिल ईस्ट में अपनी मौजूदगी बनाए रखने के लिए संघर्ष किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के कार्गो विमानों ने सीरिया से लीबिया के पूर्वी हिस्से में स्थित खलीफा हफ्तार द्वारा नियंत्रित ठिकानों तक विमान भेजे हैं, जो इस बदलाव का संकेत देते हैं।

सीरिया में रूस के सबसे लंबे समय से स्थित ठिकानों का समापन

रूस ने 1971 में सीरिया के तट पर स्थित टारटस नेवल बेस स्थापित किया था, जो सोवियत क्षेत्र के बाहर रूस का एकमात्र आधिकारिक नेवल बेस था। 2015 में स्थापित किया गया हमेमिम एयर बेस, रूस के अफ्रीका में सैन्य गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक केंद्र बन गया था। सीरिया में असद सरकार के पक्ष में रूस की सैन्य सहायता ने सरकार विरोधी विद्रोहियों के खिलाफ महत्वपूर्ण मदद प्रदान की थी। हालांकि, अब रूस सीरिया से अपने सैन्य ठिकानों को शिफ्ट कर रहा है, जो रूस की मिडिल ईस्ट नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

लीबिया में रूस की बढ़ती हुई उपस्थिति

सीरिया से अपनी सैन्य उपस्थिति घटाने के बावजूद, रूस ने लीबिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। ब्रिटिश अखबार ‘द टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने लीबिया के एयर बेस में सुरक्षा उपायों को मजबूत किया है और यहां नए ढांचे बनाए हैं। रूस ने लीबिया में हफ्तार के नेतृत्व वाले गुट को सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया है, जो नाटो के लिए एक गंभीर चुनौती हो सकता है।

लीबिया में सुरक्षा स्थिति अस्थिर बनी हुई है, जहां सरकार विरोधी गुटों के बीच संघर्ष जारी है। रूस की गतिविधियों के कारण यह संघर्ष और भी गहरे जटिल हो सकते हैं। अगर रूस लीबिया में अपने सैन्य ठिकानों को स्थायी रूप से स्थापित करने में सफल होता है, तो यह नाटो के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा बन सकता है।

रूस का लीबिया में प्रभाव और नाटो की चिंता

कार्नीज इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल पीस के सीनियर फेलो फ्रेडरिक व्हेरे के मुताबिक, लीबिया में रूस का बढ़ता प्रभाव नाटो के लिए महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है। वह बताते हैं कि सीरिया में संघर्ष के समान लीबिया में भी रूस और तुर्की जैसी प्रमुख क्षेत्रीय ताकतों का प्रभाव बढ़ने से, संघर्ष फिर से बड़े पैमाने पर बढ़ सकता है।

रूस की लीबिया में उपस्थिति न केवल मिडिल ईस्ट बल्कि यूरोप और भूमध्य सागर के सुरक्षा पर भी असर डाल सकती है। विशेष रूप से, रूस अगर लीबिया में स्थायी सैन्य ठिकानों को स्थापित करने में सफल होता है, तो यह नाटो की रणनीतिक प्राथमिकताओं को चुनौती दे सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता को और भी अस्थिर बना सकता है।

निष्कर्ष

रूस के लिए सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति को समेटने के बाद, लीबिया में नई रणनीतिक भूमिकाओं की तलाश रूस की मिडिल ईस्ट नीति को पुनर्निर्धारित करने का संकेत देती है। लीबिया में रूस का कदम नाटो और पश्चिमी देशों के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है, और मिडिल ईस्ट में रूस के अगले कदमों का निर्धारण वैश्विक सुरक्षा पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।