- भारत,
- 14-Apr-2025 08:30 AM IST
Akshara Singh News: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की नामचीन अभिनेत्री अक्षरा सिंह आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। अपनी दमदार अदायगी, शानदार डांसिंग और दिलकश अंदाज से उन्होंने लाखों दिलों में खास जगह बनाई है। फिल्मों से लेकर म्यूजिक वीडियोज़ तक, हर जगह अक्षरा की मौजूदगी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। सोशल मीडिया पर भी उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है, जो उनकी ज़िंदगी के हर पहलू को जानने को बेकरार रहती है।
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अक्षरा सिंह ने न सिर्फ अपनी निजी और प्रोफेशनल ज़िंदगी पर खुलकर बात की, बल्कि भोजपुरी इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाइयों को भी बेझिझक सबके सामने रखा।
'पुष्पा' के बजट में हम बना लें तीन फिल्में
हिंदी रश को दिए एक इंटरव्यू में जब अक्षरा से भोजपुरी फिल्मों के बजट के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “भोजपुरी फिल्मों का बजट लगभग 2-3 लाख-करोड़ के आस-पास होता है, जो बेहद कम होता है। ऐसे में कम संसाधनों में एक अच्छी क्वालिटी की फिल्म बनाना मुश्किल हो जाता है और कई बार हम दर्शकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते।”
उन्होंने आगे फिल्म पुष्पा का उदाहरण देते हुए कहा, “पुष्पा जैसी फिल्मों का बजट इतना ज्यादा होता है कि उसमें हम शायद तीन भोजपुरी फिल्में बना सकते हैं। हमारे पास उस स्तर पर खर्च करने की क्षमता नहीं है।”
लेखक छोड़ देते हैं साथ, कहानियां रह जाती हैं अधूरी
अक्षरा सिंह ने इंडस्ट्री की एक और बड़ी कमजोरी की ओर इशारा किया – मजबूत स्क्रिप्ट्स और लेखकों की कमी। उन्होंने कहा, “अगर कोई अच्छा लेखक हमारे पास बढ़िया कहानी लेकर आता भी है, तो हम उसे उसकी मांग के मुताबिक पैसा नहीं दे पाते। ऐसे में वह प्रोजेक्ट हाथ से निकल जाता है। हमारे पास संसाधन नहीं हैं, जबकि दूसरी इंडस्ट्रीज़ में अच्छी स्क्रिप्ट पर निवेश करने की पूरी आज़ादी होती है।”
अक्षरा ने यह भी कहा कि भोजपुरी मेकर्स अब सिर्फ अपने निवेश का दो गुना मुनाफा कमाने की सोच में लगे रहते हैं। क्वालिटी, कंटेंट और कहानी पर फोकस करना अब प्राथमिकता नहीं रह गई है। इसी सोच ने इंडस्ट्री को आगे बढ़ने से रोक रखा है।
एक बेबाक आवाज़ जो बदलाव की उम्मीद जगाती है
अक्षरा सिंह की यह ईमानदार स्वीकारोक्ति न सिर्फ भोजपुरी इंडस्ट्री के वर्तमान हालात को उजागर करती है, बल्कि भविष्य में बदलाव की गुंजाइश की ओर भी इशारा करती है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर इंडस्ट्री के बड़े नाम सामने आकर इन मुद्दों पर खुलकर बात करें, तो चीज़ें बदल सकती हैं।
अक्षरा की बातें उन तमाम कलाकारों और क्रिएटिव पेशेवरों के लिए भी आवाज़ बनकर उभरी हैं, जो सीमित संसाधनों के बावजूद कुछ नया और बेहतर करना चाहते हैं।