News18 : Sep 23, 2020, 06:29 AM
नई दिल्ली। संसद ने टैक्सेशन और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में राहत और संशोधन) विधेयक, 2020 को मंजूरी (Taxation and Other Laws (Relaxation and Amendment of Certain Provisions) Bill, 2020) दे दी है। ये बिल उन अध्यादेशों का स्थान लेगा, जिनमें कई तरह की टैक्स छूट दी गई है। जैसे, वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return- ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख इस बार 30 नवंबर, 2020 कर दी गई है। साथ ही अगले साल तक टीडीएस (TDS) के लिए 25 फीसदी छूट दी जा रही है, जो 31 मार्च 2021 तक जारी रहेगी।
किस तरह के पेमेंट या आय पर लागू हो सकता है टीडीएसटीडीएस में दी गई 25 छूट सभी तरह के पेमेंट्स पर लागू होगी। इसमें कमीशन, ब्रोकरेज या किसी दूसरे तरह के पेमेंट शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में चर्चा के दौरान बताया कि इससे 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी लोगों के हाथों में रहेगी। साथ ही जिन लोगों के इनकम टैक्स रिफंड अब तक नहीं मिले, उन्हें जल्द भुगतान कर दिया जाएगा। बता दें कि टीडीएस विभिन्न तरह के आय के स्रोत पर काटा जाता है, जिसमें सैलरी, निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन शामिल हैं। टीडीएस शुरू करने का मकसद आय के स्रोत पर ही टैक्स काट लेना था।क्या है टीडीएस और किस तरह के लेनदेन पर नहीं होता है लागू
किसी व्यक्ति को टैक्स काटकर बाकी की रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई राशि को टीडीएस कहते हैं। सरकार लोगों की आय के स्रोत पर काटे गए टीडीएस (TDS) के जरिये टैक्स जुटाती है। बता दें कि टीडीएस हर आय और हर लेनदेन पर लागू नहीं होता है। मान लीजिए आप भारतीय हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया तो इससे होने वाली आय पर कोई टीडीएस नहीं चुकाना होगा। वहीं, अगर आप अप्रवासी भारतीय (NRI) हैं तो इस फंड से हुई आय पर आपको टीडीएस देना होगा। टीडीएस भरने की जिम्मेदारी पेमेंट करने वाले व्यक्ति या संस्थान की होगी है। उसके लिए काटा गया टीडीएस सरकार के खाते में जमा करना जरूरी है।
कंपनी को टीडीएस नहीं काटने के लिए भी कह सकता है कर्मचारीटीडीएस काटने वाले को सर्टिफिकेट जारी कर बताना जरूरी होता है कि उसने कितना टैक्स काटकर सरकार को जमा किया। पेमेंट पाने वाला व्यक्ति अपने चुकाए गए टैक्स का टीडीएस क्लेम कर सकता है। हालांकि, ये क्लेम उसी वित्त वर्ष में करना होता है। अगर एक वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति की आय इनकम टैक्स छूट की सीमा के भीतर है तो वह नियोक्ता से फार्म-15G या 15H भरकर टीडीएस नहीं काटने के लिए कह सकता है। बता दें कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा-192 के तहत सैलरी पाने वाले लोगों से सरकार हर साल टीडीएस के तौर पर टैक्स वसूलती है।
कंपनियों एक वित्त वर्ष के लिए ऐसे कैलकुलेट करती हैं टीडीएसटैक्स कानूनों के मुताबिक, सैलरी इनकम पर टीडीएस की दर कर्मचारी के इनकम टैक्स स्लैब पर निर्भर करती है। संस्थान इनकम टैक्स की औसत दर पर टैक्स देनदारी को कैलकुलेट करते हैं। कुल टैक्स देनदारी को कर्मचारी की कुल इनकम से भाग देकर औसत दर निकाली जाती है। सैलरी से टैक्स काटने के लिए कर्मचारी की कुल टैक्स देनदारी कैलकुलेट की जाती है। इसके लिए उसकी ओर से टैक्स सेविंग स्कीम में किए गए निवेश को भी ध्यान में रखा जाता है। कर्मचारी की सैलरी और टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट के आधार पर इसका कैलकुलेशन वित्त वर्ष की शुरुआत में ही कर लिया जाता है।
एक वित्त वर्ष में नौकरी बदलने पर कैसे कैलकुलेट होता है TDSकिसी एक वित्त वर्ष के दौरान कोई कर्मचारी नौकरी एक कंपनी छोड़कर दूसरी में नौकरी ज्वाइन कर सकता है। ऐसे में उसे एक वित्त वर्ष के भीतर दो अलग संस्थानों से सैलरी मिलेगी। अब टीडीएस काटने के लिए नए संस्थान पर इनकम टैक्स की औसत दर को कैलकुलेट करने की जिम्मेदारी होगी। लिहाजा, कर्मचारी को नई कंपनी में फॉर्म-12बी जमा करना होगा। इस फॉर्म में पिछली कंपनी से मिलने वाली सैलरी का ब्योरा होगा। इससे यह भी पता चल जाएगा कि पिछली कंपनी ने कितना टीडीएस काटा है। नई कंपनी इस फार्म के आधार पर ही शेष वित्त वर्ष के टीडीएस कैलकुलेट करेगी।सैलरी पर ऐसे असर डालेगी टीडीएस कटौती में 25 फीसदी कमीकोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण लोगों की माली ठीक नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लोगों को 31 मार्च 2021 तक टीडीएस कटौती में 25 फीसदी की कमी कर दी है। उदाहरण के लिए अगर आपका अब तक 10 फीसदी टीडीएस कटता था तो अब आय के स्रोत पर सिर्फ 7।5 फीसदी टैक्स ही कटेगा यानी अब आपकी टेकहोम सैलरी में इस 2।5 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। सरकार ने अध्यादेश लाकर यह व्यवस्था 13 मई से लागू कर दी थी, जिसके लिए संसद में संशोधन विधेयक पेश किया गया था, जिसे दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी है।
किस तरह के पेमेंट या आय पर लागू हो सकता है टीडीएसटीडीएस में दी गई 25 छूट सभी तरह के पेमेंट्स पर लागू होगी। इसमें कमीशन, ब्रोकरेज या किसी दूसरे तरह के पेमेंट शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में चर्चा के दौरान बताया कि इससे 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी लोगों के हाथों में रहेगी। साथ ही जिन लोगों के इनकम टैक्स रिफंड अब तक नहीं मिले, उन्हें जल्द भुगतान कर दिया जाएगा। बता दें कि टीडीएस विभिन्न तरह के आय के स्रोत पर काटा जाता है, जिसमें सैलरी, निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन शामिल हैं। टीडीएस शुरू करने का मकसद आय के स्रोत पर ही टैक्स काट लेना था।क्या है टीडीएस और किस तरह के लेनदेन पर नहीं होता है लागू
किसी व्यक्ति को टैक्स काटकर बाकी की रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई राशि को टीडीएस कहते हैं। सरकार लोगों की आय के स्रोत पर काटे गए टीडीएस (TDS) के जरिये टैक्स जुटाती है। बता दें कि टीडीएस हर आय और हर लेनदेन पर लागू नहीं होता है। मान लीजिए आप भारतीय हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया तो इससे होने वाली आय पर कोई टीडीएस नहीं चुकाना होगा। वहीं, अगर आप अप्रवासी भारतीय (NRI) हैं तो इस फंड से हुई आय पर आपको टीडीएस देना होगा। टीडीएस भरने की जिम्मेदारी पेमेंट करने वाले व्यक्ति या संस्थान की होगी है। उसके लिए काटा गया टीडीएस सरकार के खाते में जमा करना जरूरी है।
कंपनी को टीडीएस नहीं काटने के लिए भी कह सकता है कर्मचारीटीडीएस काटने वाले को सर्टिफिकेट जारी कर बताना जरूरी होता है कि उसने कितना टैक्स काटकर सरकार को जमा किया। पेमेंट पाने वाला व्यक्ति अपने चुकाए गए टैक्स का टीडीएस क्लेम कर सकता है। हालांकि, ये क्लेम उसी वित्त वर्ष में करना होता है। अगर एक वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति की आय इनकम टैक्स छूट की सीमा के भीतर है तो वह नियोक्ता से फार्म-15G या 15H भरकर टीडीएस नहीं काटने के लिए कह सकता है। बता दें कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा-192 के तहत सैलरी पाने वाले लोगों से सरकार हर साल टीडीएस के तौर पर टैक्स वसूलती है।
कंपनियों एक वित्त वर्ष के लिए ऐसे कैलकुलेट करती हैं टीडीएसटैक्स कानूनों के मुताबिक, सैलरी इनकम पर टीडीएस की दर कर्मचारी के इनकम टैक्स स्लैब पर निर्भर करती है। संस्थान इनकम टैक्स की औसत दर पर टैक्स देनदारी को कैलकुलेट करते हैं। कुल टैक्स देनदारी को कर्मचारी की कुल इनकम से भाग देकर औसत दर निकाली जाती है। सैलरी से टैक्स काटने के लिए कर्मचारी की कुल टैक्स देनदारी कैलकुलेट की जाती है। इसके लिए उसकी ओर से टैक्स सेविंग स्कीम में किए गए निवेश को भी ध्यान में रखा जाता है। कर्मचारी की सैलरी और टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट के आधार पर इसका कैलकुलेशन वित्त वर्ष की शुरुआत में ही कर लिया जाता है।
एक वित्त वर्ष में नौकरी बदलने पर कैसे कैलकुलेट होता है TDSकिसी एक वित्त वर्ष के दौरान कोई कर्मचारी नौकरी एक कंपनी छोड़कर दूसरी में नौकरी ज्वाइन कर सकता है। ऐसे में उसे एक वित्त वर्ष के भीतर दो अलग संस्थानों से सैलरी मिलेगी। अब टीडीएस काटने के लिए नए संस्थान पर इनकम टैक्स की औसत दर को कैलकुलेट करने की जिम्मेदारी होगी। लिहाजा, कर्मचारी को नई कंपनी में फॉर्म-12बी जमा करना होगा। इस फॉर्म में पिछली कंपनी से मिलने वाली सैलरी का ब्योरा होगा। इससे यह भी पता चल जाएगा कि पिछली कंपनी ने कितना टीडीएस काटा है। नई कंपनी इस फार्म के आधार पर ही शेष वित्त वर्ष के टीडीएस कैलकुलेट करेगी।सैलरी पर ऐसे असर डालेगी टीडीएस कटौती में 25 फीसदी कमीकोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण लोगों की माली ठीक नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लोगों को 31 मार्च 2021 तक टीडीएस कटौती में 25 फीसदी की कमी कर दी है। उदाहरण के लिए अगर आपका अब तक 10 फीसदी टीडीएस कटता था तो अब आय के स्रोत पर सिर्फ 7।5 फीसदी टैक्स ही कटेगा यानी अब आपकी टेकहोम सैलरी में इस 2।5 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। सरकार ने अध्यादेश लाकर यह व्यवस्था 13 मई से लागू कर दी थी, जिसके लिए संसद में संशोधन विधेयक पेश किया गया था, जिसे दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी है।