Shree Cement Group / राजस्थान में श्री सीमेंट पर आईटी की छापेमारी- 23 हजार करोड़ की टैक्स चोरी, दस्तावेज जब्त

श्री सीमेंट ग्रुप के ठिकानों पर पिछले 3 दिनों से आयकर विभाग की छापेमारी जारी है। यह छापेमारी ग्रुप के जयपुर, ब्यावर, अजमेर और चित्तौड़गढ़ स्थित ठिकानों पर मारे गए। अब तक हुए सर्च में आयकर अधिकारियों को 23 हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। सूत्रों की माने तो ग्रुप ने लगभग हर साल 1200 से 1400 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की है। इसके साथ ही कोयले और उसके लिए किए गए भुगतान में भारी अनियमितताएं सामने आई है।

Vikrant Shekhawat : Jun 24, 2023, 06:21 PM
Shree Cement Group: श्री सीमेंट ग्रुप के ठिकानों पर पिछले 3 दिनों से आयकर विभाग की छापेमारी जारी है। यह छापेमारी ग्रुप के जयपुर, ब्यावर, अजमेर और चित्तौड़गढ़ स्थित ठिकानों पर मारे गए। अब तक हुए सर्च में आयकर अधिकारियों को 23 हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। सूत्रों की माने तो ग्रुप ने लगभग हर साल 1200 से 1400 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की है। इसके साथ ही कोयले और उसके लिए किए गए भुगतान में भारी अनियमितताएं सामने आई है। विभाग ने फर्जीवाड़े से जुड़े कई एग्रीमेंट जब्त किए हैं। छापेमारी में 200 से अधिक अधिकारी शामिल रहे।

वहीं, जांच में सामने आया है कि सरपंच, ग्राम पंचायत स्थानीय निकाय से किए फर्जी एग्रीमेंट से केन्द्र और राज्य सरकार को बड़ा चूना लगाया गया है। आयकर विभाग ने फर्जीवाड़े से जुड़े एग्रीमेंट भी जब्त कर लिए हैं।

आयकर विभाग के संपर्क से बाहर प्रबंधक

आयकर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, ग्रुप के मेंबर्स से जब इस मामले में पूछताछ की गई तो उन्होंने इस संबंध में जानकारी होने से इनकार कर दिया। वहीं ग्रुप के चेयरमैन एचएन बांगड़ और वाइस चेयरमैन प्रशांत बांगड़ छापेमारी के बाद से बाहर निकल गए हैं।

ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट अरविंद खींचा को भी सर्वे के दौरान कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया लेकिन वह भी आयकर अधिकारियों के सामने नहीं आए। मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज अखोरी, डायरेक्टर नितिन देसाई, डायरेक्टर श्रीकांत सोमानी और CFO सुभाष जाजू से भी आयकर अधिकारियों का कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। इन सभी जिम्मेदारों की जानकारी ग्रुप के किसी भी सदस्य के पास नहीं हैं।

5 पॉइंट्स में जानिए क्या हुआ अब तक

  1. 3 दिन पहले जयपुर आयकर विभाग की टीम ने श्री सीमेंट के 24 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे थे।
  2. यह सर्वे जयपुर, ब्यावर, उदयपुर, अजमेर और चित्तौड़गढ़ में की गई।
  3. इस रेड में 200 से ज्यादा आयकर अधिकारी और पुलिसकर्मी शामिल किए गए।
  4. सीमेंट के लिए खरीदे जाने वाले कोयले और उसके लिए किए गए पेमेंट में भारी अनियमितता सामने आई।
  5. आयकर विभाग ने सर्वे की कार्रवाई से पहले नई तकनीक और सॉफ्टवेयर की मदद से यह चोरी पकड़ी है।
सॉफ्टवेयर से मिनटों में पकड़ लेते हैं गड़बड़ी

हाल ही में आयकर विभाग ने अपनी तकनीकी संसाधनों को मजबूत किया है। जिसके तहत टैक्स अदा करने और कंपनी की वास्तविक परफॉर्मेंस का आकलन किया जा सकता है।

इसी आधार पर विभाग को श्री सीमेंट के आयकर छूट के दावे और वास्तविकता में अंतर लगा। इसे आधार मानते हुए इनकम टैक्स ने इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया।

अन्य कंपनियां भी रडार पर

जानकारी के अनुसार आयकर विभाग जल्द ही रियल स्टेट, माइंस और अन्य बड़े व्यापारियों पर भी सर्वे कर सकती है। इसमें विभाग के पास मौजूद सॉफ्टवेयर के माध्यम से अधिकारी कुछ ही दिनों की एक्सरसाइज में पता कर लेते हैं कि कंपनी के जरिए सरकार को कितनी राजस्व हानि पहुंचाई जा रही है।

मौजूदा समय में आयकर विभाग के पास कई ऐसी रिपोर्ट हैं जिनके आधार पर वह चुनिंदा कंपनियों पर एक्शन ले सकती हैं।

जयपुर में छापेमारी के बाद से जिम्मेदार गायब

विभाग के अधिकारियों की मानें तो ग्राम पंचायत, स्थानीय निकाय से किए फर्जी एग्रीमेंट से केंद्र और राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। हालांकि विभाग ने इस संबंध में कंपनी की टीम से पूछताछ की तो उन्होंने इस संबंध में जानकारी होने से इंकार कर दिया। वहीं ग्रुप के चेयरमैन एनएच बांगड़ और प्रशांत बांगड़ छापेमारी के बाद से ही बाहर निकल गए हैं। ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट अरविंद खींचा को भी छापेमारी के दौरान कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया लेकिन वह भी आयकर अधिकारियों के सामने नहीं आए। इन सभी जिम्मेदारों की जानकारी ग्रुप के किसी भी सदस्य के पास नहीं हैं।

एक सॉफ्टवेयर से पकड़ में आई टैक्स चोरी

जानकारों की मानें तो आयकर विभाग जल्द ही रियल स्टेट, माइंस और अन्य बड़े व्यापारियों पर रेड कर सकती है। बता दें कि हाल ही में विभाग ने अपने तकनीकी संसाधनों को मजबूत करते हुए एक सॉफ्टवेयर का निर्माण कराया है। इसमें अधिकारी कुछ ही दिनों की जांच पड़ताल में पता कर लेते हैं कि सरकार को कितनी राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है।