Arvind Singh Mewar / मेवाड़ अंचल में शोक की लहर, पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन

उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ (80) का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और सिटी पैलेस स्थित शंभू निवास में रह रहे थे। उन्होंने होटल प्रबंधन में डिग्री ली थी और एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के अध्यक्ष थे। उनके निधन से मेवाड़ अंचल शोकाकुल है।

Arvind Singh Mewar: उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और सिटी पैलेस के शंभू निवास में रहकर अपना इलाज करवा रहे थे। उनके निधन से पूरे मेवाड़ अंचल में शोक की लहर दौड़ गई।

जीवन परिचय:

अरविंद सिंह मेवाड़ का जन्म 13 दिसंबर 1944 को उदयपुर के सिटी पैलेस में हुआ था। वे मेवाड़ राजवंश के 76वें संरक्षक थे और महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ तथा सुशीला कुमारी मेवाड़ के छोटे बेटे थे। उनके बड़े भाई महेन्द्र सिंह मेवाड़ का भी पिछले वर्ष 10 नवंबर 2024 को निधन हो गया था।

शिक्षा और करियर:

अरविंद सिंह मेवाड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा अजमेर के प्रतिष्ठित मेयो कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्होंने उदयपुर के महाराणा भूपाल कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। आगे की पढ़ाई के लिए वे यूके गए, जहाँ उन्होंने सेंट एल्बंस मेट्रोपॉलिटन कॉलेज से होटल प्रबंधन की डिग्री प्राप्त की।

अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने अमेरिका में कुछ समय के लिए नौकरी की। भारत लौटने के बाद, वे एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बने। इसके अलावा, वे महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन ट्रस्ट, महाराणा मेवाड़ ऐतिहासिक प्रकाश ट्रस्ट और राजमाता गुलाब कुंवर चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष भी रहे।

मेवाड़ की विरासत और योगदान:

अरविंद सिंह मेवाड़ ने उदयपुर और मेवाड़ के पर्यटन और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें उदयपुर के ऐतिहासिक स्थलों जैसे सिटी पैलेस, जग मंदिर और अन्य धरोहर स्थलों के संरक्षण का श्रेय जाता है। उनके प्रयासों से उदयपुर न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा।

उन्होंने अपनी विरासत को जीवंत बनाए रखने के लिए कई सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य किया। उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व के कारण उदयपुर का होटल उद्योग और पर्यटन क्षेत्र नई ऊंचाइयों तक पहुंचा।

निधन से शोक की लहर:

उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे मेवाड़ क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार के सदस्यों, राजपरिवार से जुड़े लोगों और समर्थकों ने उनकी विरासत को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।