
- भारत,
- 03-Apr-2025 10:05 AM IST
- (, अपडेटेड 03-Apr-2025 10:14 AM IST)
कोटा: राजस्थान के पंचायतीराज एवं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बुधवार को केडीए ऑडिटोरियम में कोटा संभाग के पंचायतीराज विभाग की संभागस्तरीय समीक्षा बैठक में सख्त तेवर दिखाए। दो पारियों में आयोजित इस बैठक में पहली पारी में कोटा और बारां जिले की समीक्षा हुई, जबकि दूसरी पारी में बूंदी और झालावाड़ जिले शामिल रहे। इस दौरान मंत्री ने अधिकारियों और सरपंचों को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि गांवों में स्वच्छता के मुद्दे पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति है और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्वच्छता पर सख्ती: मेरा भाई भी हो तो बख्शा नहीं जाएगामंत्री दिलावर ने अधिकारियों और सरपंचों को दो टूक शब्दों में कहा, गांवों में स्वच्छता के मामले में कोई बहाना नहीं चलेगा। मेरा सगा भाई भी इसमें शामिल होगा तो मैं उसे नहीं बख्शूंगा। उन्होंने समीक्षा के दौरान अधिकारियों को खड़े करके सवाल-जवाब किए और उनकी कार्यशैली पर नाराजगी जताई। दिलावर ने कहा कि अब तक गांवों में सफाई के नाम पर सिर्फ कागजी आंकड़े पेश किए गए हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, "मुझे झूठ किसी भी कीमत पर पसंद नहीं। मैं खुद राजस्थान की 50 ग्राम पंचायतों में गया हूं। दो-तीन को छोड़कर कहीं भी सफाई व्यवस्था ठीक नहीं मिली।
सफाईकर्मी दिखते नहीं, पैसा कौन खा रहा है?मंत्री ने ग्रामीणों की शिकायतों का जिक्र करते हुए कहा, "लोग कहते हैं कि पंचायत का सफाईकर्मी कभी दिखाई नहीं देता। एक लाख रुपये महीने का पैसा कहां जा रहा है? कौन खा रहा है? अब यह नहीं चलेगा।" उन्होंने चेतावनी दी कि चाहे सरपंच उनका भाई हो, सहायक अभियंता (एईएन), ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) या कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। "यह सोच लेना कि किसी की सिफारिश से बच जाएंगे, ऐसा नहीं होगा। किसी भी कीमत पर बला नहीं टलेगी, दिलावर ने कड़े शब्दों में कहा।
दिलावर और नागर के बीच हॉट टॉक का खुलासासमीक्षा बैठक के दौरान एक रोचक खुलासा भी सामने आया। मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि ग्राम पंचायतों में स्वच्छता बजट को लेकर हाल ही में उनकी ऊर्जा राज्यमंत्री हीरालाल नागर के साथ तीखी बहस ("हॉट टॉक") हुई थी। उन्होंने कहा, "जब जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होती है, तो सरपंच हमारे विधायकों को गलत सूचनाएं देते हैं। इसी बात को लेकर ऊर्जा मंत्री और मेरे बीच बहस हो गई।" यह बयान बैठक में मौजूद लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
स्वच्छता पर जीरो टॉलरेंस का संदेशमदन दिलावर ने अपने संबोधन में बार-बार स्वच्छता को प्राथमिकता देने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि गांवों में स्वच्छता व्यवस्था दुरुस्त करना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। अधिकारियों और सरपंचों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अब सिर्फ कागजी आंकड़ों से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी हकीकत में बदलाव दिखना चाहिए।इस समीक्षा बैठक ने कोटा संभाग के पंचायतीराज विभाग में हलचल मचा दी है। मंत्री के सख्त रुख से यह साफ है कि स्वच्छता और सरकारी धन के उपयोग को लेकर सरकार किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। अब देखना यह है कि इस बैठक के बाद ग्राम पंचायतों में कितना बदलाव आता है।
स्वच्छता पर सख्ती: मेरा भाई भी हो तो बख्शा नहीं जाएगामंत्री दिलावर ने अधिकारियों और सरपंचों को दो टूक शब्दों में कहा, गांवों में स्वच्छता के मामले में कोई बहाना नहीं चलेगा। मेरा सगा भाई भी इसमें शामिल होगा तो मैं उसे नहीं बख्शूंगा। उन्होंने समीक्षा के दौरान अधिकारियों को खड़े करके सवाल-जवाब किए और उनकी कार्यशैली पर नाराजगी जताई। दिलावर ने कहा कि अब तक गांवों में सफाई के नाम पर सिर्फ कागजी आंकड़े पेश किए गए हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, "मुझे झूठ किसी भी कीमत पर पसंद नहीं। मैं खुद राजस्थान की 50 ग्राम पंचायतों में गया हूं। दो-तीन को छोड़कर कहीं भी सफाई व्यवस्था ठीक नहीं मिली।
सरकारी फंड का दुरुपयोग: पैसा जाता कहां है?मंत्री ने ग्राम पंचायतों को मिलने वाले बजट पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, सरकार हर छोटी ग्राम पंचायत को सालाना कम से कम 10 लाख रुपये देती है, यानी हर महीने 80 हजार से ढाई-तीन लाख रुपये तक। यह पैसा आखिर जाता कहां है? यह विचार करने की बात है। उन्होंने बताया कि फाइनेंस कमीशन का 30 से 50 प्रतिशत बजट स्वच्छता पर खर्च करना अनिवार्य है, लेकिन कई जगह इसका दुरुपयोग हो रहा है। दिलावर ने सख्ती से कहा, "जिन लोगों ने इस पैसे को निर्माण कार्यों में खर्च किया, उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और उनसे वसूली क्यों नहीं होती? सरकारी धन का दुरुपयोग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।"कोटा में कोटा विकास प्राधिकरण के सभागार में पंचायती राज विभाग के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की समीक्षा बैठक के उपरांत मीडिया को संबोधित किया।
— Madan Dilawar (@madandilawar) April 2, 2025
हमारी सरकार राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं, ग्रामीण विकास, एवं स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हेतु पूर्णतया प्रतिबद्ध है। pic.twitter.com/zSSMqGxwYw
सफाईकर्मी दिखते नहीं, पैसा कौन खा रहा है?मंत्री ने ग्रामीणों की शिकायतों का जिक्र करते हुए कहा, "लोग कहते हैं कि पंचायत का सफाईकर्मी कभी दिखाई नहीं देता। एक लाख रुपये महीने का पैसा कहां जा रहा है? कौन खा रहा है? अब यह नहीं चलेगा।" उन्होंने चेतावनी दी कि चाहे सरपंच उनका भाई हो, सहायक अभियंता (एईएन), ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) या कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। "यह सोच लेना कि किसी की सिफारिश से बच जाएंगे, ऐसा नहीं होगा। किसी भी कीमत पर बला नहीं टलेगी, दिलावर ने कड़े शब्दों में कहा।
दिलावर और नागर के बीच हॉट टॉक का खुलासासमीक्षा बैठक के दौरान एक रोचक खुलासा भी सामने आया। मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि ग्राम पंचायतों में स्वच्छता बजट को लेकर हाल ही में उनकी ऊर्जा राज्यमंत्री हीरालाल नागर के साथ तीखी बहस ("हॉट टॉक") हुई थी। उन्होंने कहा, "जब जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होती है, तो सरपंच हमारे विधायकों को गलत सूचनाएं देते हैं। इसी बात को लेकर ऊर्जा मंत्री और मेरे बीच बहस हो गई।" यह बयान बैठक में मौजूद लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
स्वच्छता पर जीरो टॉलरेंस का संदेशमदन दिलावर ने अपने संबोधन में बार-बार स्वच्छता को प्राथमिकता देने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि गांवों में स्वच्छता व्यवस्था दुरुस्त करना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। अधिकारियों और सरपंचों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अब सिर्फ कागजी आंकड़ों से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी हकीकत में बदलाव दिखना चाहिए।इस समीक्षा बैठक ने कोटा संभाग के पंचायतीराज विभाग में हलचल मचा दी है। मंत्री के सख्त रुख से यह साफ है कि स्वच्छता और सरकारी धन के उपयोग को लेकर सरकार किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। अब देखना यह है कि इस बैठक के बाद ग्राम पंचायतों में कितना बदलाव आता है।