RAS Pankaj Ojha / कैसे रुकेगी मिलावटखोरी? सिस्टम की 'सेटिंग' से उजड़ती उम्मीदें

राजस्थान में मिलावट रोकथाम अभियान पर बड़ा सवाल उठ गया है। एडिशनल डायरेक्टर पंकज ओझा का मिलावटखोरों से बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें रेड से पहले सामान हटवाने की ‘सेटिंग’ सामने आई। आरोप गंभीर हैं, जांच जारी है। क्या अब भी बच पाएगा भ्रष्ट सिस्टम?

राजस्थान में ‘शुद्ध आहार मिलावट पर वार’ नामक अभियान की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दे रही थी, लेकिन अब जो सामने आया है, उसने इस अभियान की साख पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। एक वायरल ऑडियो ने यह साफ कर दिया है कि मिलावटखोरी के खिलाफ लड़ाई नहीं, बल्कि साजिश रची जा रही थी – वो भी सिस्टम के भीतर बैठे जिम्मेदार लोगों के साथ।

एडिशनल डायरेक्टर की ‘सेटिंग’ का ऑडियो – एक भयानक पर्दाफाश

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाले खाद्य सुरक्षा विभाग के एडिशनल डायरेक्टर पंकज कुमार ओझा का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे मिलावट माफियाओं को रेड के पहले "सामान हटवा देने" की सलाह देते सुनाई दे रहे हैं। इस ऑडियो में पंकज ओझा और व्यापारियों के बीच जिस तरह की बातचीत हो रही है, वह ये साबित करने के लिए काफी है कि मिलावटखोरी के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान भीतर से ही खोखला है।

हालांकि Zoom News इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता, लेकिन यह खबर जिस तरह सामने आई है, उसने शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं।

पहले भी रहे हैं ACB के राडार पर

ये कोई पहली बार नहीं है जब पंकज कुमार ओझा का नाम विवादों में आया हो। कोटा में आरएएस अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहते हुए उन पर 15 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के एक मामले में भी जांच चल चुकी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच रिपोर्टों में उनका नाम संदिग्ध के तौर पर दर्ज रहा है। बावजूद इसके, वे एक के बाद एक मलाईदार पोस्ट पर बने रहे, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि राजनीतिक संरक्षण और ऊंचे संपर्क किस हद तक भ्रष्टाचार को पनाह देते हैं।

"शुद्ध आहार" या "साफ दिखावा"?

प्रदेश सरकार ने जिस अभियान को जनता की सेहत की रक्षा के लिए शुरू किया, वह आज अपनी विश्वसनीयता खोता नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग अब यह पूछ रहे हैं – क्या यह अभियान सिर्फ कैमरों के सामने फोटो खिंचवाने और अखबारों में खबर छपवाने के लिए चलाया गया था? अगर अभियान के सबसे ऊंचे अधिकारी ही मिलावटखोरों से मिलकर काम कर रहे हैं, तो जमीन पर क्या वाकई कोई बदलाव संभव है?

राजनीतिक इच्छाशक्ति की परीक्षा

स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस मामले की जांच और कठोर कार्रवाई का आश्वासन जरूर दिया है, लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार भी कार्रवाई सिर्फ ‘फॉर्मेलिटी’ बनकर रह जाएगी या वास्तव में कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा। जनता को अब जवाब चाहिए – कब तक मिलावट का ज़हर हमारे खाने में घोला जाता रहेगा और कब तक सिस्टम में बैठे लोग उसे संरक्षण देते रहेंगे?