उदयपुर । मेवाड़ राजघराने के संबंध में उदयपुर की अदालत ने 1983 से चल रहे सम्पत्ति विवाद में मंगलवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सम्पत्ति को सभी पक्षकारों में बराबर बांटने और बेची जा चुकी सम्पत्तियों में से भी सभी पक्षकारों को उनकी हिस्सेदारी का आदेश दिया गया है। इन सम्पत्तियों पर चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों को भी रोकने की बात अदालत ने आदेश में कही है। हालांकि, फैसले की प्रति खबर लिखे जाने तक उपलब्ध नहीं हो सकी है, प्रति उपलब्ध होने पर मामले में विस्तृत जानकारी सामने आ सकेगी।
मामले में पक्षकार मेवाड़ राजघराने के महेन्द्र सिंह मेवाड़ की ओर से वाद को देख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन्द्र सिंह कच्छवाहा ने मीडिया को जानकारी दी कि महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने पूर्व महाराणा भगवत सिंह के जीवित रहते बंटवारे का दावा किया था। न्यायालय ने मंगलवार को डिक्री पारित करते हुए सम्पत्ति को संयुक्त हिन्दू परिवार की सम्पत्ति माना है।
न्यायालय ने उस सम्पत्ति को महेन्द्र सिंह मेवाड़, उनकी बहिन योगेश्वरी कुमारी, भाई अरविन्द सिंह मेवाड़ व पिता भगवत सिंह मेवाड़ में बराबर चार हिस्सो में बांटने के आदेश दिए हैं।
भगवत सिंह मेवाड़ के समय में जो वादग्रस्त सम्पत्ति बेची या हस्तांतरित की गईं उनमें से महेन्द्र सिंह मेवाड़ का हिस्सा उन्हें दिए जाने की बात भी कही गई है। अधिवक्ता नरेन्द्र सिंह कच्छवाहा ने बताया कि अदालत ने आदेश में यह बात भी कही है कि जो वादग्रस्त सम्पत्तियां वर्तमान में अरविन्द सिंह मेवाड़ के कब्जे में हैं जिन पर वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं, उस पर भी रोक लगाई गई है।
उन्होंने बताया कि शंभू निवास पैलेस जो महाराणाओं का अधिकृत निवास हुआ करता था, उस पर वसीयत के निष्पादक की हैसियत से अरविंद सिंह मेवाड़ आज तक रह रहे हैं, अब अगले चार साल के लिए शंभू निवास पैलेस में महेन्द्र सिंह मेवाड़ निवासरत रहेंगे, इसके बाद चार साल यह योगेश्वरी कुमारी के पास रहेगा और उसके बाद अरविन्द सिंह उसमें रह सकेंगे। मौके पर तीनों पक्षकारों के वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद थे, लेकिन अन्य पक्षकारों के अधिवक्ताओं ने फैसले की कॉपी आने और उसके अध्ययन के बाद मीडिया से बातचीत की बात कही।