- भारत,
- 25-Apr-2025 06:20 PM IST
Pahalgam Terrorist Attack: पहलगाम में हुआ हालिया आतंकी हमला भारत के लिए सिर्फ एक और त्रासदी नहीं, बल्कि एक निर्णायक मोड़ साबित हो रहा है। हर बार की तरह इस बार भी देश को गहरा झटका लगा, लेकिन अंतर यह है कि इस बार पूरी दुनिया की प्रतिक्रिया महज़ औपचारिक संवेदनाओं तक सीमित नहीं रही। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय न केवल भारत के दर्द को समझ रहा है, बल्कि उसके आत्मरक्षा के अधिकार को पूरी तरह से वैध ठहरा रहा है।
1. पाकिस्तान की रणनीति से थक चुकी है दुनिया
पाकिस्तान वर्षों से एक ही स्क्रिप्ट दोहराता रहा है—"हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं"। लेकिन ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तान में मारा जाना, और उसके बाद लगातार आतंकी नेटवर्क्स का वहीं पनपना, यह साबित करता है कि यह देश न केवल आतंक की पनाहगाह है, बल्कि उसकी रणनीति में भी शामिल है। इस बार पश्चिमी खुफिया एजेंसियाँ भी खुलकर मान रही हैं कि पहलगाम जैसे हमले की जड़ें पाकिस्तान में हैं।
2. मुस्लिम देशों की नई सोच
एक समय था जब मुस्लिम देश इस्लामी एकता के नाम पर पाकिस्तान के साथ खड़े होते थे। लेकिन अब सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और इंडोनेशिया जैसे राष्ट्र भारत के आत्म-संयम और आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई की जरूरत को स्पष्ट रूप से स्वीकार कर रहे हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि वैश्विक इस्लामी परिप्रेक्ष्य भी अब आतंक को धर्म से अलग मान रहा है और न्याय के पक्ष में खड़ा है।
3. चीन की मजबूर खामोशी
पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन भी इस बार खुलकर समर्थन में नहीं आया। उसने न केवल हमले की निंदा की, बल्कि पाकिस्तान के पक्ष में एक शब्द भी नहीं कहा। चीन को भली-भांति एहसास है कि यदि उसने इस समय पाकिस्तान का पक्ष लिया, तो भारत-अमेरिका गठबंधन और भी मजबूत हो जाएगा। और यह उसकी इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
4. संयम की अपील अब बस औपचारिकता
संयुक्त राष्ट्र को छोड़कर किसी भी देश ने भारत से संयम बरतने की अपील नहीं की। यह पहली बार है जब भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई को दुनिया ने "जरूरी और जायज़" करार दिया है। यह दर्शाता है कि भारत को अब एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है, जिसे अपने सुरक्षा हितों की रक्षा का पूरा हक है।
5. भारत एक निर्णायक बदलाव की ओर
यह क्षण सिर्फ बदले की कार्रवाई का नहीं, बल्कि भारत के नए वैश्विक स्वरूप का प्रतीक है। अब भारत वह देश नहीं जो आतंकी हमलों पर केवल विरोध दर्ज करता था, बल्कि वह राष्ट्र बन चुका है जो हर मोर्चे—राजनयिक हो या सामरिक—पर जवाब देने में सक्षम है।
6. पाकिस्तान: न नैतिक आधार, न समर्थन
पाकिस्तान इस बार पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है। चीन भी दूरी बना चुका है, और बाकी विश्व पहले से ही उसके "आतंक से इनकार" वाले रुख से ऊब चुका है। भारत को जो व्यापक समर्थन इस बार मिला है, वह यह स्पष्ट करता है कि आतंक के खिलाफ जंग अब सिर्फ उसकी अपनी नहीं रही।