Vikrant Shekhawat : May 21, 2021, 04:44 PM
Delhi: सूरज के चारों तरफ कई धूमकेतु चक्कर लगाते रहते हैं। ये अपने पीछे काफी कचरा छोड़ते हुए चलते हैं, जो धरती के वायुमंडल में आते हैं तो उल्कापिंडों की बारिश होती है। यानी आसमानी आतिशबाजी दिखाई देती है। हाल ही में SETI इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे दुर्लभ धूमकेतु की खोज की है जो 4000 साल बाद धरती की ओर आ रहा है। वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार इससे पहले यह 2000 ईसापूर्व में धरती के करीब से गुजरा था।
SETI इंस्टीट्यूट के मेटियोर एस्ट्रोनॉमर और इस स्टडी के लेखक पीटर जेनिसकेंस ने कहा कि हम ऐसे धूमकेतु का अध्ययन कर रहे हैं जो धरती के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसमें से कुछ ऐसे हैं जो 2000 ईसापूर्व में देखे गए थे। उसके बाद अब ये वापस धरती की ओर आ रहे हैं। यानी पूरे चार हजार साल के बाद। हमने इनकी निगरानी कैमरास फॉर ऑलस्काई मेटियोर सर्विलांस (CAMS) की मदद से की है। ये कैमरा रात में धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, एस्टेरॉयड्स और उल्कापिंडों पर नजर रखता है।पीटर ने बताया कि CAMS की मदद से हम यह पता कर पाते हैं कि धूमकेतु की ट्रैजेक्टरी, उसका रास्ता और धरती पर वो कौन से संभावित देश हो सकते हैं जहां इसके उल्कापिंडों की बारिश दिखेगी। यानी लोग आसमानी आतिशबाजी देख पाएंगे। पीटर ने बताया कि CAMS नेटवर्क दुनिया के 9 देशों में है। पीटर जेनिसकेंस ने बताया कि हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, चिली और नामीबिया में त्रिकोणीय उल्का देखे जाने की संख्या बढ़ी है। ये सारी जानकारी हमें CAMS नेटवर्क से मिली है, ये रात में निगरानी का नतीजा है। अभी तक हमें पता था कि सिर्फ पांच ही धूमकेतु हैं जो लंबे समय में धरती का चक्कर लगाते हैं। लेकिन अब हमनें 9 को खोज लिया है। ये संभवतः 15 हो सकते हैं लेकिन उनकी जांच अभी बाकी है। चार हजार साल बाद धरती की ओर आ रहा धूमकेतु भी इसी 9 में शामिल है। वैज्ञानिक कहते हैं कि धूमकेतु अक्सर छोटे होते हैं। अगर थोड़े बड़े हैं भी तो वो अपनी गति की वजह से टूटते रहते हैं, जिस वजह से उनके पीछे चमकती हुई पूंछ दिखाई देती है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बड़े धूमकेतु धरती की ओर आ सकते हैं। क्योंकि इनकी ऑर्बिट ऐसी होती है कि ये जल्दी दिखते नहीं। ये सूरज के चारों तरफ लंबी यात्रा करते हैं। अगर ये धरती की ओर आए तो इनकी गति बहुत ज्यादा हो सकती है। ये बड़ी तबाही ला सकते हैं। पीटर जेनिसकेंस ने कहा कि भविष्य में हम CAMS नेटवर्क को और बढ़ाएंगे। ताकि हम सुदूर अंतरिक्ष से धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, एस्टेरॉयड्स आदि का अध्ययन कर सकें और पृत्वी को संभावित खतरे से बचा सकें। हर रात CAMS हमें ये बताता है कि धरती के ऊपर अंतरिक्ष के किस तरफ से धूमकेतु के पीछे छूटा हुआ कचरा आ रहा है। इससे हमें ये पता लगता है कि किस देश के ऊपर आसमानी आतिशबाजी हो सकती है। साथ ही खतरा क्या हो सकता है। पीटर ने कहा कि कई शूटिंग स्टार्स ऐसे होते हैं जिन्हें हम सामान्य तौर पर आंखों से देख सकते हैं लेकिन कई ऐसे होते हैं जो वायुमंडल में आते ही गायब हो जाते हैं। क्योंकि इनका आकार बहुत छोटा होता है। लेकिन अगर सही दिशा और ट्रैजेक्टरी का पता हो तो छोटे शूटिंग स्टार्स को भी देखा जा सकता है। बशर्ते आपके शहर के ऊपर आसमान साफ हो। प्रदूषण का स्तर कम हो या फिर बादल न हों। पीटर के अध्ययन के मुताबिक लंबे समय के बाद आने वाले धूमकेतु से होने वाली उल्कापिंडों की बारिश कई दिनों तक हो सकती है। यानी धरती के बड़े इलाके में आसमानी आतिशबाजी देखी जा सकती है। यह पीटर और उनकी टीम के लिए काफी हैरानी वाला मामला था। इसका अलग मतलब ये भी है कि ये धूमकेतु कई बार धरती के ऊपर से निकले हैं लेकिन इनकी कक्षा में परिवर्तन होता रहा हैडेटा के मुताबिक ये बात भी सामने आई है कि जो धूमकेतु उल्कापिंडों की बारिश छितराई हुई करती हैं, उनके पत्थर काफी छोटे होते हैं। यानी ये एक जगह पर ही नहीं ज्यादा बड़े इलाके में देखे जा सकते हैं। जबकि बड़े पत्थर वाली बारिश सीमित जगह पर दिखती है। छितराई हुई आसमानी आतिशबाजी सबसे पुराने धूमकेतुओं का तरीका है। ये लंबे समय बाद आते हैं और लंबे समय तक आसमानी आतिशबाजी करते रहते हैं।
SETI इंस्टीट्यूट के मेटियोर एस्ट्रोनॉमर और इस स्टडी के लेखक पीटर जेनिसकेंस ने कहा कि हम ऐसे धूमकेतु का अध्ययन कर रहे हैं जो धरती के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसमें से कुछ ऐसे हैं जो 2000 ईसापूर्व में देखे गए थे। उसके बाद अब ये वापस धरती की ओर आ रहे हैं। यानी पूरे चार हजार साल के बाद। हमने इनकी निगरानी कैमरास फॉर ऑलस्काई मेटियोर सर्विलांस (CAMS) की मदद से की है। ये कैमरा रात में धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, एस्टेरॉयड्स और उल्कापिंडों पर नजर रखता है।पीटर ने बताया कि CAMS की मदद से हम यह पता कर पाते हैं कि धूमकेतु की ट्रैजेक्टरी, उसका रास्ता और धरती पर वो कौन से संभावित देश हो सकते हैं जहां इसके उल्कापिंडों की बारिश दिखेगी। यानी लोग आसमानी आतिशबाजी देख पाएंगे। पीटर ने बताया कि CAMS नेटवर्क दुनिया के 9 देशों में है। पीटर जेनिसकेंस ने बताया कि हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, चिली और नामीबिया में त्रिकोणीय उल्का देखे जाने की संख्या बढ़ी है। ये सारी जानकारी हमें CAMS नेटवर्क से मिली है, ये रात में निगरानी का नतीजा है। अभी तक हमें पता था कि सिर्फ पांच ही धूमकेतु हैं जो लंबे समय में धरती का चक्कर लगाते हैं। लेकिन अब हमनें 9 को खोज लिया है। ये संभवतः 15 हो सकते हैं लेकिन उनकी जांच अभी बाकी है। चार हजार साल बाद धरती की ओर आ रहा धूमकेतु भी इसी 9 में शामिल है। वैज्ञानिक कहते हैं कि धूमकेतु अक्सर छोटे होते हैं। अगर थोड़े बड़े हैं भी तो वो अपनी गति की वजह से टूटते रहते हैं, जिस वजह से उनके पीछे चमकती हुई पूंछ दिखाई देती है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बड़े धूमकेतु धरती की ओर आ सकते हैं। क्योंकि इनकी ऑर्बिट ऐसी होती है कि ये जल्दी दिखते नहीं। ये सूरज के चारों तरफ लंबी यात्रा करते हैं। अगर ये धरती की ओर आए तो इनकी गति बहुत ज्यादा हो सकती है। ये बड़ी तबाही ला सकते हैं। पीटर जेनिसकेंस ने कहा कि भविष्य में हम CAMS नेटवर्क को और बढ़ाएंगे। ताकि हम सुदूर अंतरिक्ष से धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, एस्टेरॉयड्स आदि का अध्ययन कर सकें और पृत्वी को संभावित खतरे से बचा सकें। हर रात CAMS हमें ये बताता है कि धरती के ऊपर अंतरिक्ष के किस तरफ से धूमकेतु के पीछे छूटा हुआ कचरा आ रहा है। इससे हमें ये पता लगता है कि किस देश के ऊपर आसमानी आतिशबाजी हो सकती है। साथ ही खतरा क्या हो सकता है। पीटर ने कहा कि कई शूटिंग स्टार्स ऐसे होते हैं जिन्हें हम सामान्य तौर पर आंखों से देख सकते हैं लेकिन कई ऐसे होते हैं जो वायुमंडल में आते ही गायब हो जाते हैं। क्योंकि इनका आकार बहुत छोटा होता है। लेकिन अगर सही दिशा और ट्रैजेक्टरी का पता हो तो छोटे शूटिंग स्टार्स को भी देखा जा सकता है। बशर्ते आपके शहर के ऊपर आसमान साफ हो। प्रदूषण का स्तर कम हो या फिर बादल न हों। पीटर के अध्ययन के मुताबिक लंबे समय के बाद आने वाले धूमकेतु से होने वाली उल्कापिंडों की बारिश कई दिनों तक हो सकती है। यानी धरती के बड़े इलाके में आसमानी आतिशबाजी देखी जा सकती है। यह पीटर और उनकी टीम के लिए काफी हैरानी वाला मामला था। इसका अलग मतलब ये भी है कि ये धूमकेतु कई बार धरती के ऊपर से निकले हैं लेकिन इनकी कक्षा में परिवर्तन होता रहा हैडेटा के मुताबिक ये बात भी सामने आई है कि जो धूमकेतु उल्कापिंडों की बारिश छितराई हुई करती हैं, उनके पत्थर काफी छोटे होते हैं। यानी ये एक जगह पर ही नहीं ज्यादा बड़े इलाके में देखे जा सकते हैं। जबकि बड़े पत्थर वाली बारिश सीमित जगह पर दिखती है। छितराई हुई आसमानी आतिशबाजी सबसे पुराने धूमकेतुओं का तरीका है। ये लंबे समय बाद आते हैं और लंबे समय तक आसमानी आतिशबाजी करते रहते हैं।