अयोध्या / शरिया के मुताबिक बाबरी एक मस्जिद लेकिन मानेंगे सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जमीयत उलेमा-ए-हिंद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने बुधवार को कहा, "अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जिस भी पक्ष में आए, बाबरी मस्जिद शरिया के मुताबिक एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी।" मदनी ने कहा, "हालांकि, हमारे मन में सुप्रीम कोर्ट के लिए बहुत इज़्ज़त है और वह जो भी फैसला लेगा, माना जाएगा।"

The Quint : Nov 07, 2019, 12:04 PM
नई दिल्ली, देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने बुधवार को कहा कि बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला होगा, उसे माना जाएगा। उन्होंने सभी से फैसले का सम्मान करने की अपील की।

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने यहां एक पत्रकार वार्ता में कहा कि मस्जिद को ले कर मुसलमानों का मामला पूरी तरह से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं कराया गया है।

अदालत के फैसले से पहले किसी तरह की मध्यस्थता की सम्भावना को खारिज करते हुए मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद शरिया के मुताबिक एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी। किसी शख्स के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी विकल्प की उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाए।

उन्होंने सभी नागरिकों, खासकर, मुसलमानों से उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की अपील की।