Supreme Court News: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हो गए। अपने कार्यकाल के आखिरी दिन, उन्होंने एक भावुक विदाई भाषण दिया, जिसमें उन्होंने न्यायपालिका के प्रति अपने कर्तव्यों और भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यदि मैंने कभी किसी को ठेस पहुंचाई हो तो कृपया मुझे माफ कर दें। यह अदालत ही है जो मुझे प्रेरित करती है, और मैं हमेशा इस दायित्व को संजीदगी से निभाने की कोशिश करता हूं।"
सेरेमोनियल बेंच और उनकी अंतिम सुनवाई
डीवाई चंद्रचूड़ ने सेवानिवृत्ति के दिन भी अधिकतम मामलों का निपटारा करने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब कोर्ट स्टाफ ने उनसे सेरेमोनियल बेंच के समय के बारे में पूछा, तो उन्होंने उत्तर दिया कि वह जितने मामले संभव हो, उतने सुनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "मैं आखिरी समय तक न्याय करने का अवसर नहीं गंवाना चाहता था।" उनका यह उत्साह न्याय के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विदाई समारोह में भावुकता
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी साझा किया कि उन्हें उम्मीद थी कि दोपहर बाद कोर्ट खाली हो जाएगा, लेकिन इतने सारे लोगों की उपस्थिति ने उन्हें अभिभूत कर दिया। उन्होंने कहा, "आप सभी की उपस्थिति से मैं खुद को विनम्र और आभारी महसूस कर रहा हूं।" यह उनके विनम्र स्वभाव और अपने कार्य के प्रति उनकी समर्पण भावना को उजागर करता है।
अपने कार्य से संतुष्टि
अपने कार्यकाल के अंतिम दिन, चंद्रचूड़ ने यह स्वीकार किया कि वह अगले दिन से मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्याय नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने अपने काम के प्रति संतोष व्यक्त किया। उन्होंने न्यायाधीशों को "तीर्थयात्री" की संज्ञा दी, जो न्याय की सेवा के लिए हर दिन अदालत में आते हैं। उन्होंने कहा, "हम जो काम करते हैं वह किसी की जिंदगी को बदल सकता है।" न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर उन्होंने संतोष के साथ जिम्मेदारी का भार उनके सुपुर्द किया।
दो साल पहले बने थे मुख्य न्यायाधीश
डीवाई चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला था। सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जिनका समाज और न्यायपालिका पर गहरा प्रभाव पड़ा। मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति हुई थी, और अपने अंतिम दिन भी उन्होंने कई याचिकाओं का निपटारा कर अपने कर्तव्य का पालन किया।डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल न्यायिक मूल्यों और उनके अनुकरणीय सेवा भाव का परिचायक रहा है। उनके विचार और न्यायिक निर्णय भारत की न्यायपालिका को एक नई दिशा देने में सहायक सिद्ध हुए हैं, और उनकी यादें भारतीय न्याय व्यवस्था में एक प्रेरणा बनकर सदैव जीवित रहेंगी।