Vikrant Shekhawat : Sep 28, 2024, 09:28 AM
India-Maldives News: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अक्टूबर 2024 के दूसरे हफ्ते में भारत के द्विपक्षीय दौरे पर आएंगे। यह दौरा 6 से 10 अक्टूबर के बीच होगा। इससे पहले मुइज्जू 9 जून को भारत आए थे, लेकिन वह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए था, न कि द्विपक्षीय बातचीत के लिए। अब उनके इस नए दौरे को दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव की कोशिश2023 में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू का यह भारत का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात 7 अक्टूबर को प्रस्तावित है। मालदीव के राष्ट्रपति का चुनाव प्रचार भारत विरोध पर केंद्रित था, जिसमें उन्होंने "इंडिया आउट" नामक एक अभियान चलाया था। इस अभियान का उद्देश्य मालदीव में भारतीय प्रभाव को कम करने का था। राष्ट्रपति बनने के बाद भी मुइज्जू ने इसी दिशा में कई कदम उठाए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पैदा हो गई थी।भारत पर निर्भरता कम करने की कोशिशराष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने मालदीव की भारत पर निर्भरता कम करने के लिए कई निर्णय लिए। उन्होंने मालदीव में तैनात 85 भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की, साथ ही 2019 में भारत के साथ किए गए संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौते को भी रद्द कर दिया। इससे दोनों देशों के रिश्तों में और भी गिरावट आई। मुइज्जू को चीन का करीबी माना जाता है, और राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपना पहला आधिकारिक दौरा चीन का ही किया। उनके नेतृत्व में मालदीव ने चीन और तुर्की जैसे देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने की कोशिश की है।भारत-मालदीव संबंधों में सुधार के संकेतहालांकि, हाल के महीनों में भारत और मालदीव के संबंधों में सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। भारत ने मालदीव में मानवीय मिशनों के लिए तैनात दो हेलीकॉप्टरों और एक विमान के संचालन और रखरखाव के लिए तैनात सैन्य कर्मियों को हटाते हुए उनकी जगह नागरिक विशेषज्ञों की नियुक्ति की है। यह कदम दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को संतुलित करने की दिशा में उठाया गया था। इसके बाद, मुइज्जू को अचानक प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया, जो द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक बदलाव का संकेत है।चीन के साथ मुइज्जू की निकटतामुइज्जू को चीन का करीबी माना जाता है और उन्होंने मालदीव की विदेश नीति को चीन की ओर मोड़ने का प्रयास किया है। उनका यह रुख भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, खासकर जब मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। मुइज्जू का यह द्विपक्षीय दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देखना होगा कि वह भारत के साथ संबंधों को किस दिशा में ले जाते हैं।निष्कर्षमोहम्मद मुइज्जू का भारत दौरा द्विपक्षीय संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। भले ही मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने भारत से अपनी दूरी बढ़ाने का प्रयास किया हो, लेकिन हालिया घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि दोनों देश संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच होने वाली वार्ता से यह स्पष्ट हो सकेगा कि मालदीव-भारत के संबंधों की दिशा किस ओर बढ़ रही है और दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग का भविष्य कैसा होगा।