Vikrant Shekhawat : Jul 06, 2023, 02:43 PM
Bihar Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त चाचा और भतीजे की जंग चल रही है, जिसे पूरा देश देख रहा है. शरद पवार और अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर कब्जे के लिए एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों के राजनीतिक गलियारों में चाचा-भतीजे की जंग कोई नई नहीं है, महाराष्ट्र से इतर इस वक्त एक ऐसी ही जंग बिहार में भी चल रही है. यहां भतीजे चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस पासवान के बीच एक लोकसभा सीट को लेकर जंग छिड़ गई है.पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की 5 जुलाई को जयंती थी, इस मौके पर उनके बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस पासवान के बीच एक बार फिर विरासत को लेकर खींचतान देखने को मिली है. पहले दोनों पार्टी पर कब्जे को लेकर आमने-सामने आए थे और अब बात एक लोकसभा सीट की है. दरअसल, जमुई से सांसद चिराग पासवान ने ऐलान किया है कि 2024 का लोकसभा चुनाव वह हाजीपुर से लड़ेंगे, जहां से उनके पिता लड़ा करते थे. इसी का विरोध पशुपति पारस ने किया है जो मौजूदा वक्त में इस सीट से सांसद हैं.अपने भाई की छत्रछाया में रहकर राजनीति करने वाले पशुपति पारस का कहना है कि उनके भाई (रामविलास पासवान) ने ही यह सीट उनको सौंप दी थी, ऐसे में ये उनकी विरासत हुई इसलिए वह खुद ही इस सीट से दांव आजमाएंगे. बता दें कि हाजीपुर सीट रामविलास पासवान का गढ़ थी, वह यहां से 7 बार सांसद रह चुके हैं.चाचा-भतीजे के बीच किस बात का तनाव?दरअसल, अपने पिता की जयंती के मौके पर लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने हाजीपुर में बड़ा रोड शो निकाला. चिराग के समर्थकों का बड़ा हुजूम सड़कों पर निकला तो उन्होंने एक नई राजनीतिक लड़ाई का भी ऐलान कर दिया. जमुई से सांसद चिराग ने पिता की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कही, चिराग ने समर्थकों के सामने ऐलान किया कि वह अब हाजीपुर के लिए ही काम करेंगे और अपने पिता के सपने को पूरा करेंगे. बस इसी ऐलान ने चाचा-भतीजे की लड़ाई को एक बार फिर सामने ला दिया.चिराग के इस बयान पर पशुपति पारस ने जवाब दिया है, उनका कहना है कि मैं अब वहां का सांसद हूं, मेरे भाई ने ही मुझे ये सीट दी थी. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने एक निजी चैनल को बताया कि वह 2019 में चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन रामविलास पासवान के कहने पर वह चुनावी मैदान में उतरे थे.लोकसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजे में सुलह का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है, ऐसे में अगर दोनों ही इस सीट से चुनाव लड़ते हैं तो पारिवारिक कलह राजनीतिक जंग में बदल सकती है. खास बात ये है कि अभी पशुपति पारस एनडीए के साथ हैं और केंद्र सरकार में मंत्री हैं जबकि चिराग पासवान किसी गठबंधन के साथ नहीं हैं.पार्टी के लिए हो चुकी है दोनों में रारचिराग और पशुपति पारस के बीच यह अदावत पहले भी देखी जा चुकी है, जब रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग को पार्टी में तरजीह देनी शुरू की थी. दरअसल, पहले केंद्र की राजनीति में रामविलास पासवान एक्टिव रहते थे तो राज्य का कामकाज उनके भाई पशुपति ही देखते थे. लेकिन बाद में रामविलास ने चिराग को फ्रंटफुट पर रखा और प्रदेश की जिम्मेदारी पूरी तरह से अपने बेटे को सौंप दी.तभी से ये लड़ाई चल रही थी और जब 2020 में रामविलास का देहांत हुआ तो उसके बाद पार्टी में चल रही यह कलह खुलकर सामने आ गई. साल 2021 में चिराग और पशुपति पारस के गुट ने पार्टी पर अपना दावा किया, जिसके बाद चिराग पासवान ने पार्टी से पांच सांसदों को निष्कासित कर दिया था जबकि पशुपति पारस गुट ने चिराग को ही पार्टी अध्यक्ष के पद से हटा दिया था.कई दिनों तक चली इस कानूनी लड़ाई के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पर चिराग पासवान का कब्जा हुआ, जबकि पशुपति पारस के साथ गए सांसदों ने मिलकर राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी बना ली. लोकसभा में पशुपति पारस को ही पार्टी का नेता माना गया था, उन्होंने केंद्र सरकार को समर्थन दिया और वह केंद्रीय मंत्री भी बने.हाजीपुर सीट पर आखिर किसका दांव?सारी लड़ाई 2024 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट को लेकर है. बिहार में फिर से अपनी जमीन हासिल करने की कोशिश में जुटे चिराग पासवान अपने पिता की सीट के जरिए खुद को आगे लाना चाहते हैं, तो वहीं उनके चाचा पशुपति पारस अपने भाई की सीट पर पैर जमाए बैठे हैं. पशुपति पारस के साथ हालांकि अभी एनडीए के साथ है, जबकि चिराग पासवान इस कोशिश में जुटे हैं कि वह एनडीए में शामिल हो पाएंगे. SC के लिए आरक्षित इस सीट को लोजपा का गढ़ माना जाता है, यही वजह है कि पार्टी पर कब्जे की जंग के बाद अब इस गढ़ को हथियाने की कोशिश है.