Bihar Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर रैली और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद बिहार में कैबिनेट विस्तार की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। हाल ही में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में संभावित नामों पर गहन चर्चा की गई। ऐसा कहा जा रहा है कि नड्डा से मुलाकात के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार पर सहमति बन चुकी है और विधानमंडल के बजट सत्र से पहले ही इसका ऐलान हो सकता है।
कैबिनेट में खाली पद और संभावित नए चेहरे
वर्तमान में बिहार सरकार में कुल 30 मंत्री हैं, जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दो उपमुख्यमंत्री शामिल हैं। बिहार विधानसभा की संरचना के अनुसार, अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि अभी भी छह मंत्री पद खाली हैं, जिन्हें नए चेहरों से भरा जा सकता है।
बीजेपी कोटे से कुल पांच मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है, जबकि एक-दो मंत्रियों को हटाया भी जा सकता है। पार्टी नेताओं के अनुसार, वर्तमान में 30 सदस्यीय मंत्रिमंडल में बीजेपी के 15 मंत्री शामिल हैं, जिनमें दो उपमुख्यमंत्री भी हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा संभव
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल, जो कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नवल किशोर यादव को मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा, जीवेश कुमार और अनिल शर्मा में से किसी एक को कैबिनेट में स्थान मिल सकता है, जबकि महिला कोटा से कविता देवी को मंत्री पद दिया जा सकता है।
जेडीयू कोटे पर सस्पेंस बरकरार
जहां बीजेपी के संभावित मंत्रियों को लेकर अटकलें तेज हैं, वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) कोटे को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे। जिन मंत्रियों के पास वर्तमान में दो-दो विभाग हैं, उनसे एक विभाग लिया जा सकता है ताकि नए मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी जा सके।
विधानसभा चुनावों से पहले कैबिनेट विस्तार का राजनीतिक अर्थ
इस कैबिनेट विस्तार को साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इस विस्तार के जरिए सभी सामाजिक और जातीय समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है। सरकार का लक्ष्य विभिन्न समुदायों को प्रतिनिधित्व देना और आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करना है।
बिहार में 28 फरवरी से बजट सत्र की शुरुआत होगी और यह 28 मार्च तक चलेगा। माना जा रहा है कि इससे पहले ही कैबिनेट विस्तार का ऐलान कर दिया जाएगा, ताकि नए मंत्रियों को अपनी जिम्मेदारियां निभाने का पर्याप्त समय मिल सके।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में कैबिनेट विस्तार को लेकर हलचल तेज हो चुकी है। बीजेपी और जेडीयू दोनों ही अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं ताकि चुनावी समीकरणों को अपने पक्ष में किया जा सके। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किन नए चेहरों को कैबिनेट में जगह मिलती है और यह विस्तार राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।