इंडिया / आर्टिकल 370: गुलाम नबी आज़ाद को मिली कश्मीर जाने की इजाजत, सीजेआई ने कहा- मै खुद जाऊंगा श्रीनगर

उच्चतम न्यायालय ने आज अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद दाखिल हुई कई याचिकाओं पर सुनवाई की। सभी याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। अदालत ने गुलाम नबी आजाद को चार जिलों की यात्रा करने की भी मंजूरी दे दी है। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अगर लोग उच्च न्यायालय से संपर्क करने में असमर्थ हैं तो यह बेहद गंभीर है, मैं खुद श्रीनगर जाऊंगा।

AMAR UJALA : Sep 16, 2019, 12:38 PM
उच्चतम न्यायालय ने आज अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद दाखिल हुई कई याचिकाओं पर सुनवाई की। जिसमें एमडीएमके के अध्यक्ष वाइको ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर याचिका दाखिल की थी। जिसपर अदालत ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर को नोटिस जारी किया। इसके अलावा कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक ने घाटी में समाचार पत्र निकालने को लेकर हो रही परेशानी पर याचिका दायर की थी। वहीं एक याचिका में दावा किया गया था कि घाटी के लोगों को चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल रही हैं। सभी याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। अदालत ने गुलाम नबी आजाद को चार जिलों की यात्रा करने की भी मंजूरी दे दी है।

सीजेआई ने कहा- मैं खुद श्रीनगर जाऊंगा

वहीं उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से इस आरोप पर रिपोर्ट मांगी है कि लोगों को उच्च न्यायालय से संपर्क करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अगर लोग उच्च न्यायालय से संपर्क करने में असमर्थ हैं तो यह बेहद गंभीर है, मैं खुद श्रीनगर जाऊंगा। सीजेआई ने एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की रिपोर्ट इससे उलट बताती है तो परिणाम के लिए तैयार रहें।

गुलाम नबी आजाद को मिली चार जिलों की यात्रा करने की इजाजत 

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यनमंत्री गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग और जम्मू जाने की इजाजत दे दी है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, 'जो उन्होंने लिखित में दिया है उसके अनुसार वह कोई भाषण नहीं देंगे और न ही कोई सार्वजनिक रैली करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान आजाद लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं। 

वाइको की याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर को जारी हुआ नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को न्यायालय के समक्ष पेश किए जाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सोमवार को जवाब मांगा। अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा रद्द किए जाने के बाद से कथित रूप से हिरासत में हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे एवं न्यायमूर्ति एस ए नजीर की पीठ ने केंद्र और राज्य को नोटिस जारी किया और राज्यसभा सांसद एवं एमडीएमके नेता वाइको की याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की।

वाइको ने कहा कि वह पिछले चार दशकों से अब्दुल्ला के निकट मित्र हैं। वाइको ने दावा किया कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता को ‘बिना किसी कानूनी अधिकार के अवैध हिरासत’ में लेकर, उन्हें संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों से वंचित रखा गया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर प्रतिबंध हटाए जाएंगे।

समाचार पत्र निकालने में मुश्किल

शीर्ष अदालत में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को लेकर दायर याचिका में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि मीडियाकर्मियों को उनके काम के लिए लैंडलाइन और कई अन्य संचार सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र चल रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है। प्रतिबंधित इलाकों में पहुंच के लिए मीडिया को ‘पास’ दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई है। दूरदर्शन जैसे टीवी चैनल और अन्य निजी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि कश्मीर से समाचार पत्र निकालने में मुश्किल हो रही है। जिसका सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया।

लोगों को नहीं मिल रही चिकित्सा सुविधा

उच्चतम न्यायालय में कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने दायर याचिका में दावा किया कि लोगों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। जिसके जवाब में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पूरे जम्मू और कश्मीर के 5.5 से ज्यादा लोग इलाज के लिए ओपीडी जा चुके हैं। उन्होंने भसीन के दावे को सिरे से खारिज किया। अदालत ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर से कहा कि वह घाटी में सामान्य जीवन सुनिश्चित करें और ऐसा करते समय  राष्ट्रीय सुरक्षा और सुरक्षा को भी ध्यान में रखें। 

तारिगामी की हिरासत का नहीं दिया कोई आदेश

उच्चतम न्यायालय ने माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी को अपने गृह राज्य जम्मू-कश्मीर वापस जाने की सोमवार को अनुमति दे दी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे एवं एसए नजीर की पीठ ने कहा कि यदि एम्स के चिकित्सक उन्हें अनुमति दें तो पूर्व विधायक को घर जाने के लिए किसी की अनुमति आवश्यक नहीं है। पूर्व विधायक ने आरोप लगाया कि उनका वाहन उनसे ले लिया गया है और वह अपने घर तक सीमित रहेंगे। बीमार नेता को न्यायालय के आदेश के बाद नौ सितंबर को एम्स में भर्ती कराया गया था।