Live Hindustan : Nov 11, 2019, 08:51 PM
शिवसेना ने सोमवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करने के लिए और तीन दिन का वक्त मांगा, जिसे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इनकार कर दिया। आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना के कई नेता राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। पहले यह समझा जा रहा था कि शिवसेना राज्यपाल से मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।वहीं दूसरी ओर, सोमवार शाम 4 बजे कांग्रेस कार्यसमिति की दूसरी बैठक के बाद भी पार्टी ने अब तक शिवसेना को समर्थन देने पर कोई फैसला नहीं लिया। हालांकि उसने कहा कि एनसीपी से इस संबंध में उनकी बात जारी रहेगी।कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन के मुद्दे पर की थी दूसरी बैठककांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के वास्ते शिवसेना को समर्थन देने पर फैसला करने के लिए सोमवार की शाम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देना है या नहीं, इस संबंध में फैसला करने के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और सुशील कुमार शिंदे के साथ-साथ पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख बालासाहेब थरोट ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। पार्टी के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, के सी वेणुगोपाल ने शाम की बैठक में भाग लिया था।इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की और उनसे महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए उनकी पार्टी का समर्थन मांगा। शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस की दूसरी महत्वपूर्ण बैठक से पहले ठाकरे ने सोनिया गांधी से फोन पर बात की थी। सूत्रों ने बताया कि शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए कांग्रेस का समर्थन मांगा।महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए दावा पेश करने की खातिर सोमवार (11 नवंबर) शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया था, जो कि अब खत्म हो गया है। कोश्यारी ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन करने का दावा पेश करने के लिए अपनी इच्छा और सामर्थ्य का संकेत देने के लिए बुलाया था। उससे पहले 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने राज्य में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने का फैसला किया था।