PM Shehbaz Sharif: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बृहस्पतिवार को बलूचिस्तान प्रांत का दौरा किया, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की समीक्षा की और जाफर एक्सप्रेस हाईजैक की घटना के पीड़ितों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। इस हमले में 21 नागरिक और 4 सैनिक मारे गए थे। शरीफ का यह दौरा तब हुआ जब पाकिस्तान की सुरक्षा बलों ने हाईजैक की घटना में शामिल बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के सभी 33 विद्रोहियों को मार गिराया।
बलूचिस्तान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री शरीफ के साथ उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इसहाक डार, संघीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार, संघीय योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल, संघीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री नवाबजादा मीर खालिद मगसी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। सरकार ने स्पष्ट किया कि बलूचिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता प्राथमिकता है।
राजनीतिकरण का आरोप
इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर इस घटना का राजनीतिकरण करने और सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। आसिफ ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर राष्ट्रीय एकता का परिचय देना चाहिए।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई और सफलता
घटना को लेकर चलाए गए सैन्य अभियान के बारे में जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को सफलतापूर्वक खत्म कर दिया और बड़ी संख्या में यात्रियों की जान बचाई। उन्होंने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिस पर पूरा देश गर्व कर सकता है। यदि देश इसी तरह हमारे सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहे, तो हम आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में निश्चित रूप से सफल होंगे।"
जाफर एक्सप्रेस हमला: एक खतरनाक घटना
जाफर एक्सप्रेस, जो करीब 500 यात्रियों को लेकर क्वेटा से पेशावर जा रही थी, पर गुडलार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाकों में एक सुरंग के पास बीएलए विद्रोहियों ने हमला किया। हमलावरों ने ट्रेन पर गोलीबारी की और यात्रियों को बंधक बना लिया, जिससे सुरक्षा बलों को एक कठिन ऑपरेशन शुरू करना पड़ा। यह अभियान दो दिनों तक चला।
विदेशी समर्थन के संकेत
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बताया कि आतंकवादी "सैटेलाइट फोन के जरिए अफगानिस्तान में मौजूद अपने मददगारों और मास्टरमाइंड से संपर्क में थे।" इससे संकेत मिलता है कि हमले के पीछे बाहरी तत्व भी सक्रिय थे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री शरीफ का बलूचिस्तान दौरा न केवल आतंकवाद पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाने का एक प्रयास था, बल्कि यह भी संकेत था कि सरकार क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ देश की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाया है। अब देखने वाली बात होगी कि पाकिस्तान सरकार इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में क्या रणनीतियाँ अपनाती है।