IND vs AUS: भारतीय क्रिकेट टीम को सिडनी में खेले गए पांचवें और आखिरी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 6 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। इस हार के साथ ही भारत को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से गंवानी पड़ी है। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 10 साल बाद इस प्रतिष्ठित सीरीज में भारत पर जीत दर्ज की। इससे पहले 2014-15 के सीजन में एमएस धोनी की कप्तानी में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में हार का सामना करना पड़ा था।
तीसरे दिन का मुकाबला: भारत की हार
रविवार को टेस्ट के तीसरे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 162 रन का लक्ष्य रखा। जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 4 विकेट खोकर यह लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया। ऑस्ट्रेलिया की ओर से ट्रैविस हेड 34 रन और ब्यू वेबस्टर 39 रन बनाकर नाबाद रहे। उस्मान ख्वाजा ने 41 रन का महत्वपूर्ण योगदान दिया, जबकि सैम कोंस्टास ने 22 रन बनाए। भारतीय गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा ने 3 विकेट लिए, जबकि सिराज को 1 सफलता मिली।
भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी में मात्र 157 रन पर ऑलआउट हो गई थी। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 181 रन पर सिमटी थी, जबकि भारत ने पहली पारी में 185 रन बनाए थे। इस तरह भारत को पहली पारी में 4 रन की मामूली बढ़त मिली थी। हालांकि, दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजी बुरी तरह विफल रही, जिससे टीम को हार का सामना करना पड़ा।
डब्ल्यूटीसी फाइनल की रेस से भारत बाहर
इस हार के साथ ही भारतीय टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के मौजूदा साइकल के फाइनल की दौड़ से बाहर हो गई है। भारत की जीत प्रतिशत 50.00% पर सिमट गई है, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 63.73% जीत प्रतिशत के साथ लगातार दूसरी बार WTC फाइनल में जगह बना ली है।डब्ल्यूटीसी फाइनल का मुकाबला जून में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेला जाएगा, जहां ऑस्ट्रेलिया का सामना दक्षिण अफ्रीका से होगा। दक्षिण अफ्रीकी टीम पहले ही फाइनल के लिए क्वालिफाई कर चुकी है।
भारतीय टीम की दूसरी पारी में बल्लेबाजी फ्लॉप
भारतीय टीम दूसरी पारी में अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर सकी और 157 रन पर ढेर हो गई। श्रेयस अय्यर ने सबसे ज्यादा 42 रन बनाए, जबकि चेतेश्वर पुजारा ने 32 रनों का योगदान दिया। कप्तान विराट कोहली और शुभमन गिल सस्ते में आउट हो गए। भारतीय टीम ने अपनी दूसरी पारी में कुल 161 रन की बढ़त हासिल की, जो ऑस्ट्रेलिया के मजबूत बल्लेबाजी क्रम के सामने नाकाफी साबित हुई।दूसरी पारी में कप्तान जसप्रीत बुमराह भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे। पीठ में जकड़न की समस्या के चलते बुमराह मैदान से बाहर रहे। उनकी गैरमौजूदगी में विराट कोहली ने कप्तानी की, लेकिन गेंदबाजों ने अहम मौकों पर विकेट लेने में नाकामी दिखाई।
ऑस्ट्रेलिया की मजबूत बल्लेबाजी
ऑस्ट्रेलिया ने 162 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी बल्लेबाजी में संयम और धैर्य दिखाया। उस्मान ख्वाजा और सैम कोंस्टास ने टीम को सधी हुई शुरुआत दी। हालांकि, सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा ने ऑस्ट्रेलिया के चार बल्लेबाजों को आउट किया, लेकिन ट्रैविस हेड और ब्यू वेबस्टर की नाबाद साझेदारी ने भारत से जीत की उम्मीदें छीन लीं।
भारत की हार के प्रमुख कारण
इस हार के कई कारण रहे। सबसे बड़ा कारण भारतीय बल्लेबाजों का निराशाजनक प्रदर्शन रहा। खासकर दूसरी पारी में टीम के टॉप ऑर्डर ने बड़ा स्कोर नहीं बनाया। इसके अलावा, जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति का भी टीम पर प्रभाव पड़ा।भारतीय गेंदबाजों ने दूसरी पारी में संघर्ष किया, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने मैच को अपने पक्ष में कर लिया। इसके अलावा, फील्डिंग में भी भारत की ओर से कुछ गलतियां हुईं, जिसका फायदा कंगारू टीम ने उठाया।
सीरीज में भारत का प्रदर्शन
सीरीज के दौरान भारतीय टीम का प्रदर्शन औसत रहा। पहली पारी में टीम ने कुछ मुकाबलों में संघर्ष किया, लेकिन दूसरी पारी में अक्सर बल्लेबाजी बिखर गई। गेंदबाजों ने कुछ मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहे।
ऑस्ट्रेलिया की जीत के मायने
इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने यह साबित कर दिया कि वह टेस्ट क्रिकेट में एक मजबूत टीम है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतकर ऑस्ट्रेलिया ने भारत को मानसिक और रणनीतिक दोनों ही मोर्चों पर मात दी। कंगारू टीम ने न केवल सीरीज अपने नाम की, बल्कि WTC फाइनल में भी प्रवेश किया।ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने इस जीत को टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यह जीत टीम के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है और WTC फाइनल के लिए भी प्रेरणा का काम करेगी।
आगे की चुनौतियां
भारतीय टीम के लिए यह हार एक बड़ा सबक है। टीम को अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में सुधार की जरूरत है। साथ ही, टीम मैनेजमेंट को खिलाड़ियों की फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा ताकि प्रमुख खिलाड़ियों की अनुपस्थिति का असर टीम पर न पड़े।इस हार के बाद भारतीय टीम को अपनी कमजोरियों पर काम करना होगा और भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के लिए रणनीतियां बनानी होंगी। आगामी सीरीज और टूर्नामेंट में भारतीय टीम को एक नई शुरुआत करनी होगी ताकि टेस्ट क्रिकेट में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पा सके।