Ayodhya / बाबरी नहीं बल्कि यह होगा अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद का नाम, जानें इसकी वजह

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद अब मस्जिद निर्माण की कवायद भी तेज हो गई है। अयोध्या शहर के बाहर पांच एकड़ जमीन में प्रस्तावित मस्जिद के नाम को लेकर अभी स्पष्टता नहीं है, मगर एक बात लगभग तय है कि प्रस्तावित मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद नहीं होगा। माना जा रहा है कि मस्जिद का नाम धन्नीपुर गांव के नाम पर रखा जाएगा, जहां यह स्थित है।

Live Hindustan : Aug 15, 2020, 07:59 AM
Ayodhya: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद अब मस्जिद निर्माण की कवायद भी तेज हो गई है। अयोध्या शहर के बाहर पांच एकड़ जमीन में प्रस्तावित मस्जिद के नाम को लेकर अभी स्पष्टता नहीं है, मगर एक बात लगभग तय है कि प्रस्तावित मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद नहीं होगा। माना जा रहा है कि मस्जिद का नाम धन्नीपुर गांव के नाम पर रखा जाएगा, जहां यह स्थित है। यह जानकारी मस्जिद परिसर की निर्माण की देखरेख करने वाले वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को दी। 

प्रस्तावित मस्जिद और अन्य सुविधाओं के प्रभारी इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के 15 सदस्यीय ट्रस्ट ने कहा कि प्रस्तावित नामों की सूची में मस्जिद धन्नीपुर का नाम सबसे टॉप पर है। अन्य सुझावों में अमन (शांति) मस्जिद और सूफी मस्जिद शामिल है। बता दें कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए सरकार से 5 एकड़ जमीन सोहवल तहसील के धन्नीपुर गांव में ही आवंटित की गई है।

इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा कि हमें मस्जिद के नाम के बारे में सुझाव मिल रहे हैं। मगर उनमें से 'मस्जिद धन्नीपुर'  नाम हमारी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है। अधिक संभावना है कि मस्जिद का नाम 'मस्जिद धन्नीपुर' होगा।

सूत्रों की मानें तो परिसर में एक मस्जिद, एक अस्पताल, एक सामुदायिक रसोईघर और एक शैक्षिक केंद्र शामिल होने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महीने अयोध्या शहर से 20 किमी दूर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन सौंप दी, जहां फिलहाल धान के खेत हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 के अपने आदेश में राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में 2.77 एकड़ की जगह देने का आदेश दिया था, साथ ही अदालत ने यूपी सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थल पर पांच एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया था।

हालांकि, यूपीएससीडब्ल्यूबी द्वारा मान्यता प्राप्त ट्रस्ट ने यह स्पष्ट किया था कि वे नई मस्जिद को विवादित 16 वीं शताब्दी की संरचना से जोड़ना नहीं चाहते हैं, जिसे 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों की भीड़ ने ध्वस्त कर दिया था। हुसैन ने कहा कि बोर्ड शुरू ही अपने स्टैंड पर कायम है कि मस्जिद का नाम मुगल सम्राट बाबर के नाम पर नहीं रखा जाएगा।

ट्रस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रस्ट किसी भी विवाद से अलग रहना चाहता है और इसलिए किसी भी सम्राट के नाम पर मस्जिद का नामकरण करने के पक्ष में नहीं है। हुसैन ने कहा कि किसी भी मामले में यह एक स्थापित परंपरा है कि मस्जिदों का नाम अक्सर इलाके या स्थानीयता के नाम पर रखा जाता है।