India-Bangladesh News / बांग्लादेश के तेवर नहीं हो रहे कम, शाह के बयान पर जताया ऐतराज

बांग्लादेश ने गृह मंत्री अमित शाह के बांग्लादेशी घुसपैठियों पर दिए बयान पर नाराजगी जताई। शाह ने झारखंड में रैली के दौरान कहा था कि भाजपा घुसपैठियों को बाहर करेगी। बांग्लादेश ने इसे आपत्तिजनक बताते हुए भारत सरकार से ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी, जिससे द्विपक्षीय रिश्तों पर असर हो।

Vikrant Shekhawat : Sep 24, 2024, 01:00 PM
India-Bangladesh News: भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक तनाव हाल ही में तब बढ़ गया जब बांग्लादेश ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान पर नाराजगी जताई। झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान शाह ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर राज्य से बाहर निकालने का संकल्प व्यक्त किया था। बांग्लादेश ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी और भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर को एक विरोध पत्र सौंपा।

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने 23 सितंबर को ढाका में भारतीय डिप्टी हाई कमिश्नर को एक औपचारिक पत्र देकर अमित शाह के बयान पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। पत्र में बांग्लादेश ने इस बयान को आपत्तिजनक और अस्वीकार्य बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान दो मित्र देशों के बीच संबंधों को कमजोर कर सकते हैं और ऐसे उच्च पदों पर आसीन नेताओं से इस तरह की टिप्पणियों की अपेक्षा नहीं की जाती है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे बयानों से दोनों देशों के बीच आपसी सम्मान और मजबूत रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

अमित शाह का बयान

अमित शाह ने झारखंड के साहिबगंज में विधानसभा चुनाव के लिए आयोजित एक रैली के दौरान कहा था कि अगर राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है, तो रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर राज्य से बाहर निकाल दिया जाएगा। शाह ने आगे कहा कि ये घुसपैठिए राज्य की सभ्यता और संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन्हें अब झारखंड में कोई जगह नहीं मिलेगी। उन्होंने इस समस्या को गंभीर बताते हुए कहा कि अगर यह जारी रहा, तो अगले 25-30 वर्षों में घुसपैठियों की संख्या बढ़ सकती है।

पहले भी उठे थे विवाद

यह पहली बार नहीं है जब भारत और बांग्लादेश के बीच इस तरह के विवाद सामने आए हैं। कुछ समय पहले बांग्लादेश में राष्ट्रगान को लेकर भी भारत पर आरोप लगाए गए थे। एक पूर्व बांग्लादेशी सैनिक ने दावा किया था कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान "अमार सोनार बांग्ला" भारत ने 1971 के युद्ध के दौरान देश पर थोपा था। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने राष्ट्रगान बदलने की मांग को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि यह मामला उनके औपनिवेशिक अतीत का हिस्सा है। सरकार के धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने तब कहा था कि बांग्लादेश भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखना चाहता है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव

हालांकि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने दोनों देशों के बीच कुछ असहमति पैदा कर दी है। बांग्लादेश का भारत के साथ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान महत्वपूर्ण रहा है, और दोनों देश विभिन्न मुद्दों पर सहयोग करते रहे हैं।

लेकिन ऐसे कूटनीतिक तनाव, चाहे वह घुसपैठियों के मुद्दे पर हो या राष्ट्रगान पर, इन रिश्तों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। दोनों देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे आपसी संवाद के जरिए इन मुद्दों को हल करें और अपने रिश्तों को फिर से स्थिरता की ओर ले जाएं।

निष्कर्ष

भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद, दोनों देशों के लिए अपने दीर्घकालिक और सामरिक हितों को ध्यान में रखते हुए कूटनीतिक समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना जरूरी है। दोनों पड़ोसी देश क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं, और आपसी सम्मान व सहयोग से ही इन संबंधों को बनाए रखा जा सकता है।