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- 26-Jan-2025 01:00 PM IST
Union Budget 2025: देश में आगामी केंद्रीय बजट 2025 का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले इस बजट से आम लोगों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। बजट में होने वाली घोषणाओं का हर किसी पर असर पड़ता है, चाहे वह नौकरीपेशा हो, व्यापारी हो, या फिर आम नागरिक। इस समय आम लोगों की नजर इस बात पर है कि वित्त मंत्री उन्हें किस तरह की राहत और फैसले देंगे, जो उनके रोजमर्रा के जीवन को बेहतर बना सकें।जैसे-जैसे बजट की घड़ी नजदीक आती है, वैसे-वैसे कई ऐसे शब्द और टर्म सामने आते हैं, जिन्हें आम लोग आसानी से नहीं समझ पाते। इस लेख में हम आपको बजट के कुछ ऐसे टर्म्स के बारे में बताएंगे, जिनसे बजट भाषण को समझना आसान होगा। साथ ही हम कुछ दिलचस्प फैक्ट्स भी शेयर करेंगे, जो भारतीय बजट की प्रक्रिया और इतिहास को दिलचस्प बनाते हैं।
बजट को लेकर 5 दिलचस्प फैक्ट्स
- पहला बजट: भारत का पहला बजट 1947 में आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था, जो कि एक अंतरिम बजट था। यह बजट देश की आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए 31 मार्च, 1948 तक का था।
- सबसे लंबा बजट भाषण: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड है। उन्होंने 2020 में 2.42 घंटे का बजट भाषण दिया था।
- हलवा समारोह: यह एक पारंपरिक समारोह है, जिसमें वित्त मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारी जिन्हें बजट तैयार करने में शामिल किया जाता है, उन्हें हलवा (भारतीय मिठाई) परोसा जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है, जिसे आज भी निभाया जाता है।
- बजट प्रिंटिंग लीक: 1950 में, वित्त मंत्री जॉन मथाई के समय केंद्रीय बजट प्रिंटिंग के दौरान लीक हो गया था। इसके बाद बजट प्रिंटिंग को सुरक्षा कारणों से राष्ट्रपति भवन से मिंटो रोड पर स्थानांतरित किया गया।
- बजट में हिंदी और अंग्रेजी का प्रयोग: 1955 तक केंद्रीय बजट केवल अंग्रेजी में पेश किया जाता था। फिर वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने 1955-56 से इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश करने की परंपरा शुरू की।
बजट के वो 15 टर्म जो आपके लिए समझना जरूरी है
- बजट अनुमान (BE): यह वह राशि होती है, जिसे किसी विशिष्ट मंत्रालय को आवंटित किया जाता है। यह उस मंत्रालय के खर्च का अनुमान होता है।
- पूंजीगत व्यय (Capex): यह वह धनराशि है, जिसे सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए खर्च करती है।
- उपकर (Cess): यह टैक्स के अलावा एक अतिरिक्त शुल्क होता है, जिसे विशेष उद्देश्यों के लिए लगाया जाता है, जैसे शिक्षा या स्वास्थ्य देखभाल।
- प्रत्यक्ष कर (Direct Tax): यह टैक्स आय और कंपनियों पर लगाया जाता है, जैसे कि आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स।
- विनिवेश (Disinvestment): यह एक प्रक्रिया है, जिसमें सरकार अपनी संपत्तियां बेचती है, ताकि धनराशि जुटाई जा सके।
- आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey): यह दस्तावेज सरकार के वित्तीय प्रदर्शन पर प्रकाश डालता है और आगामी बजट के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): यह किसी देश की कुल आय और खर्च के बीच का अंतर होता है, जो राजकोषीय स्थिति को दर्शाता है।
- राजकोषीय नीति (Fiscal Policy): यह सरकार के खर्च और टैक्स निर्धारण की नीति होती है, जो देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बनाई जाती है।
- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax): यह टैक्स वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है, जैसे जीएसटी और सीमा शुल्क।
- महंगाई (Inflation): महंगाई का मतलब है वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि। यह अर्थव्यवस्था पर दबाव डालता है।
- नई कर व्यवस्था (New Tax Regime): यह एक 7 टैक्स स्लैब प्रणाली है, जिसमें टैक्स कटौतियों को समाप्त किया गया है और टैक्स की दरें घटाई गई हैं।
- पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime): इसमें चार टैक्स स्लैब होते हैं, जिनमें 10 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30% कर लगता है।
- छूट (Rebate): यह करदाता को टैक्स में दी गई छूट है, जो उनकी कर योग्य आय को कम करती है।
- सोर्स पर एकत्रित कर (TCS): यह टैक्स विक्रेता द्वारा खरीदार से सामान या सेवाओं की बिक्री पर एकत्र किया जाता है।
- कर कटौती (Tax Deduction): यह वह कटौती है, जो किसी व्यक्ति या कंपनी के कर योग्य आय को कम करती है और टैक्स बोझ को घटाती है।