मथुरा / ब्राह्रमणो ने कहा अच्छा है कोरोना की वजह से रावण को नही जलाया जाएगा, हमें रावण की अच्छाइयों से सीख....

हमारे किसी भी धर्म ग्रंथ में पुतले को जलाने की कोई कहानी या कहानी नहीं है। और न ही हमारे संविधान (संविधान) में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद बार-बार पुतला जलाने की अनुमति है। लेकिन कुछ लोग हर साल पुतला जलाने की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। यह एक मिथ्या नाम है। लेकिन हमें इस बात की भी खुशी है कि इस साल कोरोना की वजह से देश के कई हिस्सों में रावण के पुतले नहीं जलाए जा रहे हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 25, 2020, 04:24 PM
नई दिल्ली. हमारे किसी भी धर्म ग्रंथ में पुतले को जलाने की कोई कहानी या कहानी नहीं है। और न ही हमारे संविधान (संविधान) में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद बार-बार पुतला जलाने की अनुमति है। लेकिन कुछ लोग हर साल पुतला जलाने की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। यह एक मिथ्या नाम है। लेकिन हमें इस बात की भी खुशी है कि इस साल कोरोना की वजह से देश के कई हिस्सों में रावण के पुतले नहीं जलाए जा रहे हैं।

यह कहना है लंकेश भक्त मंडल (लंकेश भक्त मंडल) से जुड़े मथुरा के कुछ ब्राह्मणों का। मंडल अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत का कहना है कि हमें रावण की भलाई से सीखना चाहिए। हमें उनकी तपस्या और शक्ति से प्रेरणा लेनी चाहिए।

मथुरा में यमुना के तट पर रावण महाराज ने पूजा की

लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी मथुरा के जन्मस्थान में यमुना के किनारे शिव मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की आरती की गई। लंकेश भक्तों ने दशानन पूजा करके पूरे देश में पुतला जलाने की प्रथा को रोकने की मांग की, क्योंकि शास्त्र और संविधान पुतला दहन की परंपरा को अनुमति नहीं देते हैं।

कुलदीप अवस्थी, जिन्होंने पूजा के दौरान शिव और शक्ति की पूजा की, उन्होंने दशानन का रूप धारण किया और पहले भगवान शिव की पूजा और आराधना की। लंकेश भक्तों द्वारा जय लंकेश-जय शंकर के नारे लगाए गए। लंकेश भक्तों द्वारा महाराज दशानन की आरती की गई।