India Tariff War: दुनिया भर में व्यापारिक नीतियों में उथल-पुथल मची हुई है, और भारत अब इस दौड़ में अपने नए कदम से सबको चौंकाने वाला है। अमेरिका, चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोप में टैरिफ वॉर के बीच भारत भी अपने घरेलू उद्योग को सुरक्षित करने के लिए बड़ा फैसला लेने जा रहा है। सरकार ने स्टील उत्पादों पर 12% अस्थायी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे चीन, दक्षिण कोरिया और जापान को झटका लग सकता है।
भारत के फैसले के पीछे की वजह
भारत वर्तमान में 70% से अधिक स्टील इन देशों से आयात करता है, जिससे घरेलू स्टील उत्पादक कंपनियों पर दबाव बढ़ रहा है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने घरेलू बाजार की सुरक्षा को देखते हुए 200 दिनों के लिए यह अस्थायी टैरिफ लगाने की सिफारिश की है। यह कदम घरेलू उद्योग को सस्ते आयात से बचाने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
कैसे हुई इस फैसले की जरूरत?
इंडियन स्टील एसोसिएशन के सदस्यों ने सरकार से शिकायत की थी कि हाल के वर्षों में स्टील उत्पादों के आयात में अचानक वृद्धि हुई है। इससे भारतीय निर्माताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है। DGTR की जांच के अनुसार, 2021-22 में 22.93 लाख टन स्टील का आयात हुआ था, जो 2023-24 में बढ़कर 66.12 लाख टन तक पहुंच गया। इस स्थिति ने घरेलू उद्योग को गंभीर खतरे में डाल दिया।
12% टैरिफ की सिफारिश और असर
DGTR ने 18 मार्च को जारी अपने नोटिफिकेशन में कहा कि तत्काल प्रभाव से अस्थायी सुरक्षा शुल्क लगाना आवश्यक है, ताकि घरेलू उद्योग को बचाया जा सके। यदि यह शुल्क लागू होता है, तो चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आगे क्या?
अब अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय को लेना है। अगर यह शुल्क लागू होता है, तो यह न केवल भारतीय कंपनियों को मजबूती देगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार समीकरणों को भी बदल सकता है। भारत का यह कदम वैश्विक बाजार के लिए एक बड़ा संकेत है कि अब देश अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने जा रहा है।