- भारत,
- 09-Apr-2025 09:38 PM IST
India-Bangladesh News: बांग्लादेश के नेता मोहम्मद यूनुस द्वारा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बंगाल की खाड़ी को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए बांग्लादेश को दी जा रही ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को रद्द कर दिया है। यह फैसला 8 अप्रैल से प्रभावी हो चुका है और इसे भारत की कूटनीतिक दृढ़ता और व्यापारिक प्राथमिकताओं की स्पष्ट अभिव्यक्ति माना जा रहा है।
क्या थी यह ट्रांस-शिपमेंट सुविधा?
ट्रांस-शिपमेंट एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक देश, दूसरे देश को अपने बंदरगाह या हवाई अड्डे का अस्थायी रूप से उपयोग करने देता है ताकि वह अपना माल तीसरे देश में भेज सके। भारत ने बांग्लादेश को यह सुविधा मानवीय और व्यापारिक सहयोग के तहत दी थी, जिससे वह कोलकाता, मुंबई, चेन्नई जैसे भारतीय बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स का उपयोग कर अपने माल को अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका जैसे देशों तक पहुंचा सके।
इस व्यवस्था का उद्देश्य था बांग्लादेश की सीमित लॉजिस्टिक क्षमताओं में सहायक बनना, खासकर जब उसके बंदरगाह और कंटेनर व्यवस्था पूरी तरह विकसित नहीं हैं।
भारत के फैसले के पीछे की वजहें
विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि इस सुविधा के कारण भारत के खुद के बंदरगाह और एयरपोर्ट अत्यधिक व्यस्त हो गए थे। इसके चलते भारतीय निर्यातकों को अपने माल की समय पर ढुलाई में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। मुख्य दलीलें निम्नलिखित हैं:
-
ट्रैफिक में अत्यधिक वृद्धि: बांग्लादेशी ट्रांस-शिपमेंट के कारण भारतीय पोर्ट्स पर दबाव बढ़ा।
-
लॉजिस्टिक लागत में इजाफा: अतिरिक्त ट्रैफिक के कारण माल ढुलाई महंगी हो गई, जिससे भारत के निर्यातकों को नुकसान हुआ।
-
बैकलॉग और डिलेवरी में देरी: समय पर डिलीवरी न हो पाने से भारतीय कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर प्रभावित होने लगे।
क्या यह निर्णय पूर्ण रूप से बांग्लादेश पर लागू है?
नहीं। भारत ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध केवल उन बांग्लादेशी माल ढुलाई पर लागू होगा जो भारत के बंदरगाहों या एयरपोर्ट्स के जरिये तीसरे देशों को भेजी जा रही थी। बांग्लादेश से नेपाल और भूटान को भेजे जा रहे सामान, जो भारत की जमीन से होकर गुजरता है, उस पर यह रोक लागू नहीं होगी।
बांग्लादेश पर असर
इस निर्णय से बांग्लादेश को अपने शिपमेंट के लिए अब पूरी तरह चिट्टागोंग और मोंगला पोर्ट पर निर्भर रहना होगा। इससे न केवल लॉजिस्टिक लागत बढ़ेगी, बल्कि डिलिवरी में भी देरी हो सकती है। छोटे और मझौले निर्यातकों को इसका खासा असर झेलना पड़ेगा, जो पहले भारतीय बुनियादी ढांचे का लाभ उठा रहे थे।
भारतीय व्यापार को राहत
यह निर्णय ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति की ओर एक ठोस कदम माना जा रहा है। इससे न केवल भारतीय निर्यातकों को समय पर शिपमेंट में सुविधा मिलेगी, बल्कि देश के अपने बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स पर दबाव भी कम होगा।
‘बड़बोले’ यूनुस को सीधा संदेश
मोहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में चीन में दिया गया बयान, जिसमें उन्होंने बंगाल की खाड़ी को 'अपना इलाका' बताया था, भारत को नागवार गुज़रा। यह निर्णय एक प्रकार से ‘कूटनीतिक उत्तर’ है जो यह स्पष्ट करता है कि हिन्द महासागर के माध्यम से व्यापारिक सफलता के लिए भारत की भागीदारी और सहमति अनिवार्य है।
#WATCH | Delhi | On the withdrawal of the Transshipment facility for Bangladesh, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "...The Transshipment facility extended to Bangladesh had over a period of time resulted in significant congestion at our airports and ports. Logistical delays… pic.twitter.com/ZoLBJrskZ8
— ANI (@ANI) April 9, 2025