Muhammad Yunus / यूनुस बने यमराज! बैठे-बिठाए भारत को मिला हड़काने का एक और मौका

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। सरकारी नौकरियों से रोक, हत्याएं, लूट और मंदिरों पर हमले आम हो चुके हैं। यूनुस सरकार भारत पर सवाल उठा रही, जबकि खुद देश में अल्पसंख्यकों की हालत बदतर है। भारत ने बांग्लादेश की टिप्पणी को खारिज किया।

Muhammad Yunus: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के प्रति लगातार बढ़ रही हिंसा और भेदभाव की घटनाओं ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में सामने आए घटनाक्रमों से यह साफ है कि बांग्लादेश में न केवल अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें मुख्यधारा से भी अलग करने के प्रयास किए जा रहे हैं। चाहे वह सरकारी नौकरियों में भेदभाव हो या फिर सार्वजनिक जीवन में असुरक्षा—हर मोर्चे पर हिंदू समुदाय दबाव में है।

सत्ता परिवर्तन के बाद हालात और बिगड़े

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में भारी इज़ाफा देखा गया है। मंदिरों में तोड़फोड़, घरों पर हमले, और हिंदू नेताओं की हत्याएं अब आम खबर बन चुकी हैं। हाल ही में एक प्रतिष्ठित हिंदू नेता की हत्या ने देश के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में चिंता की लहर पैदा कर दी है।

यूनुस की टिप्पणी और भारत की सख्त प्रतिक्रिया

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में कथित मुस्लिम विरोधी हिंसा को लेकर भारत की आलोचना की थी और भारत सरकार से मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी। इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए यूनुस की टिप्पणियों को “कपटपूर्ण और दोगला प्रयास” करार दिया।

जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश को भारत की आंतरिक स्थिति पर टिप्पणी करने से पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “ऐसी टिप्पणियों के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने पर काम करना चाहिए।”

मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप

बांग्लादेश सरकार पर हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार और मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों का भी आरोप है। कई मामलों में लोगों को बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रखा गया या फिर गायब कर दिया गया। इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी इसका ज्वलंत उदाहरण है, जो महीनों से जेल में हैं और जिनके वकील तक पर हमला किया गया है। यह स्थिति न्याय प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करती है।

भारत ने दुनिया के सामने रखा सच

भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति बाकी दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में कहीं बेहतर है। यूनुस की भारत पर टिप्पणी ने खुद बांग्लादेश को कटघरे में खड़ा कर दिया है, जहां एक ओर सरकार सुधारों की बात करती है, वहीं जमीनी हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।