Trump Tariff War / अमेरिका हो या चीन, टैरिफ वॉर के बीच दोनों चाहते हैं भारत का साथ

अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ वॉर तेज हो गई है, जिसमें भारत अहम खिलाड़ी बनकर उभरा है। अमेरिका भारत को मुख्य साझेदार मानता है, जबकि चीन सहयोग चाहता है। अमेरिका के वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने भारत की भूमिका को वैश्विक व्यापार समाधान में महत्वपूर्ण बताया है। भारत समाधान खोज रहा है।

Trump Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में टैरिफ को लेकर छिड़ी वैश्विक व्यापारिक जंग ने नया मोड़ ले लिया है। इस टैरिफ युद्ध का सबसे बड़ा निशाना चीन बना है, जिसके खिलाफ अमेरिका लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए है। दोनों देशों के बीच बढ़ती टैरिफ दरों की होड़ ने न केवल वैश्विक व्यापार को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों की भूमिका को भी निर्णायक बना दिया है।

अमेरिका का कड़ा रुख और भारत की अहमियत

व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने स्पष्ट कहा कि यह मुद्दा सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे वैश्विक व्यापार पर असर डालने वाला मामला है। उन्होंने कहा कि चीन जैसे ‘बेड एक्टर्स’ की गतिविधियों के कारण व्यापारिक असंतुलन गहराता जा रहा है। बेसेंट ने भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को इस क्षेत्र में अमेरिका के अहम सहयोगी करार दिया।

उन्होंने दो टूक कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप चार सालों से कहते आ रहे हैं कि चीन आधुनिक इतिहास की सबसे असंतुलित अर्थव्यवस्था है। वह न केवल अमेरिका, बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक व्यापारिक चुनौती है।"

भारत की संतुलित कूटनीति

भारत ने इस पूरे मामले में बेहद संतुलन के साथ अपनी रणनीति अपनाई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वासन दिया है कि सरकार देश के सर्वोत्तम हित में काम कर रही है और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। भारत फिलहाल किसी एक पक्ष की ओर झुकाव दिखाए बिना अपने हितों की रक्षा करने की नीति पर चल रहा है।

यह स्पष्ट है कि भारत अपने वैश्विक आर्थिक संबंधों को स्थिर रखने के साथ-साथ ऐसे अवसरों की भी तलाश कर रहा है, जो इस व्यापारिक संघर्ष के बीच उभर सकते हैं। अमेरिका के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना भारत की प्राथमिकता में है, वहीं चीन के साथ पारंपरिक व्यापारिक साझेदारी को भी भारत नजरअंदाज नहीं कर रहा।

चीन की भारत को लेकर उम्मीदें

चीन की ओर से भी भारत को लेकर सकारात्मक संकेत दिए जा रहे हैं। भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के खिलाफ चीन और भारत को साथ आकर खड़ा होना चाहिए। उनके मुताबिक, "चीन-भारत व्यापार संबंध पारस्परिक लाभ पर आधारित हैं और दोनों देशों को अमेरिका के टैरिफ दुरुपयोग के खिलाफ सहयोग करना चाहिए।"

यह बयान इस ओर संकेत करता है कि चीन अमेरिका के खिलाफ एक वैकल्पिक साझेदारी की उम्मीद भारत से कर रहा है।

वियतनाम का नया समीकरण

टैरिफ वॉर के इस परिदृश्य में वियतनाम भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। हाल ही में अमेरिका और वियतनाम के बीच व्यापार समझौते की बातचीत शुरू करने पर सहमति बनी है। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया जब अमेरिका ने वियतनाम पर प्रस्तावित 46% टैरिफ पर रोक लगा दी। वियतनाम पहले से ही पश्चिमी कंपनियों के लिए एक अहम विनिर्माण हब बन चुका है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।