US-China Tariff War / चीन ने दिखा दी अपनी ताकत, क्या ट्रंप आएंगे घुटनों पर? जो नहीं सोचा था वही हो गया

चीन ने जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में निर्यात में 5.8% वृद्धि और अमेरिका के साथ $76.6 अरब का ट्रेड सरप्लस दर्ज किया। ट्रंप के भारी टैरिफ के बावजूद यह आंकड़े अमेरिका को चौंकाने वाले हैं। अब सवाल उठ रहा है—क्या ट्रंप घुटनों पर आएंगे?

US-China Tariff War: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने वैश्विक मंच पर अपनी आर्थिक ताकत का ऐसा प्रदर्शन किया है, जिसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की थी — खासकर अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने। चीन ने 2025 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) के अपने एक्सपोर्ट-इंपोर्ट डेटा को सार्वजनिक किया है, जो न सिर्फ अमेरिकी नीति निर्माताओं को चौंकाने वाला है, बल्कि यूरोपीय देशों को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है।

एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल, इंपोर्ट में गिरावट

मार्च में चीन के निर्यात में सालाना आधार पर 12.4% की बढ़त दर्ज की गई, जबकि आयात में 4.3% की गिरावट आई है। इससे चीन का कुल ट्रेड सरप्लस और मजबूत हो गया है। 2025 की पहली तिमाही में चीन का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस $76.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि मार्च महीने में यह $27.6 अरब रहा।

इस डेटा का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह तब सामने आया है जब अमेरिका ने चीन के निर्यात पर अभूतपूर्व 145% तक टैरिफ लगा रखा है। इसके बावजूद चीन के निर्यात में बढ़ोतरी होना इस बात का संकेत है कि चीन ने न केवल अमेरिका की आर्थिक चालों का जवाब तैयार कर रखा था, बल्कि उसने वैकल्पिक निर्यात बाज़ारों में भी पैठ बना ली है।

चीन-अमेरिका टैरिफ वॉर: लेकिन बाज़ी किसके हाथ?

ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के बावजूद चीन का व्यापारिक ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है। खासकर दक्षिण-पूर्वी एशिया और अफ्रीकी देशों में चीन के निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मार्च में दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों को निर्यात में करीब 17% और अफ्रीका को 11% की वृद्धि देखी गई।

चीन ने भी जवाबी कार्रवाई में अप्रैल से अमेरिकी उत्पादों पर 125% तक टैरिफ लगा दिया है। यह सीधा संदेश है कि चीन अब पीछे हटने वाला नहीं है, बल्कि उसने अपनी रणनीति और व्यापारिक मोर्चे को और मजबूत कर लिया है।

"हम घुटने नहीं टेकेंगे" – चीन का स्पष्ट संदेश

सीमा शुल्क प्रशासन के प्रवक्ता ल्यू डालियांग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन वर्तमान में जटिल और गंभीर वैश्विक परिस्थितियों का सामना कर रहा है, लेकिन वह पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि चीन लगातार 16 वर्षों से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है, और इसकी वैश्विक हिस्सेदारी 8% से बढ़कर 10.5% हो चुकी है।

इसका सीधा अर्थ है कि चीन अब न केवल निर्यात के मोर्चे पर, बल्कि घरेलू खपत और आयात के क्षेत्र में भी एक बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। यह बात विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा संकेत है कि चीन एक स्थायी और प्रभावशाली व्यापारिक ताकत बना रहेगा।

शी जिनपिंग का एशियाई देशों की ओर रुख

राष्ट्रपति शी जिनपिंग का क्षेत्रीय दौरा – वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया – चीन की रणनीति का एक और संकेत है। ये दौरे ऐसे समय में हो रहे हैं जब अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर अपने चरम पर है। वियतनाम को चीन के निर्यात में 17% की वृद्धि और आयात में 2.7% की गिरावट यह दर्शाती है कि चीन वैकल्पिक साझेदारों की तलाश और सहयोग को लेकर पूरी तरह सक्रिय है।

क्या ट्रंप अब दबाव में आएंगे?

सवाल अब यही उठता है – क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब अपने रुख में नरमी लाएंगे? जिस आक्रामक व्यापार नीति के सहारे उन्होंने चीन को झुकाने की कोशिश की थी, उसी नीति की मार अब खुद अमेरिका पर पड़ती दिख रही है। चीन की आर्थिक जुझारूपन और रणनीतिक चतुराई ने ट्रंप की नीति को कठघरे में खड़ा कर दिया है।