Vikrant Shekhawat : Dec 26, 2020, 10:33 PM
Gujarat Election: यह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए यह राहत की खबर हो सकती है, लेकिन गुजरात में कांग्रेस की टेंशन बढ़ने वाली है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अब गुजरात में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसके लिए ओवैसी की पार्टी ने छोटूभाई वासवा की भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के साथ गठबंधन किया है। बीटीपी पहले ही राजस्थान में कांग्रेस से धोखा खाने के बाद बदला लेने के मूड में है। एक सप्ताह पहले ही असदुद्दीन ओवैसी की ओर से राजस्थान में बीटीपी को समर्थन देने का ऐलान किया गया है। इससे अटकलें हैं कि एआईएमआईएम बिहार और उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान में एंट्री मारने जा रही है। पार्टी बंगाल चुनाव में उतरने का पहले ही ऐलान कर चुकी है और अब गुजरात के लिए भी प्लान तैयार है।गुजरात के आदिवासी नेता छोटूभाई वासा की बीटीपी की राजस्थान विधानसभा में दो सीटें हैं। जिला परिषद चुनाव में डुंगुरपुर सीट पर बीटीपी कैंडिडेट को हराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में मिलिभगत की वजह से पार्टी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। तीन पंचायत समिति सीटों पर बीटीपी को हराने के लिए दोनों पार्टियों ने हाथ मिलाया था।भरूच जिले की झागडिया सीट से विधायक वासा की पार्टी ने 2017 के राज्यसभा चुनाव में ना केवल कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल का साथ दिया था, बल्कि सचिन पायलट की बगावत के दौरान गहलोत का साथ दिया था। बीटीपी ने अब गहलोत सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि, बीटीपी ने इस साल गुजरात चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार का समर्थन किया था। गुजरात में दो विधायकों वाली पार्टी बीटीपी ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी ओवैसी की पार्टी से हाथ मिला रहा है। फरवरी 2021 में होने जा रहे लोकल बॉडी चुनाव में दोनों पार्टियां साथ लड़ेंगी। छोटूभाई वासा ने भरूच में मीडिया से कहा, ''हम साथ आए हैं और लोकल बॉडी चनाव साथ लड़ेंगे ताकि लोकतंत्र की बहाली हो और दो अवसरवादी पार्टियों (बीजेपी और कांग्रेस) को सबक सिखा सकें।''पहले से ही संकट में फंसी कांग्रेस को पता है कि यह गुजरात में पार्टी के लिए बुरी खबर है। विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनानी ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, ''यह बीजेपी की हताश बी टीम है। बीटीपी प्लस एआईएमआईएम बराबर बीजेपी। हम इसे अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन कांग्रेस जीतेगी। लोग पूरा खेल देख चुके हैं।''गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल इससे काफी बेपरवाह दिखे। उन्होंने कहा, ''उन्हें चुनाव लड़ने दें। यह लोकतंत्र है। हम उनसे भी लड़ेंगे।'' क्या यह बीजेपी के लिए अच्छा नहीं है? इसके जवाब में पाटिल ने कहा, ''हम इस तरह के प्रिज्म से कुछ नहीं देखते। हम कठिन मेहनत करते हैं। हमारा विकास का अजेंडा बोलता है। हम इसके साथ लोगों के बीच जाते हैं।''