AajTak : Apr 28, 2020, 09:57 AM
भारत के महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री का दर्जा पा चुके आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए अनेकों नीतियां बनाईं। उन्होंने इन नीतियों को अपने नीति ग्रंथ (चाणक्य नीति) में समाहित किया। इसी नीति ग्रंथ के एक श्लोक में चाणक्य ने उन 6 चीजों के बारे में बताया है कि जिनके बारे में बुद्धिमान व्यक्ति कभी जिक्र तक नहीं करते। क्योंकि ऐसा करने से नुकसान होने की संभावना होती है। आइए जानते हैं उन 6 चीजों के बारे में।।।
सुसिद्धमौषधं धर्मं गृहच्छिद्रं च मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्॥
> चाणक्य के मुताबिक बुद्धिमान इंसान अगर किसी प्रकार की दवाई या औषधी ले रहा है तो उसके बारे में किसी और से नहीं बताना चाहिए। अपनी दवाईयों के बारे में दूसरों से बताने पर स्वास्थ्य पर उल्टा प्रभाव पड़ता है।
> चाणक्य कहते हैं कि विकट से विकट स्थिति में भी अपने घर का भेद किसी दूसरे को नहीं बताना चाहिए। ऐसा करने पर दुश्मन फायदा उठा सकते हैं और आपको बर्बाद कर सकते हैं।
> परिवार के किसी सदस्य की किसी दूसरे से बुराई नहीं करनी चाहिए। अगर आपस में एक दूसरे से कोई शिकायत है भी तो उसे खुद से ही सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। दूसरों को बताने पर वो आपके परिवार का उपहास करते हैं और सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं।
> संभोग के दौरान गलती हो जाए तो उसके बारे में किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बताना चाहिए। इन चीजों को बताने पर समाज आप पर और आपके चरित्र पर संदेह करने लगता है।
> चाणक्य के मुताबिक मनुष्य को चाहिए कि अगर उसे खराब भोजन करना पड़े या करे तो उसके बारे में किसी से न बताए।
> श्लोक के अंत में चाणक्य ने कहा है कि लोगों से सुने बुरे शब्दों को दूसरों तक नहीं पहुंचने देना चाहिए। बुराई और निंदा वाले शब्दों को खुद तक ही रखना चाहिए। इससे आपका मान-सम्मान बना रहता है।
सुसिद्धमौषधं धर्मं गृहच्छिद्रं च मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्॥
> चाणक्य के मुताबिक बुद्धिमान इंसान अगर किसी प्रकार की दवाई या औषधी ले रहा है तो उसके बारे में किसी और से नहीं बताना चाहिए। अपनी दवाईयों के बारे में दूसरों से बताने पर स्वास्थ्य पर उल्टा प्रभाव पड़ता है।
> चाणक्य कहते हैं कि विकट से विकट स्थिति में भी अपने घर का भेद किसी दूसरे को नहीं बताना चाहिए। ऐसा करने पर दुश्मन फायदा उठा सकते हैं और आपको बर्बाद कर सकते हैं।
> परिवार के किसी सदस्य की किसी दूसरे से बुराई नहीं करनी चाहिए। अगर आपस में एक दूसरे से कोई शिकायत है भी तो उसे खुद से ही सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। दूसरों को बताने पर वो आपके परिवार का उपहास करते हैं और सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं।
> संभोग के दौरान गलती हो जाए तो उसके बारे में किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बताना चाहिए। इन चीजों को बताने पर समाज आप पर और आपके चरित्र पर संदेह करने लगता है।
> चाणक्य के मुताबिक मनुष्य को चाहिए कि अगर उसे खराब भोजन करना पड़े या करे तो उसके बारे में किसी से न बताए।
> श्लोक के अंत में चाणक्य ने कहा है कि लोगों से सुने बुरे शब्दों को दूसरों तक नहीं पहुंचने देना चाहिए। बुराई और निंदा वाले शब्दों को खुद तक ही रखना चाहिए। इससे आपका मान-सम्मान बना रहता है।