Vikrant Shekhawat : Jul 14, 2023, 07:45 AM
Chandrayaan-3: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन आज, 14 जुलाई को चंद्रयान- 3 लाॅन्च करेगा. इसरो इसे श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लाॅन्च करेगा. चंद्रयान-3 दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लाॅन्च किया जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसे चांद के साउथ पोल पर लैंड कराएगा. आइए जानते हैं कि इसे चांद के साउथ पोल पर क्यों लैंड कराया जा रहा है और सॉफ्ट लैंडिंग क्या होती है.बता दें कि इसके पहले इसरो ने दो और मून मिशन चंद्रयान -1 और चंद्रयान-2 लाॅन्च किए थे. 22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने चंद्रयान -1 लाॅन्च किया था. यह भारत का पहला सफल चंद्र मिशन था, लेकिन कुछ दिनों बाद मून इंपैक्ट प्रोब चंद्रमा के साउथ पोल के पास ध्वत हो गया, जिससे यह अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाया. इसके बाद 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लाॅन्च किया गया, लेकिन विक्रम लैंडर चांद की सतह के नजदीक पहुंचकर खराब हो गया, जिस कारण यह भी फेल हो गया.हमारे 14 दिन और चंद्रमा के एक दिन के बराबर काम करेगा मिशनलैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक दिन में 14 पृथ्वी दिवस के बराबर अपना काम व परीक्षण करेंगे। उल्लेखनीय है कि यह समय चंद्रमा के एक दिन के बराबर होगा। इसरो के पूर्व निदेशक के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारत के अगले प्रमुख मिशन गगनयान को हौसला देगी। उन्हीं के कार्यकाल में 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भेजा गया था, जिसमें लैंडर को चंद्रमा पर उतारने में सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि इसरो ने इस विफलता की वजह बनी चीजों काे फिर से तैयार किया और उन्हें सुधारा। इस बार निश्चित ही सफलता मिलेगी। सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 के सामने पिछले मिशन जैसी ही चुनौतियां हैं, वहीं अंतरिक्ष में कई चीजें अज्ञात रहती हैं। लेकिन गलतियों से सीख लेकर हमने नया आत्मविश्वास पाया है। उम्मीद है कि इस बार मिली सफलता भावी पीढ़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। मिशन में हुए परीक्षण न केवल चंद्रमा की सतह, बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में भी वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ाएंगे।दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन सकता है भारतचंद्रमा के लिए भारत के तीसरे मिशन चंद्रयान-3 का शुक्रवार दोपहर 2:35:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण होगा। इसके लिए बृहस्पतिवार दोपहर 1:05 बजे से 25.30 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 के जरिये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारेगा। सफल रहने पर भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक रूस, अमेरिका और चीन ही चंद्रमा पर यान उतार सके हैं।चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अंतरिक्ष में भारी उपग्रह ले जाने के लिए बने रॉकेट एलवीएम-3 एम4 (पूर्व नाम - जीएसएलवी मार्क 3) से होगा। इससे करीब एक माह बाद 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग (पूरे नियंत्रण के साथ सतह पर सुरक्षित उतारना) करवाई जाएगी। चंद्रमा का यह हिस्सा अब तक मानव की नजरों से छिपा रहा है। साउथ पोल पर ही क्यों लैंड हो रहा मिशन?अभी तक किसी भी देश ने अपने चंद्र मिशन को साउथ पोल पर लाॅन्च नहीं किया है. वैज्ञानिकों के अनुसार चांद का साउथ पोल, नार्थ पोल की अपेक्षा अधिक छाया में रहता है और साउथ पोल पर पानी की संभावना भी पाई गई है. यहां तापमान भी ठंडा रहता है. वहीं वैज्ञानिक भविष्य में साउथ पोल पर कई संभावनाएं मानते हैं.साथ ही इसके छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना है. इसलिए चंद्रयान-3 को चांद के साउथ पोल के पर ही लैंड कराया जाएगा.क्या होती है साफ्ट लैंडिंग ?विशेषज्ञों के अनुसार चांद पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की अपेक्षा 1/6 कम होता है. इस कारण वहां गिरने की गति बढ़ जाती है. इसलिए विक्रम लैंडर की गति धीरे-धीरे कम करके उसे चांद पर लैंड कराया जाता है. जब विक्रम लैंडर चांद से 35 किसी की ऊंचाई पर रहता है, तो उसमे लगे 5 इंजन को शुरू कर दिया जाता है और इससे लैंडर की विपरीत दिशा में दबाव बनने लगता है. इस कारण धीरे-धीरे उसकी गति शून्य हो जाती है और वह समतल स्थान पर आसानी से उतर जाता है. जिसे किसी अंतरिक्ष मिशन की साफ्ट लैंडिंग कहते हैं.