Vikrant Shekhawat : Mar 05, 2024, 10:20 PM
Chandrayaan 4: चंद्रयान-3 के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ISRO ने चंद्रयान-4 मिशन पर काम शुरू कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से इस मिशन के बारे में ताजा अपडेट जारी किया गया है, इसमें बताया गया है कि चंद्रयान-4 कैसे काम करेगा. इसमें ये भी बताया गया है कि चंद्रयान-3 में सिर्फ 3 मॉड्यूल थे, जबकि चंद्रयान-4 में पांच मॉड्यूल होंगे. जो सॉफ्ट लैंडिंग से लेकर सैंपल इकट्ठे करने और सेफ रिटर्न तक बारी-बारी से काम आएंगे. पिछले दिनों इसरो चीफ एस सोमनाथ ने भी मिशन के बारे में जानकारी साझा की थी.भारत के बहुप्रतीक्षित स्पेस मिशन गगनयान के बाद चंद्रयान-4 को लांच किया जाएगा. माना जा रहा है कि इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में भारत को चार साल लग सकते हैं, हालांकि इसरो जिस तेजी से काम कर रहा है, उससे ये नियत समय से पहले भी पूरा हो सकता है. अब इसरो ने चंद्रयान-4 के बारे में सोशल मीडिया पोस्ट X पर मिशन के बारे में ताजा जानकारी दी है. इसमें मॉड्यूल, उनके इंजन और उनकी खासियत के बारे में बताया गया है.ऐसे होगी लांचिंग से रिटर्न तक की प्रक्रियाचंद्रयान-4 का मिशन जापान की JAXA के साथ इसरो का संयुक्त मिशन है, ऐसे में इसे जापान के H3 रॉकेट से लांच किया जा सकता है. यह अपने साथ पांच मॉड्यूल लेकर जाएगा. इसमें एसेंडर मॉड्यूल, डिसेंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और रीएंट्री मॉड्यूल होंगे. हर मॉड्यूल का अलग काम होगा. सबसे खास बात ये है कि ये मिशन दो चरणों में लांच होगा. पहले इसे धरती से लांच किया जाएगा जो चांद पर लैंडिंग कर वहां चट्टानों के नमूने इकट्ठे करेगा और फिर उसके बाद चांद की सतह से इसकी दोबारा लांचिंग होगी जो धरती पर री एंट्री करेगा. पहली बार लांचिंग के वक्त चंद्रयान-4 का कुल वजन 5200 किग्रा होगा, जबकि चांद से जब ये धरती की ओर लांच होगा तब इसका वजन 1527 किलो रखा जाएगा, ताकि ये आसानी से धरती के ऑर्बिट में दाखिल हो सके.कौन सा मॉड्यूल क्या काम करेगा?प्रोपल्शन मॉड्यूल: रॉकेट से अलग होने के बाद धरती की ऑर्बिट से लेकर चांद की ऑर्बिट में एंट्री तक की जिम्मेदारी प्रोपल्शन मॉड्यूल की होगी. चंद्रयान-3 के वक्त भी इस मॉड्यूल ने यही जिम्मेदारी निभाई थी.डिसेंडर मॉड्यूल: प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद सभी मॉड्यूल को चांद की सतह पर पहुंचाने की जिम्मेदारी ये मॉड्यूल निभाएगा.एसेंडर मॉड्यूल: नमूने इकट्ठे करने के बाद यह चंद्रमा की सतह से उड़ान भरेगा और ट्रांसफर मॉड्यूल के साथ धरती की ऑर्बिट तक पहुंचेगा.ट्रांसफर मॉड्यूल: चंद्रमा से इकट्ठे किए गए नमूने वापस धरती पर ले जाने की जिम्मेदारी इस मॉड्यूल पर होगी.री एंट्री मॉड्यूल: चांद से लिए गए नमूने लेकर धरती पर सकुशल लैंड करने की जिम्मेदारी री एंट्री मॉड्यूल की होगी.
चंद्रयान-3 में थे तीन मॉड्यूलभारत के हालिया सफल लूनार मिशन चंद्रयान-3 में तीन मॉड्यूल थे, इनमें प्रोप्ल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर मॉड्यूल था. लैंडर को चंद्रमा की ऑर्बिट तक पहुंचाने का काम प्रोपल्शन मॉड्यूल ने निभाया था. लैंडर मॉड्यूल ने सॉफ्ट लैंडिंग की थी और रोवर ने चंद्रमा से जानकारियां जुटाईं थींThis is what we know so far about #ISRO's Moon sample return mission Chandrayaan-4:
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) March 5, 2024
The mission will involve a PSLV & a LVM3 launch & consist of 5 modules - Ascender, Descender, Propulsion, Transfer & Re-entry module.
Here's a graphic showcasing each module & their functions 👇 pic.twitter.com/ZCRduWoqY0