AMAR UJALA : Jul 15, 2020, 07:49 AM
दक्षिणी चीन सागर में चीन अन्य देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है और उसके दबदबे को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया उसे सबक सिखाने की तैयारी कर रही है। इसको देखते हुए अंडमान निकोबार के समुद्री क्षेत्र को सामरिक केंद्र बनाकर यहां से चीन को घेरने की कवायद हो सकती है। दरअसल मॉडर्न डिप्लोमेसी में प्रकाशित एक लेख में ऐसा सुझाव दिया गया है।
लेख में कहा गया है कि इस क्षेत्र के समुद्री अड्डे को चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए सामरिक ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे ‘चीन की घेराबंदी के लिए समुद्री हब की श्रृंखला’ नाम दिया गया है। गीतांजलि सिन्हा रॉय के लेख में समुद्र और जमीन से चीनी हमलों की कई घटनाओं का जिक्र किया गया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि चीन को घेरने का एक तरीका यह हो सकता है कि पूरी तरह से लैस अंडमान के समुद्री अड्डों को सामरिक चौकियों में तब्दील कर दिया जाए, जिससे सभी देशों को चीन की समुद्री गतिविधियों और उस पर सामूहिक निगरानी रखने में मदद मिलेगी। गीतांजलि ने चीनी हमलों की कई घटनाओं का जिक्र किया है। इस साल अप्रैल में चीन के पोत ने मछली मारने वाली एक वियतनामी नौका को दक्षिण चीन सागर में डुबा दिया। मलयेशिया के विशेष आर्थिक जोन में मलयेशियाई तेल खोज जहाज और चीनी पोत के बीच में टकराव हो गया। वहीं जुलाई में चीनी तटरक्षक बल के पोतों ने दो बार जापानी समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ कर दी।नौसेना ने विकसित किया है वायु अड्डाभारत ने अंडमान में 2019 में एक नौसेना वायु अड्डा आईएनएस कोहासा बनाया था। साथ ही इस द्वीप को अच्छी तरह विकसित किया। जापान ने भी इसमें सक्रियता से भाग लिया। जापान की कंपनी एनईसी कॉरपोरेशन चेन्नई से अंडमान निकोबार तक समुद्र के अंदर केबल बिछा रही है। इसलिए कुछ लोगों को लगता है कि भारतीय नौसेना इस द्वीप को विकसित कर रही है। अत: यह एक महत्वपूर्ण सामरिक ठिकाना बन गया है, जिससे दुश्मन मुल्क की समुद्री गतिविधियों की निगरानी में लाभ मिलेगा।
लेख में कहा गया है कि इस क्षेत्र के समुद्री अड्डे को चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए सामरिक ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे ‘चीन की घेराबंदी के लिए समुद्री हब की श्रृंखला’ नाम दिया गया है। गीतांजलि सिन्हा रॉय के लेख में समुद्र और जमीन से चीनी हमलों की कई घटनाओं का जिक्र किया गया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि चीन को घेरने का एक तरीका यह हो सकता है कि पूरी तरह से लैस अंडमान के समुद्री अड्डों को सामरिक चौकियों में तब्दील कर दिया जाए, जिससे सभी देशों को चीन की समुद्री गतिविधियों और उस पर सामूहिक निगरानी रखने में मदद मिलेगी। गीतांजलि ने चीनी हमलों की कई घटनाओं का जिक्र किया है। इस साल अप्रैल में चीन के पोत ने मछली मारने वाली एक वियतनामी नौका को दक्षिण चीन सागर में डुबा दिया। मलयेशिया के विशेष आर्थिक जोन में मलयेशियाई तेल खोज जहाज और चीनी पोत के बीच में टकराव हो गया। वहीं जुलाई में चीनी तटरक्षक बल के पोतों ने दो बार जापानी समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ कर दी।नौसेना ने विकसित किया है वायु अड्डाभारत ने अंडमान में 2019 में एक नौसेना वायु अड्डा आईएनएस कोहासा बनाया था। साथ ही इस द्वीप को अच्छी तरह विकसित किया। जापान ने भी इसमें सक्रियता से भाग लिया। जापान की कंपनी एनईसी कॉरपोरेशन चेन्नई से अंडमान निकोबार तक समुद्र के अंदर केबल बिछा रही है। इसलिए कुछ लोगों को लगता है कि भारतीय नौसेना इस द्वीप को विकसित कर रही है। अत: यह एक महत्वपूर्ण सामरिक ठिकाना बन गया है, जिससे दुश्मन मुल्क की समुद्री गतिविधियों की निगरानी में लाभ मिलेगा।