Vikrant Shekhawat : Mar 25, 2022, 09:43 AM
चीन के विदेश मंत्री वांग यी दिल्ली पहुंच गए हैं। वह आज एनएसए अजित डोभाल और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। बताया जा रहा है कि वांग शुक्रवार सुबह 11 बजे दिल्ली में जयशंकर से मुलाकात कर सकते हैं। उनका यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर विश्व में तनाव गहराया हुआ है। भारत और चीन दोनों इस मामले में तटस्थता का रुख अपनाए हुए हैं।
भारत-चीन सीमा विवादयह दौरा इस मायने में भी अहम है कि हाल के समय में भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा विवाद और गलवान संघर्ष को लेकर विवाद रहा है। विवाद ने पिछले साल गंभीर स्थिति धारण कर ली थी और दोनों देशों ने बड़ी तादाद में सीमा पर सैनिकों की तैनाती कर दी। इसे लेकर दोनों पक्षों में कमांडर स्तर की बातचीत भी हो रही है, लेकिन अभी तक सैनिकों की वापसी का मुद्दा हल नहीं हो पाया है। इस संबंध में अब तक दर्जनभर से ज्यादा दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। ओआईसी बैठक में बयान को लेकर विवादों में आए वांग यीवहीं, वांग यी इस्लामाबाद में हुए ओआईसी की बैठक में अपने बयान के लिए भी विवादों में हैं। ओआईसी बैठक के दौरान इस्लामाबाद में वांग ने कहा था कि कश्मीर पर हमने आज फिर से अपने कई इस्लामी दोस्तों की पुकार सुनी है। चीन भी यही उम्मीद साझा करता है।इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था, हम उद्घाटन समारोह में अपने भाषण के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी द्वारा भारत के लिए अनावश्यक संदर्भ को खारिज करते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित मामले पूरी तरह से भारत के आंतरिक मामले हैं। चीन सहित अन्य देशों को टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें ध्यान देना चाहिए कि भारत उनके आंतरिक मुद्दों को लेकर ऐसा करने से परहेज करता है। किसी बयान की आलोचना करते समय किसी विदेश मंत्री का नाम लेना काफी असामान्य माना जाता है और यह इस मामले पर भारत के सख्त रुख को दर्शाता है।जयशंकर बोले- भारत में विदेश नीति के फैसले राष्ट्रीय हितों के अनुरूप लिएवहीं, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत अपने सिद्धांतों पर स्पष्ट है। विदेश नीतियों के फैसले भारत में राष्ट्रीय हितों के अनुकूल लिए जाते हैं। यह हमारी सोच और विचारों से प्रदर्शित होते हैं। उन्होंने यूक्रेन की स्थिति को व्यापार से जोड़ने के सवाल को सिरे से नकार दिया। विदेश मंत्री कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। राज्यसभा में प्रश्न के उत्तर में लिखित जवाब को सदन पटल पर रखा गया है।चीनी विदेश मंत्री ने अचानक काबुल पहुंच सबको चौंकायाइससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बृहस्पतिवार को अचानक काबुल पहुंचकर सबको चौंका दिया था। वह अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से मिलने के लिए काबुल पहुंचे। हालांकि, कक्षा छह से ऊपर की लड़कियों के लिए स्कूल खोलने का वादा तोड़ने जैसे रूढ़िवादी कदम को लेकर एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान शासन पर नाराजगी जताई थी।बख्तर समाचार एजेंसी ने एलान किया कि वांग यी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तालिबान के नेताओं से मिलेंगे। राजनीतिक संबंध, आर्थिक मामले और आपसी सहयोग के मुद्दों पर वह चर्चा करेंगे। चीन ने अब तक तालिबान को मान्यता देने का कोई संकेत नहीं दिया है। स्कूल जाने और काम करने के लिहाज से महिलाओं के प्रति दमनकारी नीति के बावजूद चीन ने तालिबान शासकों की आलोचना करने से भी परहेज ही किया है। अफगानिस्तान का अब तक दौरा करने वाले शीर्ष स्तर के चुनिंदा नेताओं में अब वांग भी शामिल हो गए हैं। चीन ने भले ही तालिबान को मान्यता न दी हो, लेकिन वह उससे लगातार संपर्क में है।चीन के अफगानिस्तान में कई हितचीन के अफगानिस्तान में खनन व आर्थिक हित हैं। तालिबान व चीनी अफसरों की वार्ता से अवगत अफगान सूत्रों के मुताबिक चीन तालिबान शासकों से आश्वासन चाहता है कि वह चीन के उइघर विद्रोहियों को अपने यहां से अभियान चलाने की अनुमति नहीं देंगे। खबरें हैं कि उइघर के ‘पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन’ के सदस्य, जो उत्तर पश्चिम चीन में स्वतंत्र देश की मांग कर रहे हैं, अफगानिस्तान में मौजूद हैं।