Cyber attack / चीन के हैकर्स का खतरनाक खेल, डेटा पर हमला

हैकिंग का बड़ा मामला सामने आया है। इसमें सेंट्रल एशिया की कई कंपनियों के साथ ही सरकारी संस्थानों के डेटा को ऐक्सेस किया जा रहा है। डिजिटल सिक्यॉरिटी कंपनियां Avast और ESET ने हाल में इस साइबर अटैक का खुलासा किया है। दोनों कंपनियों ने रिसर्च में पाया कि मध्य एशिया के सरकारी और प्राइवेट संस्थानों के डेटा पर अडवांस परसिस्टेंट थ्रेट (APT) से अटैक किया जा रहा है।

NavBharat Times : May 18, 2020, 02:58 PM
Cyber attack: हैकिंग का बड़ा मामला सामने आया है। इसमें सेंट्रल एशिया की कई कंपनियों के साथ ही सरकारी संस्थानों के डेटा को ऐक्सेस किया जा रहा है। डिजिटल सिक्यॉरिटी कंपनियां Avast और ESET ने हाल में इस साइबर अटैक का खुलासा किया है। दोनों कंपनियों ने रिसर्च में पाया कि मध्य एशिया के सरकारी और प्राइवेट संस्थानों के डेटा पर अडवांस परसिस्टेंट थ्रेट (APT) से अटैक किया जा रहा है।

इन कंपनियों को किया जा रहा अटैक

बताया जा रहा है कि साइबर क्रिमिनल्स इस अटैक से लंबे समय तक सेंसिटिव डेटा को ऐक्सेस करने की फिराक में हैं। इस अटैक में टेलिकम्यूनिकेशन कंपनी, गैस कंपनी और सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया जा रहा है। बिजनस इनसाइडर की रिपोर्ट के अनुसार एवास्ट के एक रिसर्चर ने कहा, 'ये आम साइबर अटैक्स से अलग है। APT ग्रुप आमतौर पर स्टेट-फंडिंग पर काम करते हैं और ये पॉलिटिक्स व विचारधाराओं से प्रेरित होते हैं।'

हो सकता है चीन का हाथ

रिसर्चर्स ने अपनी जांच के आधार पर इस अटैक के पीछे किसी चीनी ग्रुप का हाथ बताया है। रिसर्चर्स की मानें तो ये हैकर रिमोट ऐक्सेस टूल की मदद से सेंट्रल एशिया में साइबर अटैक कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसी चीनी ग्रुप पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। एवास्ट के रिसर्चर कैमास्त्रा के मुताबिक जांच में यह पता चला है कि साल 2017 के आखिर में रूसी मिलिट्री और बेलारुस की सरकार के खिलाफ हुए साइबर अटैक में इसी ग्रुप का हाथ था।

हैकिंग के बारे में किसी को पता नहीं चलने देना चाहते हैकर

आमतौर पर देखा जाता है कि रैंसमवेयर अटैक के बारे में साइबर सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स को आराम से पता चल जाता है। इसके साथ ही कई मामलों में हैकर्स भी अपनी पहचान बता देते हैं। वहीं, APT इससे काफी अलग है और किसी को भी इसके बारे में जल्दी पता नहीं चलता।

सिस्टम के अंदर लंबे समय तक रहता है APT

APT का टारगेट दूसरा है। यह सिस्टम डेटा को डाउनलोड कर यूजर को ब्लैकमेल नहीं करता बल्कि सिस्टम के अंदर रहकर लंबे समय तक सेंसिटिव फाइल्स को ऐक्सेस करता है। इसके साथ ही यह स्क्रीनशॉट्स भी लेता है। कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि APT सिस्टम के प्रोसेसिंग और सर्विस को को स्लो करने के अलावा कंसल कमांड्स को भी रन कर सकते हैं। इस अटैक से साइबर क्रिमिनल्स सिस्टम की किन फाइल्स को निशाना बना रहे हैं इस बारे में अभी कुछ पता नहीं चल सका है।

कंपनियों के लिए कंट्रोल करना मुश्किल

जब से यूजर्स ने वर्क फ्रॉम होम शुरू किया है, तब से ऐसे मैलवेयर अटैक्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। हैकर्स इन साइबर अटैक्स से कंपनियों और यूजर्स के सिस्टम को बड़ी चालाकी से ऐक्सेस करते हैं। इस अटैक के बारे में किसी को पता न चले इसके लिए हैकर्स खास कोड्स का इस्तेमाल करते हैं। APT के बारे में बात करते हुए रिसर्चर कैमास्त्रा ने बताया कि इससे बचना संस्थानों के लिए काफी मुश्किल है क्योंकि यह अलग-अलग तरह के लाखों मैलवेयर के साथ अटैक करते हैं।