Vikrant Shekhawat : Apr 05, 2024, 10:05 PM
Lok Sabha Elections: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा चुनाव से पहले ‘न्याय पत्र’ के नाम से चुनावी घोषणापत्र जारी किया है. चुनावी घोषणापत्र में महिलाओं, किसानों, बेरोजगारों और युवाओं को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कांग्रेस ने जाति जनगणना और 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को समाप्त करके असमानता और भेदभाव को दूर करने का वादा किया है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने सामाजिक न्याय पर फोकस किया है, लेकिन कांग्रेस की ओबीसी और दलितों को लुभाने की पहल इंडिया गठबंधन के घटक दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. कांग्रेस के इस एजेंडे से गठबंधन की पार्टियों में दरार पैदा हो सकती है.चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है. इस घोषणापत्र का लक्ष्य आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों सहित मतदाताओं को आकर्षित करता है. चुनावी घोषणापत्र में प्रमुख क्षेत्रों में इन समुदायों के कम प्रतिनिधित्व को स्वीकार करते हुए कांग्रेस सामाजिक समानता की दिशा में सक्रिय उपायों के माध्यम से अंतर को पाटने पर जोर दिया है.ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस का राजनीतिक गढ़ ऊंची जातियों और आर्थिक रूप से वंचितों के समर्थन पर निर्भर था. हालांकि मंडल आयोग के बाद ओबीसी-आधारित राजनीति ने राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दिया है, जिसमें समाजवादी पार्टी, आरजेडी और बीएसपी जैसी पार्टियां सामाजिक न्याय के पैरोकार के रूप में उभरीं हैं.कांग्रेस की रणनीति में बदलावहाल के दिनों में कांग्रेस ने रणनीतिक बदलाव किया है. ओबीसी, दलितों और आदिवासियों के हितों की वकालत करके कांग्रेस का लक्ष्य अपनी चुनावी संभावनाओं को पुनर्जीवित करना चाहती है. कांग्रेस का लक्ष्य भाजपा के प्रभुत्व को चुनौती देना है, जिसने इन समुदायों के बीच अपना समर्थन को मजबूत किया है.घोषणापत्र में हाशिये पर पड़े लोगों की मांगों के अनुरूप समावेशिता और न्यायसंगत प्रतिनिधित्व के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. कांग्रेस का सामाजिक न्याय पर फोकस करने की रणनीति इंडिया गठबंधन के घटक दल सपा, राजद और बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों के लिए एक संभावित खतरा भी पैदा करता है, जो परंपरागत रूप से ओबीसी के मुद्दे पर जोर देते रहे हैं.ओबीसी और दलितों पर फोकसइन समुदायों की आकांक्षाओं का दोहन करके कांग्रेस मौजूदा राजनीतिक को बाधित कर सकती है. अंततः, कांग्रेस की रणनीति की सफलता ओबीसी और दलितों के बीच प्रभावी ढंग से समर्थन जुटाने की क्षमता पर निर्भर करती है, जो चुनावी परिणामों को निर्धारित करने में काफी प्रभाव डालते हैं.जैसे-जैसे पार्टी आगामी चुनावों के लिए तैयार हो रही है, सामाजिक न्याय पर उसका जोर उसके अभियान का केंद्रीय स्तंभ बना हुआ है, जो स्थापित कथाओं को चुनौती देता है और समावेशी राजनीति की ओर बदलाव का संकेत देता है.